बीमारियां न सिर्फ शारीरिक स्तर पर चोट करती हैं बल्कि आर्थिक कमर भी तोड़ कर रख देती हैं. अगर स्वस्थ जीवनशैली से शरीर को हैल्दी व मैंटेन रखा जाए तो बीमारियां पास नहीं फटकेंगी. जानिए हैल्दी रहने के कुछ अचूक टिप्स.
उपचार से बेहतर है रोकथाम.
यह कहावत आज के समय में हैल्थ केयर की आसमान छूती लागत को देख कर मुफीद प्रतीत होती है. डायबिटीज और हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों का उपचार बहुत महंगा है. इस से बचने के लिए जरूरी है कि स्वस्थ जीवनशैली और स्वस्थ शरीर दोनों को मैंटेन किया जाए. कोविड की महामारी ने यह साफ कर दिया है कि अपने स्वास्थ्य के बारे में हर समय सतर्क रहना जरूरी है.
- हर व्यक्ति को बहुत अच्छा नाश्ता जरूर करना चाहिए. 8 से 10 घंटे शरीर को आहार न मिलने के बाद उसे ऐसे खाने की जरूरत होती है जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विभिन्न विटामिन व मिनरल्स जैसे सभी पोषण तत्त्वों की जरूरत को पूरा कर सके.
- हमारे देश जैसे गरम देशों में शरीर को हाइड्रेटेड रखा जाना जरूरी है. इसलिए सांस, पसीने और मूत्र आदि से होने वाली पानी की कमी को दूर करने के लिए पानी और तरल पदार्थ पीते रहने चाहिए.
- हम अपने खाने के दौरान विभिन्न आहार ले सकते हैं जिन में चावल, रोटी, सब्जी, दालें, फल, दूध, मांस और अंडों के साथ अचार, तली हुई चीजें, मीठा और पेय पदार्थ हो सकते हैं. पूरी डाइट इस तरह बैलेंस होनी चाहिए कि शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्त्व मिल सकें.
- शरीर में पानी की पूर्ति के लिए दिन में 6 से 8 गिलास पानी या अन्य तरल पदार्थ पीना चाहिए. गरम मौसम के दौरान इस की मात्रा ज्यादा होनी चाहिए. इस के साथ ही यदि कोई व्यक्ति ऐसी शारीरिक गतिविधि कर रहा है जिस से उसे ज्यादा पसीना आता है तो उसे ज्यादा पानी या तरल पदार्थ की जरूरत होगी.
- किसी को पिज्जा, बर्गर और आइसक्रीम जैसी स्वादिष्ठ चीजों को त्यागने की जरूरत नहीं है. आप को इस की कमी दूसरे ज्यादा प्रोटीन, फाइबर और विटामिन व मिनरल्स वाले आहार से करनी चाहिए. सोया एक ऐसा उपयोगी उत्पाद है जो सही बैलेंस उलब्ध करवा सकता है.
- आजकल प्रदूषण और सभी तरह के दूषित तत्त्वों के कारण फल, सब्जियां व अन्य चीजों में बहुत सारे माइक्रोब्स और कैमिकल होते हैं. जिन्हें धो कर बहुत हद तक कम किया जा सकता है. धो और उन्हें साफ कर इस्तेमाल करने से शरीर में कीटाणु और विषाक्त कैमिकल जाने के कारण होने वाली बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है.
बच्चों के सही विकास और बड़ों की सेहत को बनाए रखने के लिए प्रोटीन बहुत आवश्यक है. यह सब से जरूरी पोषक तत्त्व है.
- हमें उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा का सेवन करना चाहिए. दूध, अंडे और सोया उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का स्रोत हैं और यदि इन्हें दूसरे प्रोटीन वाले स्रोतों के साथ लिया जाए तो प्रोटीन की कुल गुणवत्ता में इजाफा होगा. मांस, अनाज और दालों में भी प्रोटीन होता है.
- कार्बोहाइड्रेट से हमें ऊर्जा मिलती है जो सभी स्वस्थ प्रक्रियाओं के साथसाथ शारीरिक व दूसरी गतिविधियों के लिए आवश्यक होती है. स्टार्च और शुगर से हमें कार्बोहाइड्रेट मिलते हैं.
- शक्कर से मिठास भी मिलती है, इसलिए इसे चौकलेट, केक, कैंडीज और सोडा जैसे पदार्थों को मीठा बनाने के लिए उन में डाला जाता है.
- वसा और तेल ऊर्जा का ज्यादा ठोस रूप उलब्ध करवाते हैं. यदि हम अपने शरीर की जरूरत के मुकाबले में ज्यादा वसा और कार्बोहाइड्रेट लेंगे तो हमारा वजन बढ़ जाएगा और हम मोटे हो जाएंगे.
मोटापा एक अनचाही स्वास्थ्य स्थिति है और इस से हाइपरटैंशन, हृदय रोग व मधुमेह जैसी परेशानियां भी होती हैं.
- खाने की मात्रा कम करने और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने, दोनों ही तरीकों से वजन कम किया जा सकता है.
- लोग मोटे इसलिए हो जाते हैं क्योंकि वे शरीर की आवश्यकता से अधिक खाते हैं. जब खाने में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा कम और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है तो लोग संतुष्ट होने के लिए और अधिक खाते हैं.
मांस, दूध, सोया और दालों से मिलने वाला प्रोटीन संतुष्टि प्रदान करता है.
फाइबर से पेट भर जाता है और हमारी भूख मिट जाती है. सोया, दालों और खड़े अनाजों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए ये वजन कम करने में उपयोगी होते हैं.
थोड़ीथोड़ी मात्रा में खाना खाने से भी ओवरईटिंग को कम किया जा सकता है.
सोया फाइबर का संबंध ब्लडशुगर कंट्रोल से भी होता है, इसलिए यह डायबिटीज में लाभकारी होता है.
हाई सैचुरेटेड, ट्रांस फैट और कोलैस्ट्रौल वाली खराब डाइट मोटापा, उच्च रक्तचाप और आलसीपन के कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ता है. इस के लिए धूम्रपान, शराब पीना, तनाव आदि कारण भी जिम्मेदार होते हैं.
फाइबर कोलैस्ट्रौल को कम करने में भी मददगार होता है. सोया और ओट्स जैसे फाइबर कोलैस्ट्रौल को कम करने में मददगार होते हैं, जिस से हृदय रोगों के खतरे को भी कम किया जा सकता है.
रस के मुकाबले साबुत फलों में ज्यादा फाइबर होता है.
बी कौम्प्लैक्स विटामिंस वृद्धि और विकास में बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं. इन में से अधिकतर भोज्य तत्त्वों के मेटाबौलिज्म में शामिल रहते हैं. ये जन्म के समय दिमाग व मेरूदंड के विकार से बचाते हैं.
स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए माता को सही पोषण की जरूरत होती है.
आहार में फाइबर की मात्रा को तब आसानी से बढ़ाया जा सकता है जब कोई व्यक्ति खड़े अनाजों वाले उत्पाद, जैसे होल व्हीट ब्रैड या बिस्कुट खाता है. साथ ही, डाइट में फल और सब्जियों को शामिल करने से भी यह किया जा सकता है.
अच्छी दृष्टि के लिए विटामिन ए जरूरी होता है और यह गाजर व संतरों में प्रीकर्सर कैरोटिन के रूप में मौजूद होता है.
मसाले खाने में स्वाद के साथसाथ सेहत के लिए भी बेहतर हैं. दालचीनी ब्लडशुगर को नियंत्रित करती है, हल्दी कैंसर और संक्रमणों से लड़ती है, लहसुन दिल के लिए अच्छा होता है और यह एंटीफंगल व एंटीबैक्टीरियल भी होता है.
शरीर में औक्सीजन के प्रवाह के लिए आयरन की जरूरत होती है और यह अन्य मेटाबौलिक क्रियाकलापों के लिए भी आवश्यक होता है. इस की कमी से एनीमिया और कमजोरी की समस्या होती है. मांस और मछली आयरन के अच्छे स्रोत हैं.
शाकाहारी व्यक्ति सोया, बींस, पालक, ओट्स आदि से आयरन प्राप्त कर सकते हैं.
दूध
- दूध पोषक तत्त्वों का एक बेहतरीन स्रोत होता है. लेकिन इस के खराब और संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है. इसलिए यह पाश्चुरीकृत होना चाहिए. इसे रेफ्रिजरेटेड और स्टरलाइज्ड भी होना चाहिए. इसे बंद परिस्थिति या मिल्क पाउडर के रूप में सुखा कर रखा जाना चाहिए.
- सेलमोनेला, ई कोलाई और लिस्टेरिया की उपस्थिति की वजह से कच्चे दूध के सेवन के कारण कई बीमारियां हो सकती है.
- दूध को सुरक्षित रखने के लिए उसे दही के रूप में फर्मन्टेड कर के भी रखा जा सकता है. इस के लिए लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया जैसे मिल्कफ्रैंडली बैक्टीरिया का इस्तेमाल करना चाहिए. दही में बहुत सारे विटामिन्स होते हैं.
- कुछ लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया डायरिया को कम करने, कोलोन कैंसर से बचाने आदि जैसे सेहत संबंधी फायदे भी पहुंचाते हैं. इन्हें प्रोबायोटिक्स कहा जाता है.
फाइबर कोलोन कैंसर से बचाने में भी मददगार होते हैं. सोया फाइबर से कैंसर के कम होने के प्रमाण मिले हैं.
ओमेगा 3 फैटी एसिड्स
- ओमेगा 3 फैटी एसिड्स के बहुत सारे फायदे होते हैं. यह कोलैस्ट्रौल को कम करने के साथ ही हृदय रोगों के खतरे को भी कम करता है. इस से आर्थ्रराइटिस और अस्थमा आदि का खतरा कम होने के साथ ही नवजात के मस्तिष्क का विकास भी होता है.
- मछली ओमेगा 3 का अच्छा स्रोत होती है और इसे रोज खाने की सलाह दी जाती है.
- शाकाहारी व्यक्ति सोया, सरसों के तेल, अलसी के तेल आदि से ओमेगा 3 फैटी एसिड प्राप्त कर सकते हैं.
बदलती हुई जीवनशैली के कारण हमें पैदल चलने, पार्क में समय बिताने या खेलने आदि के लिए कम समय मिल पाता है. इस के पीछे देर तक काम करना और ट्रैफिक जाम जैसे कारण भी जिम्मेदार होते हैं. इसलिए हमें घर पर ही व्यायाम करने का वक्त निकालना चाहिए.
बुजुर्ग व्यक्तियों को कम ऊर्जा की जरूरत होती है, इसलिए वे वजन को नियंत्रित रखने के लिए कम खाते हैं. इस से उन्हें विटामिंस, मिनरल्स और प्रोटीन जैसे पोषक तत्त्व कम मिल पाते हैं. सोया डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने का एक अच्छा जरिया हो सकता है.
मांसपेशियों की कमजोरी से बचने के लिए बुजुर्ग व्यक्तियों को व्यायाम करना चाहिए. सोया जैसे प्रोटीनयुक्त पदार्थ खाने के साथ ही उन्हें मांसपेशियों को ठीक रखने के लिए रेजिस्टैंस ट्रेनिंग और व्यायाम करना चाहिए.
जब खाने से पर्याप्त पोषक तत्त्व पाना मुश्किल हो तो सप्लिमैंट्स लेना जरूरी हो जाता है.
बच्चों की मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है. दूध कैल्शियम का अच्छा स्रोत है. सोया भी एक बेहतरीन स्रोत है.
महिलाओं में मीनोपौज के बाद औस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. सोया उत्पादों के सेवन से औस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम किया जा सकता है.
सोया बुजुर्ग महिलाओं में मीनोपौज के लक्षणों से उबरने में लाभकारी होता है.
बहुत ज्यादा नमक के सेवन से हाई ब्लडप्रैशर (हाइपरटैंशन) की समस्या होती है. नमक का सेवन कम करना जरूरी है. हाइपरटैंशन से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.
सोया हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मददगार होता है.
स्वस्थ जीवन के लिए नींद भी बहुत जरूरी होती है.
रात को गरम दूध पीने से अच्छी नींद आती है. इस से दिमाग को नींद बढ़ाने वाले मेलाटोनिन उत्पन्न करने में मदद मिलती है.
पर्याप्त नींद डायबिटीज, हाइपरटैंशन, हृदय रोगों और तनाव के साथ ही वजन बढ़ने के खतरे को कम करने के लिए जरूरी होती है.
किसी भी व्यक्ति को रात में भारी भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस से नींद में परेशानी आती है.
सब से बड़ी बात है कि हर समय भीड़ में या घर से बाहर मास्क पहनें और बारबार हाथ धोते रहें. कोविड आताजाता रहेगा. यह पूरी तरह समाप्त होगा, फिलहाल संभव नहीं लगता.