किसी को नया जीवन देने से ज्यादा नेक काम और क्या हो सकता है. अंगदान करने से उन हजारों लोग और उन के परिवारों को आशा की नई किरण मिल सकती है जो मुख्य अंगों के खराब होने के कारण मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं. अंगदान के माध्यम से आप अपनी मृत्यु के बाद भी इस दुनिया में जीवित बने रह सकते हैं.

एक मृत व्यक्ति के दिल, फेफड़े, लिवर, किडनी, छोटी आंत और पैन्क्रियाज का दान कर के 8 लोगों का जीवन बचाया जा सकता है. अंगदान हर जाति, रंग, लिंग और समुदाय का व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के कर सकता है. भारत में 18 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अंगदान करने का संकल्प दर्ज करा सकता है. व्यक्ति की इस इच्छा के बारे में परिवार को सूचित किया जाना जरूरी होता है.

अंगदान की जरूरत क्यों

चिकित्सा जगत में हुई उन्नति के बाद भी हर साल 4 लाख से ज्यादा लोग अंग खराब होने के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं. अंगों की उपलब्धता और प्रत्यारोपण के लिए जरूरतमंद मरीजों के बीच का अंतर पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रहा है. भारत में यह अंतर और भी ज्यादा विशाल है.

एक अनुमान से भारत में लगभग

1.8 लाख लोगों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत है लेकिन एक साल में केवल 10 हजार लोगों को ही किडनी मिल पाती है. लिवर और हृदय के प्रत्यारोपण की स्थिति भी ऐसी ही है और केवल

15 प्रतिशत लोगों को ही प्रत्यारोपण के लिए हृदय मिल पाता है.

साल 2019 में भारत में 12,666 अंगों का प्रत्यारोपण किया गया जो अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सब से बड़ा आंकड़ा है. हालांकि इन में से 80 प्रतिशत मामलों में जीवित व्यक्तियों ने अपनी किडनी और लिवर का दान किया था. जीवित व्यक्ति के अंगदान से न केवल डोनर को जोखिम होता है बल्कि व्यक्ति के जीवित होने पर केवल एक किडनी या लिवर का छोटा हिस्सा ही दान किया जा सकता है. इसलिए मृत व्यक्तियों के अंगदान की एक मजबूत अंग प्रत्यारोपण व्यवस्था की जरूरत है जिस में सभी अंग शामिल रहें.

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