राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपना कार्यकाल पूरा करने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. इस दौरान वे विवादों पर कम बोले और अपवादस्वरूप ही सरकार से असहमत हुए. यह शायद देश के राष्ट्रपति की मजबूरी भी होती है. लेकिन कांग्रेस ने जिस मकसद से उन्हें अपना आने वाला बुरा वक्त भांप कर इस पद पर बैठाया था, उस में जरूर वे सफल रहे कि सरकार मनमानी करने की हिम्मत उन के आगे नहीं कर पाई.

जो महत्त्वपूर्ण बातें प्रणब मुखर्जी ने कहीं उन में से एक यह भी है कि अब वक्त आ गया है कि संसदीय सीटें बढ़ाई जाएं. यह बात ऐसे वक्त में कही गई, जब कांग्रेस की हालत देशभर में खस्ता है जो सीटें बढ़ाने से सुधरेगी. इस का जवाब हां में दे पाना मुश्किल है पर यह तय है कि प्रणब मुखर्जी यों ही बोलने के लिए कुछ नहीं बोलते. जल्द ही भाजपा उन के इस संक्षिप्त वक्तव्य को सुझाव मानते विस्तार देने लगे तो बात हैरानी की नहीं होगी.

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