महा विकास अघाडी (एमबीए) के नेता संजय राऊत के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच तेज करने के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी से मुलाकात कर साफ साफ शब्दों में जो कहा गया है उसे आज समझना आवश्यक है.

देश के इन दो बड़े नेताओं की  इस छोटी सी मुलाकात ने देश के प्रमुख टेलीविजन और अखबारों में खूब सुर्खियां बटोरीं है.

दरअसल, महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार न बन पाने के बाद शरद पवार रांकपा, कांग्रेस और शिवसेना की सरकार गठबंधन के तहत चल रही है.

परंतु सच्चाई यह है कि  उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही सरकार केंद्र सरकार को फूटी आंख नहीं सुहा रही है. परिणाम स्वरूप देश के महत्वपूर्ण राज्य महाराष्ट्र के अलग-अलग कद्दावर नेताओं पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई और ईडी ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है.

अब हालात यह है कि सत्तारूढ़  ठाकरे सरकार ने भी इशारा कर दिया है कि अगर यह सब नहीं रुकता है तो राज्य के भाजपा नेताओं पर ठाकरे सरकार अंकुश लगाने के लिए राज्य की पुलिस व अन्य जांच इकाइयों को छोड़ देगी.

अब आप  कल्पना कर सकते हैं कि अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में जो दंगल मचेगा उसका चित्र छाया प्रति छाया कैसे दिखाई देगा.

शरद पवार की दो बातें

देश की एक समय रक्षा मंत्री रहे शरद पवार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद कहा-  संजय के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ इसलिए क्योंकि वे लिखते और आलोचना करते हैं.पवार ने कहा  कि शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत की संपत्ति को कुर्क करना उनके साथ अन्याय है. शरद पवार ने  संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय में उनसे मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच करीब बीस मिनट बातचीत हुई. दोनों नेताओं की बातचीत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से कुछ भूमि सौदों से जुड़े धनशोधन जांच में शिवसेना नेता संजय राउत की पत्नी और उनके एक सहयोगी की 11.15 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति कुर्क करने के एक दिन बाद हुई है.

शरद पवार ने स्पष्ट शब्दों में कहा  जिस तरह से संजय राउत की संपत्ति कुर्क की गई है वह अन्याय है. मैंने पीएम मोदी से कहा कि संजय राउत के खिलाफ कार्रवाई की क्या जरूरत थी ? सिर्फ इसलिए कि कभी-कभी वह लिखता और आलोचना करता है?

कुल मिलाकर देश भर में संदेश तो यही जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार देश के उन राज्यों में जहां भाजपा सरकार नहीं है के नेताओं पर कुछ इसी तरह एक्शन ले रही है.

और भी नेता जी हैं

इसी क्रम में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने  महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को उनके और अन्य के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में 11 अप्रैल तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया. अदालत ने जेजे अस्पताल में इलाज करा रहे अनिल देशमुख अस्पताल से छुट्टी मिलते ही हिरासत में भेज दिया गया.

अनिल देशमुख की सारी कहानी आज देश के सामने है मगर, महाराष्ट्र में जिस तरीके से भाजपा और अन्य प्रति पक्ष आमने-सामने है वह एक अघोषित युद्ध की तरह दिखाई देता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और गृहमंत्री अमित शाह चाहते हैं कि एन केन प्रकारेण महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो जाए साम दाम दंड भेद से सरकार बननी ही चाहिए. यही कारण है कि हर वह हथकंडा अपनाया जा रहा है जो राजनीतिक शुचिता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है.

यही हालात रहे तो आने वाले समय में देश में जो दृश्य दिखाई देंगे उस पर जनता सर पीटकर रह जाएगी कि जिस तरह राजे रजवाड़े आजादी से पहले अपनी हुकूमत कायम करने के लिए लड़ाई लड़ते थे, अब लोकतंत्र के बाद भी देश की जनता के वोटों पर विश्वास न करते हुए सत्ता पाने के लिए नेता कितना नीचे गिर सकते हैं.

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