सौजन्य: मनोहर कहानियां

Writer- शाहनवाज 

सुनीता की हत्या का पता लगाते हुए पुलिस की टीम सिंहराज तक जा पहुंची. इलाके में सब से शरीफ और ईमानदार सिंहराज ने जब अपना जुर्म स्वीकारा. हरियाणा के फरीदाबाद जिले में एक छोटे से गांव जसाना का रहने वाला 55 वर्षीय सिंहराज नागर, फरीदाबाद के सेक्टर 16 में स्थित सिटी हौस्पिटल में चौकीदारी का काम करता था. जसाना गांव से सिटी हौस्पिटल 13-14 किलोमीटर दूर था. इसलिए वह पिछले 10 सालों से साइकिल द्वारा ही अस्पताल आताजाता था.

4 जनवरी, 2022 की सुबह के करीब 7 बज रहे थे, जब सिंहराज अपने घर से ड्यूटी के लिए निकला. पौने 8 बजे के करीब वह आगरा कैनाल (नहर) के पुल से जा रहा था तो उस ने सड़क से थोड़ी दूर झाडि़यों के बीच एक युवती की लाश लटकी देखी.

यह देख तेजी से साइकिल चला रहे सिंहराज के पांव अचानक से रुक गए. पुल पर उस समय उस के अलावा और कोई नहीं था. ठंड के उन दिनों में झाडि़यों के बीच अटकी उस लाश को देख कर उस के माथे पर पसीना छलक आया था.

हलके नीले रंग का सूट सलवार पहने उस युवती की लाश को देख कर सिंहराज के मन में सवालों का बवंडर बनने लगा.

लेकिन वह ज्यादा देर तक उस जगह पर खड़ा नहीं रह सकता था. क्योंकि उसे समय पर अपनी ड्यूटी पर भी तो पहुंचना था.

सिंहराज जिस सिटी हौस्पिटल में चौकीदार था वह पिछले कुछ सालों से बंद पड़ा था, जिस की वजह से वहां मरीजों का आनाजाना बिलकुल भी नहीं था. वहां आम अस्पतालों वाली भागमभाग बिलकुल भी नहीं होती थी.

लेकिन हौस्पिटल की इमारत और आंगन में हर दिन साफसफाई होती थी, जिस के लिए सफाई करने वाले कुछ लोग अपने समय से आते थे.

हौस्पिटल पहुंच कर सिंहराज ने मेन गेट के पास अपनी साइकिल खड़ी की और वहीं मौजूद कुरसी पर बैठ गया. सुबह का समय था और कोई भी सफाई वाला उस समय तक हौस्पिटल नहीं पहुंचा था. सिंहराज अपनी कुरसी पर जम गया और सुबह वाली घटना के बारे में सोचने लगा.

जब उसे सुनीता के बारे में याद आया तो वह और भी परेशान हो गया. दरअसल, सिंहराज सुनीता को पिछले 2 सालों से जानता था और एक दिन पहले ही उस ने उसे फोन कर के अपने पास उसे पैसे लेने के लिए बुलाया था.

सिंहराज पिछले 2 सालों से हर महीने सुनीता को कुछ पैसे दिया करता था ताकि उस की कुछ आर्थिक मदद हो सके. सुनीता के बारे में सोचसोच कर सिंहराज की रूह अंदर से कांपे जा रही थी.

वह एक पल के लिए अपने मन में सुनीता के बारे में सोचता तो दूसरे पल वह झाडि़यों के बीच मौजूद उस लाश को याद कर रहा था. उस ने बिना किसी देरी के अपनी जेब से फोन निकाला और सुनीता की नानी मैना देवी को फोन किया.

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उस ने मैना देवी को पूरी बात बताई तो उस की नानी फोन पर ही रोने लगी. सिंहराज बोला, ‘‘मुझे लगता है तेरी नातिन वहां मरी पड़ी है. उसे आ कर देख जा. लगता है वो लाश उसी की है.’’

सिंहराज की बात सुन कर मैना देवी को अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ. किंतु वह करती भी तो क्या करती. मैना देवी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और उस के जीवन में सुनीता के अलावा और कोई भी नहीं था. सुनीता के मातापिता की मृत्यु उस समय हो गई थी, जब वह मात्र 6 साल की ही थी.

सिंहराज आया पुलिस के शक में

सुनीता का पालनपोषण मैना देवी ने ही किया था. मैना देवी ने अपनी नातिन के बारे में सिंहराज से सुना तो वह रोने लगी. उस के रोने की आवाज सुन कर मोहल्ले की औरतें इकट्ठी हो गईं और सुनीता की हत्या पर सभी आश्चर्यचकित थीं.

फिर मोहल्ले के एक व्यक्ति के साथ वह ओल्ड फरीदाबाद थाने में चली गई तथा पुलिस को नातिन की हत्या की जानकारी दे दी.

इस के बाद ओल्ड फरीदाबाद थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई. वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर डीएलएफ क्राइम ब्रांच पुलिस भी वहां पहुंच गई. टीम ने आगरा कैनाल के उस पुल के पास पहुंच कर मामले की छानबीन शुरू कर दी.

पुलिस ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. प्रारंभिक जांच पूरी हो जाने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

इस केस की जांच डीएलएफ क्राइम ब्रांच के एसीपी सुरेंद्र श्योरान के निर्देशन में गठित टीम ने करनी शुरू कर दी. क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर अनिल कुमार और एएसआई समुंदर सिंह ने मैना देवी के कमरे पर पहुंच कर सुनीता के संबंध में पूछताछ की.

तब वह रोते हुए बोली, ‘‘मेरी नातिन को मार दिया रे सिंहराज ने. उस ने उसे पैसे लेने के लिए बुलाया और मार दी.’’

सिंहराज की बात सुन कर पुलिस टीम ने मैना देवी से सुनीता का फोन मांगा. इस के बाद उन्होंने सुनीता के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई ताकि जांच का कोई सबूत मिल सके.

काल डिटेल्स से पता चला कि 30 दिसंबर, 2021 को सिंहराज ने सुनीता को फोन किया था. यह बात मैना देवी भी पुलिस को बता चुकी थी कि सिंहराज ने सुनीता को पैसे देने के लिए बुलाया था. क्योंकि वह हर महीने कुछ रुपए उसे सहायता के तौर पर देता था, इसलिए वह चली गई. लेकिन उस के बाद नहीं लौटी.

अब पुलिस को सिंहराज पर ही शक होने लगा. लिहाजा पुलिस ने 7 जनवरी, 2022 को पूछताछ के लिए सिंहराज को सिटी हौस्पिटल से हिरासत में ले लिया.

जब पुलिस उसे हिरासत में लेने आई तो आसपास के लोगों को यकीन ही नहीं हुआ. क्योंकि सभी की नजरों में वह एक शरीफ इंसान था. और सिंहराज जैसा भला और बूढ़ा आदमी कभी किसी को क्या चोट पहुंचा सकता था.

पुलिस सिंहराज को हिरासत में ले कर सुनीता हत्याकांड में सिंहराज की भूमिका को तलाशने में जुट गई और उस के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने लगी.

पुलिस टीम ने सिंहराज से बेहद सख्ती से पूछताछ की. उन्होंने मैना देवी से उस की बातचीत और सुनीता को काल कर पैसे देने के लिए आने की बातचीत का खुलासा किया तो सिंहराज ने खुद को चारों ओर से घिरा हुआ महसूस किया.

अंत में सिंहराज ने जब अपना मुंह खोला तो पूछताछ करने वाली टीम तो क्या जिस किसी ने सिंहराज के किस्से के बारे में सुना, उस का मुंह खुला का खुला ही रह गया.

सिंहराज पुलिस पूछताछ में ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया. उस ने सुनीता की हत्या के गुनाह को कुबूल कर लिया. लेकिन वह सिर्फ यहीं नहीं थमा. उस ने सुनीता के साथसाथ बीते 3-4 सालों में फरीदाबाद के उसी इलाके की 3 अन्य नाबालिग लड़कियों की हत्या की बात भी कुबूल कर ली. जिसे सुन कर पुलिस टीम भी चौंक गई.

वक्त गुजरने के साथसाथ मामला और भी संगीन होता चला जा रहा था. जिन हत्याओं के बारे में सिंहराज ने पुलिस के आगे अपना जुर्म कुबूला था, जब पुलिस ने उन सभी का पता लगाया तो पता चला कि ये  सभी नाबालिग लड़कियां लापता थीं.

यही नहीं, पुलिस ने जब सिंहराज के क्राइम रिकौर्ड्स खंगाले तो सब ने अपना सिर पकड़ लिया.

सिंहराज ने 1986 में जब वह सिर्फ 18 साल का था, उस समय परिवार में जमीनी विवाद के चलते उस ने अपने चाचा और उन के बेटे की हत्या की थी. जिस के लिए उसे उस समय गिरफ्तार तो किया गया था, लेकिन उस के खिलाफ पुख्ता सबूत न मिलने के कारण उसे बरी कर दिया गया था.

हद तो तब हो गई, जब सिंहराज ने अब पुलिस के सामने अपने द्वारा 36 साल पहले की गई हत्या की बात कुबूल कर ली.

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सनसनीखेज हत्याओं की वजह

सिंहराज ने इन सभी हत्याओं को अंजाम अलगअलग समय पर दिया था. और 1986 के बाद हर हत्या के पीछे उद्देश्य सिर्फ एक ही था, वह था उस की यौन इच्छाओं की भूख. जब उस ने पुलिस के सामने अपने सभी जुर्मों को कुबूल कर लिया था तो पुलिस ने एकएक कर उस से हत्याओं के बारे में पूछताछ शुरू की.

पूछताछ के दौरान उस ने पुलिस के हर सवाल का जवाब दिया. उस ने अपने द्वारा की गई पहली हत्या के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘जब मैं 18 साल का था तो उस समय हमारे परिवार में जमीन का झगड़ा शुरू हुआ. हमारे चाचा के पास पहले से ही बहुत जमीनजायदाद थी, जोकि उन्हें चाची की तरफ से मिली थी. लेकिन फिर भी मेरे बड़े चाचा की नजर हमारे दादा की जमीन पर थी जोकि पहले से ही बहुत कम थी.

‘‘मुझे इस बात की चिंता थी कि मेरे दादा की तरफ से जितनी जमीन का बंटवारा होगा, उस से हमें बहुत कम हिस्सा मिलेगा. जिस से गुजारा चलाना मुश्किल होगा. मैं ने चाचा को इस के लिए प्यार से समझाया, लेकिन वह नहीं माने. इसलिए मैं एक रात चुपके से उन के घर में घुसा और जब चाचा गहरी नींद में खाट पर लेटे हुए थे तो मैं ने पीछे से जा कर अपने गमछे से उन का गला दबा दिया.

‘‘मैं ने इतना जोर लगाया कि कोई भी उस पकड़ को मुझ से नहीं छुड़ा सकता था. चाचा कुछ तड़पे थे, लेकिन मैं ने उन के मुंह पर अपना हाथ रख लिया था ताकि शोर न हो सके. 5 मिनट तक लगातार गला दबाया और उन की जान ले ली.

‘‘फिर मैं ने सोचा कि इन के बेटे को क्यों छोड़ा जाए. झगड़े के समय वह बहुत जुबान चलाता था. मेरा गुस्सा उस पर भी उतना ही था, जितना कि चाचा पर. मैं ने अपने चाचा की ही तरह उसे भी लटका दिया. बिना शोर किए.’’

3 लड़कियों का हत्यारा निकला सिंहराज

फरीदाबाद के जसाना गांव का रहने वाला सिंहराज अपने द्वारा किए गए हत्या के राज तो इस तरह से खोल रहा था जैसे कि उस ने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की हो. इस तरह से उस ने 1986 में अपने चाचा और चचेरे भाई की हत्या की थी. उस ने बताया कि उस के बाद उस की शादी हो गई और कई सालों तक वह गांव में रह कर खेती करने लगा.

खेती करने से उस के परिवार का गुजारा नहीं हुआ. उस के परिवार में उस की पत्नी विमला देवी और 4 बच्चे थे, जिन में 2 बेटियां और 2 बेटे थे. घर में पैसा कम होने लगा तो वह अपने खेतों को बेचने लगा.

जब उस ने महसूस किया कि उस के पास संपत्ति के नाम पर सिर्फ उस का घर और कुछ जमीन बची है तो करीब 10 साल पहले यानी 2011 में वह फरीदाबाद में सेक्टर 16 सिटी हौस्पिटल में चौकीदार बन गया और यहीं काम करता रहा.

उस ने साल 2019 में पहली नाबालिग लड़की को अपना शिकार बनाया. उस ने बताया कि सिटी हौस्पिटल जहां वह चौकीदार था, उस के पास ही चौराहे पर रेहड़ी पटरी पर बंटी नाम की युवक चाय बेचता था.

बंटी के साथ उस की 14 साल की छोटी बहन प्रिया भी आती थी. वे लोग पास में लाल क्वार्टर में किराए पर रहते थे. सिंहराज हर दिन सुबह और शाम उस के पास चाय पीने जाता था. वह बंटी से हर दिन उधार चाय पीता था और बंटी के पैसे मांगने पर उसे अगले दिन पैसे देने का वादा करता था. ऐसा करते हुए बंटी के पास सिंहराज का करीब एक महीने का उधार जमा हो गया.

अगले दिन जब सिंहराज चाय पीने आया तो बंटी ने फिर एक बार उसे पैसों के लिए टोका. जिस की वजह से बंटी और सिंहराज के बीच पैसों को ले कर थोड़ीबहुत नोकझोंक हो गई.

सिंहराज को बंटी पर बहुत गुस्सा आया लेकिन उस ने अपने गुस्से को दबा कर रखा. उस ने उस के बाद बंटी के यहां चाय पीनी बंद कर दी. लेकिन जब कभी बंटी की छोटी बहन प्रिया आसपास के इलाकों में चाय दे कर हौस्पिटल के सामने से गुजरती तो सिंहराज उसे अपने पास बुलाता और उसे कुछ पैसे दे दिया करता था.

लगभग रोज वह प्रिया को अपने पास पैसे देने के बहाने बुलाता था और उस को छूता था. वह उस छोटी बच्ची के यौन अंगों को भी छू लिया करता था. 2 दिसंबर, 2019 के दिन भी उस ने यही किया. लेकिन प्रिया छोटी बच्ची होने के बावजूद उस के गंदे इरादों को समझ गई थी.

उस ने उस के पास आने से साफ इनकार कर दिया तो सिंहराज ने उसे पैसे दिखाते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं मत आ, लेकिन मेरे लिए चाय लेती आ. ये ले जा पैसे.’’

प्रिया उस के झांसे में आ गई और जब वह सिंहराज के पास गई तो उस ने उसे जकड़ लिया और उस के नाजुक अंगों को छूने लगा. प्रिया को इतना गुस्सा आया कि उस ने खुद को उस से छुड़ाते हुए कहा, ‘‘आज तो मैं भैया को सब कुछ बताऊंगी कि अंकल मेरे साथ क्याक्या करते हैं.’’

प्रिया के मुंह से यह सुन कर सिंहराज उसी पल घबरा गया. उस ने उसी समय गले में पड़े गमछे से प्रिया का गला घोंट दिया. इस के बाद उस ने उस की लाश आगरा कैनाल में डाल दी, जो बह कर कहीं दूर चली गई.

उधर जब प्रिया अचानक लापता हो गई तो उस के भाई बंटी ने ओल्ड फरीदाबाद थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

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इसी तरह से अगले साल लौकडाउन के समय जब वह इलाका जोकि पहले से ही सुनसान था, उस ने बाजार से घर जाती 12 साल की बच्ची को अपना शिकार बनाया.

12 साल की चांदनी पास के बाजार से घर जा रही थी तो सिंहराज ने उसे हौस्पिटल में अपने पास बुलाया और उस के साथ छेड़छाड़ करने लगा.

जब चांदनी ने इस का विरोध किया और अपने घर वालों को बताने की धमकी दी तो फिर से सिंहराज ने अपने गले से गमछा निकाल कर 12 साल की चांदनी का गला घोंट उसे जान से मार दिया.

उस की लाश भी आगरा कैनाल में बहा दी. थाने में चांदनी की भी गुमशुदगी दर्ज हुई थी, लेकिन पुलिस की फाइलों में यह जांच भी दब कर रह गई.

उसी तरह से सिंहराज ने पिछले साल मई 2021 में तीसरी लड़की को अपना शिकार बनाया. 15 साल की प्रेरणा जोकि सिटी हौस्पिटल में ही साफसफाई का काम करती थी, एक दिन वह अपना मेहनताना लेने के लिए थोड़ा देर से आई.

कुंठित सीरियल किलर निकला सिंहराज

उस समय पूरे अस्पताल में सिवाय सिंहराज के और कोई भी नहीं था. सिंहराज की प्रेरणा पर काफी समय पहले से ही गंदी नजर थी. उस दिन जब सिंहराज को मौका मिला तो उस ने प्रेरणा के साथ भी जबरदस्ती करनी शुरू कर दी. विरोध करने पर उस ने प्रेरणा का भी गला घोंट दिया. प्रेरणा की लाश भी आगरा नहर में फेंक दी.

अंत में उस ने 31 दिसंबर को सुनीता को अपना शिकार बनाया. दरअसल, 22 वर्षीय सुनीता के साथ उस ने 2 साल पहले ही छेड़छाड़ की थी. लेकिन सुनीता को अपना मुंह बंद करने के लिए उस ने हर महीने उसे पैसे देने का वादा किया था.

लेकिन 31 दिसंबर को उस ने सुनीता के साथ दोबारा छेड़छाड़ की तो सुनीता ने भी उस का विरोध किया. और उस ने उसी तरह सुनीता को मौत के घाट उतार दिया, जिस तरह से उस ने बाकी लड़कियों को जान से मारा था.

लाशों को इस तरह लगाया ठिकाने

सिंहराज जब हत्या करता था तो वह उन्हें ठिकाने लगाने के लिए हौस्पिटल परिसर का ही सहारा लिया करता था. सब से पहले वह लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करता, फिर वह उन्हें जान से मार देता, जिस के बाद वह लाश को हौस्पिटल के पीछे स्टोररूम में रखता, उन्हें स्टोररूम में ही बोरे में डाल देता और अपनी साइकिल की मदद से उसे सुबहसुबह आगरा कैनाल में फेंक आता.

सिंहराज ने प्रिया, चांदनी और प्रेरणा की लाश को आगरा कैनाल के बहते हुए पानी में फेंक कर ही उन्हें ठिकाने लगाया था. लेकिन वह सुनीता के शव को बहते पानी में नहीं फेंक पाया था.

दरअसल, सिंहराज की बढ़ती उम्र और सुनीता के शव का वजन बहुत ज्यादा था. वह सुनीता के शव को फेंक तो आया था, लेकिन किसी कारणवश सुनीता का शव झाडि़यों में ही अटक कर रह गया.

सुनीता के अटके शव की वजह से ही सीरियल किलर सिंहराज का खुलासा हो पाया अन्यथा फरीदाबाद क्राइम ब्रांच, एसआईटी टीम, एनडीआरएफ की टीम ने मिल कर आगरा कैनाल में काफी दूर तक छानबीन की, लेकिन 3 लाशें नहीं मिल पाईं.

यह मामला सिर्फ सुनीता की हत्या से शुरू हुआ था, लेकिन यह इतना बड़ा मामला बन गया, जिस में 3 नाबालिग लड़कियां भी इस का शिकार हुई थीं. आरोपी सिंहराज की हवस की शिकार हुई इन चारों लड़कियों के परिवारों को अब इंसाफ मिलने की उम्मीद है.

आरोपी सिंहराज इस समय सलाखों के पीछे है और उस पर कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं. सिंहराज पर आईपीसी की धारा 363, 66, 376, 302, 201, पोक्सो एक्ट (8 और 17) और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में चांदनी, प्रेरणा, प्रिया, सुनीता परिवर्तित नाम हैं.

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