शायद आपको पता नहीं हो, मगर यह सच है कि जिस दिन से पांच राज्यों का चुनाव का आगाज हुआ है देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में मानो ब्रेक लग गया है.

इसका सीधा सा मतलब यह है कि केंद्र सरकार यह जब कहती है कि पेट्रोल-डीजल के दाम हमारे हाथों में नहीं है यह तो कंपनियां तय करती है, तो वह सफेद झूठ कहती है.

हम आपको अभी से बताते चलें कि जैसे ही उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्य की विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे पेट्रोल डीजल के दाम फिर बढ़ने लगेंगे.

इस घटनाक्रम से संपूर्ण सत्य का उद्घाटन हो जाता है और सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की भाजपा सरकार का एक ऐसा सच उद्घाटित होता है जिससे यह पता चलता है कि एक रणनीति के तहत सारा खेल चलता रहता है. और भोले भाले नागरिक, अंधभक्त किसी दूसरी दुनिया में विचरण करते रहते हैं.

हम अगर यह कहे कि महंगाई एक सच है तो फिर सरकार को  भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए कि वह देश की आम जनता को यह समझा सके कि सच क्या है और राहत भी दे सकें. इसके लिए एक चुनी हुई सरकार को ईमानदार सरकार की भूमिका का निर्वहन करना होगा.

आम जनमानस को यह महसूस होना चाहिए कि चुने हुए प्रतिनिधि सच्चे अर्थों में हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, हमारे सुख दुख में भागीदार हैं. हमारे हित में निर्णय कर रहे हैं मगर आजादी के बाद धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई है और हमारे जनप्रतिनिधि 5 साल तक हमसे दूर दूर रहते हैं चुनाव आते ही हमारे सबसे बड़े वेलविशर हो जाते हैं.

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मंहगाई को रोकने के उपाय….

अब एक नया संकट सामने आ गया है-  रूस यूक्रेन के बीच शुरू हो रहा युद्ध. इससे देश दुनिया की आर्थिक स्थिति पर खासा असर दिखाई देने वाला है.

यूक्रेन पर रूस के हमले से बने दुनियावी हालात को देखते हुए कच्चे तेल की कीमत पहले नौ वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. इससे आपको को महंगे पेट्रोलियम उत्पादों का बोझ तो उठाना ही पड़ेगा. और दूसरी महंगाई के लिए भी अब आपको तैयार हो जाना चाहिए.

दरअसल, रूस प्रतिदिन पैंसठ लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात करता है और दुनिया भर में कुल गैस का सत्रह फीसद उत्पादन अकेले दम रूस करता है. अब हम देश की यानी घरेलू स्तर पर इसके असर की बात करें तो आम  आदमी को महंगे पेट्रोल-डीजल एवं महंगी रसोई गैस के लिए अपनी जेब हल्की करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए.

देश में अभी बड़ी ही चतुराई के साथ महंगाई को रोक के रखा गया है याने की केंद्र सरकार महंगाई के भूत से भयभीत है यह जानती है कि मतदान के समय तक महंगाई को रोक कर रखा जाए जैसे ही मतदान समाप्त होगा महंगाई आपके सर पर डोलने लगेगी.

दरअसल,पांच राज्यों के चुनाव के बाद तुरंत तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें अवश्य बढ़ाएंगी,बस अब देखना यह है कि सारा बोझ एक साथ जनता पर पड़ेगा या यह दिन प्रतिदिन बढ़ेगी .

महंगाई तो सुरसा की तरह  खड़ी है मगर आम जनता के लिए सरकार क्या राहत ला रही है यह हमें देखना है.

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राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को एक रास्ता दिखाया है पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करके उन्होंने एक तरह से बाजी मार ली है.

अब यह परिपाटी सबको स्वीकार करनी चाहिए देश की सभी राज्य सरकारों से अपेक्षा है कि वे पुरानी पेंशन का प्रावधान लागू करने की व्यवस्था अवश्य करें, जिसे जनवरी 2022 से पहले से लागू किया जाए, तो काफी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. वर्तमान पेंशन व्यवस्था सभी के लिए काफी दुखदाई है और किसी को भी इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

देश में महंगाई जिस तो है सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है उसी प्रकार नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार को भी चाहिए कि महंगाई रोकने के उपाय करें जनता को राहत दे.

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