मगर, आज इस रिपोर्ट को पढ़ने के पश्चात आप यकीनन यह बात मानेंगे कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी अक्सर अपनी पीठ थपथपाने में यकीन रखते हैं. अगर इस रिपोर्ट को पढ़ने के पश्चात संपूर्ण व्यक्तित्व पर निगाह डाली जाए तो आप बड़ी आसानी से इसे तल्खी से महसूस कर सकते हैं. यह एक बहुत बड़ा सच है-देश में कहीं भी कोई चुनाव हो, पास आते आते तो आप अपनी पूरी ताकत लगाने में कोई गुरेज नहीं करते, कहीं पर भी बाज नहीं आते और अगर पीठ थपथपाने का कोई रिकॉर्ड ना हो तो यह बन सकता है और और अगरचे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में बन गया होगा तो वह मिस्टर प्रधानमंत्री के इस कवायद से टूट भी सकता है.
अरे हो…पेट भरता नहीं!
अमिताभ बच्चन की आठवें दशक में एक पिक्चर आई थी जिसमें एक गीत था-” अरे हो, ऊंची ऊंची बातों से किसी का पेट भरता नहीं…”
हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी भाषण भी इतनी ऊंची ऊंची पिलाते हैं कि सुनने में तो अच्छा लगता है मगर जब हम उसके भीतर प्रवेश करते हैं तो हमें अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है. सब कुछ समझने के लिए आग्रह है कि नीचे के अंश ध्यान से पढ़ें-
उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर के मोदी साहब ने जो कहा है उसकी एक राष्ट्रीय अखबार में बानगी कुछ ऐसी है-
ये भी पढ़ें- चुनावी सपने में कृष्ण
-“उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान में भाजपा के प्रति जनता के उत्साह को ‘जबरदस्त’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दावा किया कि इस बार चुनावों में भाजपा की जीत के पुराने रेकार्ड टूट जाएंगे.”
आगे रिपोर्ट में कहा गया है-“
उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में अल्मोड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जनता कभी अच्छे काम करने वालों, अच्छे इरादों और नेकनीयत वालों का साथ कभी नहीं छोड़ती. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि विरोधियों ने हमेशा कुमाऊं और गढ़वाल की लड़ाई कराने की कोशिशें की हैं ताकि इन दोनों जगहों के लोगों पर ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर दोनों जगहों को ‘लूट’ सके और जबकि केंद्र और उत्तराखंड की भाजपा की डबल इंजन की सरकारों ने और कुमाऊं के विकास के लिए डबल काम किया.”
प्रधानमंत्री पद की गरिमा होती है मगर जिस तरीके से चाहे पश्चिम बंगाल का चुनाव हो या फिर बिहार का अथवा अभी पांच राज्यों में हो रहे चुनाव की परिदृश्य को हम देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के साथ जगह-जगह पहुंचकर के चुनाव अभियान की कमान संभाले हुए हैं. और आप कांग्रेस पर लूट का आरोप लगा रहे हैं वह भी देश की एक राजनीतिक पार्टी पर, प्रधानमंत्री अगर कांग्रेस पर लूट का आरोप लगाते हैं और कभी पलटकर कांग्रेस यह कहें कि आप लूट रहे हो तो फिर क्या होगा?
ये भी पढ़ें- नरेंद्र दामोदरदास मोदी और संसद का आईना
दरअसल,इस चुनावी दंगल के मुद्दे पर चुनाव आयोग की भी खूब आलोचना हो रही है मगर वह मौन है. प्रधानमंत्री मोदी यह भूल जाते हैं कि वह प्रधानमंत्री है और प्रधानमंत्री के नाते जब कहीं चुनाव प्रचार में जाते हैं तो पूरी भारत सरकार एक तरह से चुनाव प्रचार में लग जाती है जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्य जनक है. इसे चुनाव आयोग व देश की उच्चतम न्यायालय को संज्ञान लेते हुए रोकना चाहिए.
धन्य है हमारी संवैधानिक संस्थाएं
आज जब देश में आजादी की अमृतवेला का ढोल पीटा जा रहा है और जब हम पांच राज्यों के चुनाव का अवलोकन करते हैं तो स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है कि हमारे यहां चुनाव किस तरह प्रभावित किए जा सकते हैं. किसी व्यक्ति संस्था के लिए कही कोई मर्यादा, नियम कानून दिखाई नहीं देता. अगर कुछ है भी तो उसका पालन करने के लिए कोई सत्ता धारी और पदाधिकारी तैयार नहीं है. नैतिकता को तो मानो चौराहे पर फांसी लगा दी गई है.
यही कारण है कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी कहते हैं-
जो दृश्य मैंने देखा है, उससे साफ है कि इस चुनाव को भाजपा से ज्यादा जनता लड़ रही है. भाजपा को दोबारा जिताने के लिए माताएं, बहनें, नौजवान और किसानों ने कमर कस ली है. उत्तर प्रदेश में बृहस्पतिवार को पहले चरण के मतदान में भाजपा के प्रति वातावरण को ‘जबरदस्त’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कल जो मतदान हुआ है उसमें भाजपा पुराने सारे रेकार्ड तोड़कर जीतने वाली है. अल्मोड़ा में मौजूद लोगों की भीड़ से उत्साहित मोदी ने कहा कि यह दिखाता है कि फिर एक बार भाजपा सरकार बन रही है.
ये भी पढ़ें- चुनाव और प्रलोभन: रोग बना महारोग
हे जनता जनार्दन हम तो आपसे आग्रह करते हैं कि पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं इन चुनावों में भाजपा को जिताने की अपील करना अलग बात है मगर दावे के साथ यह कहना कि भाजपा की सरकार बन रही है इसका सीधा मतलब है कि आपको भगवान ने दिव्य दृष्टि दे दी है या फिर आप अतिशयोक्ति पूर्ण बातें कर रहे हैं. दोनों ही बातें गलत है.
आगे नीर छीर के साथ निर्णय लेना आपका काम है.