बाजरा उत्पादन में राजस्थान अग्रणी राज्य है. बाजरा उत्पादन के लिए शुष्क व उष्ण जलवायु की जरूरत होती है. राजस्थान की जलवायु बाजरे की खेती के लिए ठीक है. बाजरा खाने में स्वादिष्ठ और पौष्टिक होता है. इस में लौह तत्त्व, प्रोटीन, कैल्शियम व कार्बोहाइडे्रट की अच्छी मात्रा पाई जाती है. प्रति 100 ग्राम बाजरे में तकरीबन 361 किलो कैलोरी ऊर्जा, 68 ग्राम कार्बोहाइडे्रट, 12 ग्राम प्रोटीन, 8 मिलीग्राम लौह तत्त्व, 5 मिलीग्राम वसा व 42 मिलीग्राम कैल्शियम जैसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं.

अगर बाजरे के व्यंजन घरों व बाजार में मिलने लग जाएं, तो पोषण के लिहाज से इसे आहार में मुख्य स्थान दिया जा सकता है, क्योंकि बाजरे से कुछ ही व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे बाजरे की रोटी, खिचड़ी, राबड़ी व चूरमा आदि, जो ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं द्वारा बनाए जाते हैं, जबकि शहरों में इन विशेष व्यंजनों के बनाने के तरीके की कमी के चलते बाजरे के व्यंजन ज्यादा प्रचलित नहीं हैं.

पोषण के साथसाथ गुणवत्ता भी भरपूर आमतौर पर घरों में जिन व्यंजनों को अन्य अनाज (गेहूं) से बनाने का प्रचलन है, अगर उस की जगह पर बाजरे का इस्तेमाल किया जाए तो व्यंजन के पोषक तत्त्व भी बढ़ जाएंगे और कुपोषण की स्थिति भी नहीं आएगी. यहां कुछ इस तरह के व्यंजन बताए जा रहे हैं, जिन में मैदा, सूजी, बेसन व गेहूं के आटे के बजाय बाजरे का उपयोग किया जाएगा व उस व्यंजन के स्वाद, रूप व गुण में कोई फर्क नहीं आता, बल्कि उस के पोषक मूल्य बढ़ जाते हैं. महिलाओं व बच्चों में पाई जाने वाली खून की कमी पर कंट्रोल करने के नजरिए से इस प्रोजैक्ट के द्वारा बाजरे की नई किस्म के क्लस्टर प्रदर्शन भी किसानों को दिए गए हैं.

बाजरे से बनाए जाने वाले कुछ खास व्यंजनों की विधि इस प्रकार है:

1 बाजरा बिसकुट

सामग्री :

बाजरे का आटा, पिसी चीनी, रिफाइंड तेल/घी, दूध, बेकिंग पाउडर, अमोनिया पाउडर, इलायची, वनिला एसैंस 3-4 बूंदें. बाजरा बिसकुट का पोषक मूल्य : ऊर्जा 346.25 कैलोरी, प्रोटीन 4.07 ग्राम, लौह तत्त्व (आयरन) 3 मिलीग्राम.

विधि :

बाजरे के आटे में बेकिंग पाउडर डाल कर अच्छी तरह छानें.  तेल या घी ले कर उस में पिसी चीनी मिला कर फेंटें. जब तक कि चीनी पिघल कर मिक्स न हो जाए तब तक.

घी व चीनी के तैयार मिश्रण में छना हुआ बाजरे का आटा मिलाएं. वनिला एसैंस व अमोनिया पाउडर डाल कर दूध की मदद से आटा गूंदें.

मोटाई रखते हुए बिसकुट कटर से अंडाकार, गोल या चौकोर आकार में काटें व चिकनाई लगी ट्रे में बिसकुट रखें.

ओवन में 190 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान पर 14-15 मिनट तक बेक करें.

2 बाजरे का केक

सामग्री :

बाजरे का आटा, मैदा, चीनी, मिल्क पाउडर, घी/तेल, वनिला एसैंस 5-6 बूंदें, बेकिंग पाउडर, सोडा. बाजरे के केक का पोषक मूल्य : ऊर्जा 685.2 कैलोरी, प्रोटीन 14.52 ग्राम, लौह तत्त्व (आयरन) 3.41 मिलीग्राम.

विधि : 

मैदा, बाजरे का आटा, मिल्क पाउडर, बेकिंग पाउडर व सोडा को मिला कर एकसाथ अच्छी तरह छानें.  घी या तेल में चीनी मिला कर अच्छे से फेंटें, ताकि चीनी व घी एकसार हो जाएं, फिर आटे का मिश्रण मिलाएं. द्य घोल को चम्मच से गिराने पर रिबिन 1 बैल्ट जैसी परत बने तो घोल तैयार है.

केक के टिन में चिकनाई लगा कर घोल उस में डालें व पहले से गरम किए ओवन में 170 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान पर 40 मिनट तक बेक करें.

केक को ठंडा कर के ही परोसें.

3 बाजरे की मठरी

सामग्री :

बाजरे का आटा, मैदा, हरी मेथी के पत्ते, अजवाइन, नमक स्वाद के मुताबिक, तेल तलने के लिए. बाजरे की मठरी का पोषक मूल्य : ऊर्जा 390.25 कैलोरी, प्रोटीन 1.6 ग्राम, लौह तत्त्व (आयरन) 3.5 मिलीग्राम.

विधि : 

बाजरे का आटा व मैदा को छान कर उस में नमक, हरी मेथी के पत्ते व अजवाइन को मिला लें. आटे में थोड़े तेल का मौयन डाल कर पानी से सख्त आटा गूंदें.

आटे के छोटेछोटे गोले बना कर पतली रोटी बेल कर चाकू से मठरी काट लें. द्य तेल गरम कर कम आंच पर मठरियों को सुनहरा होने तक तलें. ठंडा कर मठरियों को एयर टाइट डब्बों में रखें.

4 बाजरे का खाखरा

सामग्री :

बाजरे का आटा, गेहूं का आटा, नमक व लाल मिर्च स्वादानुसार, सूखी हरी मेथी के पत्ते. बाजरे के खाखरा का पोषक मूल्य : ऊर्जा 105.3 कैलोरी, प्रोटीन 3.55 ग्राम, लौह तत्त्व (आयरन) 2 मिलीग्राम.

विधि :

बाजरे का आटा व गेहूं के आटे को मिला कर छान लें.

आटे में लाल मिर्च, नमक व हरी मेथी के पत्ते मिला कर सख्त आटा गूंद लें.  आटे का छोटा गोला बना कर पतली रोटी बेल लें.

अब तवे पर इस रोटी को कम आंच पर कपड़े के दबाव से करारी सेंकें. और ठंडा होने पर एयर टाइट डब्बे में पैक कर लें.

इसलिए ज्यादा पॉपुलर नहीं है बाजरा

बाजरे के अधिक प्रचलित न होने की खास वजह इस में पाई जाने वाली ज्यादा वसा है. बाजरे का आटा व इस से बने उत्पाद जल्दी खराब हो जाते हैं.

बाजरे का आटा लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए ब्लांचिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक में बाजरे को कपड़े की पोटली में बांध कर 1-2 मिनट तक उबलते हुए पानी में डुबोएं व तत्काल ठंडे पानी में डुबो कर निकालें. पानी पूरा निकालने के बाद उसे धूप में सुखा कर काम में लें. इस प्रक्रिया से उच्च ताप के कारण एंजाइमों के बुरे असर रुक जाते हैं और बाजरे के आटे को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

अंकुरण द्वारा भी बाजरे को अधिक पौष्टिक, स्वादिष्ठ व पाचक बनाया जा सकता है. बाजरे को अंकुरित कर के फ्रिज में 4-5 दिन तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है. बाजरे के अलगअलग व्यंजन बना कर उन्हें खाने में शामिल कर लौह तत्त्व की कमी को दूर किया जा सकता है.

लेखक-राजाराम बुनकर, प्रतिभा, विनय कुमार

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