लेखक-अशोक गौतम

रिटायरमैंट है ही ऐसी चीज, न उगली जाए न निगली जाए. समझ नहीं आता कि खुश होएं या दुखी? भई, भोलाराम को तो इस रिटायरमैंट ने खड़ेखड़े तारे दिखा दिए. जो भी हो, अब उसे सारे गुणाभाग सम?ा आने लगे हैं. आह! वाह! मु?ा भोलाराम, वल्द लेट डोलाराम, के रिटायरमैंट की कब्र में पांव ही नहीं, पूरे अंगप्रत्यंग लटक चुके हैं. अब मु?ो किसी का भी खुदा मरने से तो बचा सकता है पर रिटायर होने से नहीं. औफिस वालों की तरफ से 6 महीने पहले ही बाकी सारे काम छोड़ मेरी पैंशन के कागज हैडक्वार्टर को भेजे जा चुके हैं ताकि कल को मैं कहीं से कुछ गड़बड़ न कर पाऊं.

मैं नैतिकअनैतिक तौर पर एक्सटैंशन के लिए थके हाथपांव न मार पाऊं. सब फाइनल होने के बाद भी हर रोज रिटायरमैंट की कब्र में इंचइंच जाते अपने को बाहर निकालने की बेकार की कोशिश करतेकरते मेरी टांगें थक चुकी हैं. कहते हैं न, ‘रिटायरमैंट है तो एक्सटैंशन है.’ इसी चालू फितरती कर्मचारियों द्वारा गड़े सूत्रवाक्य को रटता एक्सटैंशन को ले कर जितना हांफ सकता था, उस से अधिक हांफ चुका हूं. जिसजिस के पास भाग सकता था, चोरीछिपे भाग चुका हूं. वैसे बंधुओ, काम करने वालों को सरकार से एक्सटैंशन मिली ही कब है? एक्सटैंशन तो उन्हें मिलती है जो व्यवस्था को टैंशन में रखते हैं. अब तो थकहार कर जहां इज्जत रहते फजीहत से अधिक हाथपांव नहीं मारने चाहिए थे वहां भी अपनी सारी फजीहत त्याग मारी.

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जिस तरह बकरीद के महीने में जिन बकरों की आयु भी पूरी नहीं होती, वे भी डरे होते हैं, उन से भी अधिक ज्ञात डर से बेकार में डर, अपनी सरकारी आयु पलपल पूरी होते देख बहुत डरा हुआ हूं. काश, व्यवस्था को आगे बढ़ने से रोकने वाली फाइलों को रोकने वाला अपनी सरकारी सेवानिवृत्ति की आयु भी रोक पाता. मित्रो, अब पता चल रहा है कि आदमी की आयु 2 तरह की होती है. एक वह जिसे सरकार तय करती है, दूसरी वह जिसे तथाकथित भगवान तय करता है. अब तो जब देखो दिन के 12 बजे भी दफ्तर की कुरसी पर बैठे हुए भी घर के कामों के बुरेबुरे सपने आते हैं. तो, जागा होने के बाद भी किसी ज्ञात भय से अचानक जाग जाता हूं, जैसे किसी ने सोए के मुंह पर तेजाब के छींटे डाल दिए हों. मित्रो, चंद ही दिनों में घर के कामों की ओखली में गंजा सिर जाने वाला है. दुआ करो कि मूसल प्यार से पड़ें.

बीवी को मेरा सिर भी अपना सा सिर लगे. उसे भी ज्ञात रहे कि सिर में मूसल पड़ने से कितना दर्द होता है. इधर जब से उस ने मेरी पैंशन के कागजों में लगने वाली फोटो मु?ो गालियां देते हुए खिंचवाई है उसी दिन से वह रोज वक्त मिलते ही घर के एक नए काम का डेमो दे रही है, यह कहते हुए कि 45 साल तक उस ने बहुत करवाए महरी से घर के काम, अब जब मैं रिटायर हो रहा हूं तो सारा दिन घर में दफ्तर की तरह पसरापसरा क्या करूंगा? सरकारी दफ्तर में सरकार सारा दिन कुरसी पर पसरे रहने की पगार दे तो दे, पर जो घर के कामों में मैं ने तनिक भी कोताही की, तो चाय भी न देगी. काम नहीं, तो चाय नहीं. घर से महरी को हटानेभगाने की मुहिम नीचे ही नीचे चल रही है. वह मेरा मुंह ताक रही है, तो मैं उस का. बहुधा हम कितने परवश होते हैं कि चाह कर भी एकदूसरे का मुंह ताकने के सिवा और कुछ नहीं कर सकते.

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घर में बारबार यह प्रश्न मु?ो चिढ़ाता हुआ तैर रहा है कि जब घर में महरा आने वाला हो, तो बाहर की महरी क्यों? पता नहीं चल रहा कि मैं अपनी इस रिटायरमैंट पर खुश होऊं या रोऊं? क्योंकि अब मैं वेतनभोगी से पैंशनभोगी होने जा रहा हूं. सुविधाभोगी से असुविधाभोगी होने जा रहा हूं. आदमी को एक जिंदगी में पता नहीं क्याक्या भोगी नहीं होना पड़ता. काश, वह कभी कर्मभोगी भी हो पाता. हे मेरे तथाकथित शुभचिंतको, बहुत सी प्रसन्नताओं के साथ प्रसन्नताओं से भी बड़ा एक दुख बस यही है कि अपनी सामर्थ्य से अधिक दौड़भाग के बाद भी अपनी नजरों में अपनी बची नाक चाक करने के बाद भी मैं, भोलाराम, अपने को रिटायरमैंट की कब्र में न जाने की एक्सटैंशन की कोशिशों के बाद भी स्वयं को रिटायरमैंट की कब्र में जाने से न रोक सका. इस बाबत कइयों से मिला. कइयों के आगे गिड़गिड़ाया. कइयों के आगे छटपटाया कि, ‘भैया, रिटायरमैंट की कब्र में पल छिन समाते को जरा और मौजमस्ती करने हेतु एक्सटैंशन दे दो, पर कोई नहीं माना. कारण, सब के अपनोंअपनों के पांव रिटायरमैंट की कब्र में जा रहे थे. सो, वे दीनहीन हो दोनों हाथ जोड़े, बस, यही निवेदियाए, ‘देखो मित्र, हमें तुम से बहुत हमदर्दी है कि तुम न चाहते हुए भी रिटायर हो रहे हो. रिटायरमैंट की कब्र तुम्हारे लाख कोशिश करने के बाद भी तुम्हें मुसकराते हुए खींच रही है.

पर क्या करें? अब हम तुम्हें रिटायरमैंट की कब्र में समाने से रोकें या अपनों को? नौकरी सत्य हो या न, पर रिटायरमैंट परमसत्य है. आदमी को एक न एक दिन तो संसार से भी रिटायर होना ही पड़ता है. ऐसे में समय के भीतर नौकरी से रिटायर हो जाओ, तो आगे रिटायर होने पर परेशानी न होगी,’ और वे मु?ा से यह परमसत्य कह अपनों के एक्सटैंशन के कागज बगल में दबाए आगे हो लिए. तो मित्रो, मैं जल्दी ही रिटायर होने जा रहा हूं. अपने कुछ खास ‘दोस्त’, जिन्होंने नौकरी में रहते मौका मिलते ही मेरी पीठ थपथपाते मेरी जड़ें काटने की पूरी कोशिश की, रिटायरमैंट एक्सपर्ट हो रिटायरमैंट के बाद आने वाले बुरे दिनों की अपने रिटायर हुए बापों के रिटायरमैंट की बाद के दर्दभरे किस्सेकहानियां दिल खोल कर मु?ो सुनाते, हंसते हुए मुंह में असली एक भी दांत न होने के बाद नकली दांत सगर्व दिखाते मेरे हौसले को तोड़ने में जुटे हैं. एक तो पहले ही बीवी द्वारा घर के कामों की रोज शाम मु?ो दी जा रही ट्रेनिंग मेरा अंगअंग तोड़ रही है,

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ऊपर से मेरे ये ‘हिमायती’ दोस्त. मुझे कभी के भूल चुके रिश्तेदार अब मु?ो प्रत्यक्षअप्रत्यक्ष अपनी आर्थिक तंगियां बतानेगिनाने लगे हैं. मुझे चाटने के लिए मिसरी सनी जीभें लपलपाने लगी हैं. ज्योंज्यों मेरी रिटायरमैंट की घड़ी नजदीक आ रही है, उन के फोनों की संख्या बढ़ती जा रही है. वे अब दिन में चारचार बार मेरा कुशलक्षेम पूछने लगे हैं, एक सौ एक प्रतिशत मेरे हो कर. रिटायर होता मरा हुआ भोलाराम रिश्तों में एक बार फिर लहलहाने लगा है. वे जानते हैं कि मु?ो थोड़ाबहुत जीपीएफ, ग्रैच्युटी, मरने के लाख मौके आने के बाद भी उन्हें न अवेल करने के एवज में इंश्योरैंस का पैसा, लीव इनकैशमैंट जैसा कुछ मिलेगा. कुछ मेरे खास रिश्तेदारों ने तो मेरे औफिस से चोरीछिपे यह भी पता कर लिया है कि मुझे  रिटायर होने के बाद कितना मिलेगा. कल तक मुझे हवा में उड़ाने वाले मेरे रिश्तेदार अब अपने को मेरे सामने उड़ते हुए दिखाने लगे हैं. रिटायरमैंट की दहलीज पर बैठा पता नहीं क्यों जिंदगी में पहली बार चिंतनमनन करता अपने को कोस रहा हूं कि काश, उस दिन मैं ने अपने 8 फेल दोस्त के लाख कहने के बाद उस की पार्टी जौइन करने के बदले यह सरकारी नौकरी जौइन न की होती.

अब सोच कर पछता रहा हूं कि शादी के बाद मेरी दूसरी सब से बड़ी गलती यही थी जिसे शायद भगवान, यदि है तो, भी माफ न करे. वह 8 फेल आज भी 60 वर्ष का होने के बाद भी 30 वर्ष का सा लाल और मैं… काश, उस वक्त उस की बात मान लेता तो आज मुझे  रिटायरमैंट का यह दिन न देखना पड़ता. इसलिए मु?ो बेराजगारों से अपने 58 साल के निचोड़रूप में, बस, यही कहना है कि रिटायरमैंट की मृत्युतुल्य पीड़ा से बचने के लिए नौकरी के पीछे भागना छोड़ राजनीति के पीछे भागें. द्य इन्हें आजमाइए ? साइकोलौजी कहती है यदि आप अपना आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते हो तो लाल और काले रंग के कपड़े ज्यादा पहनो क्योंकि इन दोनों कपड़ों से आत्मविश्वास बढ़ता है. ?

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हमेशा अपने मोबाइल पर ही न बिजी रहें. जब परिवार के साथ हों या वाक वगैरह पर जाएं, तो बेहतर होगा कि मोबाइल स्विच औफ कर दें. ? डिनर 8 बजे तक कर लें. जल्दी खाने की आदत से भोजन सही तरह से पचता है. अगर आप देर रात तक जागते हैं तब आप रात को भूख महसूस होने पर फ्रूट सलाद ले सकते हैं. ? पढ़नेलिखने वाले बच्चों को 11 बजे तक सो जाना चाहिए. कम से कम 6-7 घंटे की नौन स्टौप नींद लेनी चाहिए, इस से ब्रेन सही से काम करता है फुल एनर्जी के साथ. ? फर्न का पौधा कमरे की हवा को साफ करने और तरोताजा करने के साथसाथ गरमी को कम भी करता है. अपनी बालकनी में फर्न का पौधा रखें. यह बहुत अच्छा दिखता है. ? लड़के लड़की को इंप्रैस कर उसे दिल से अपना बनाना चाहते हैं तो डिजिटल संदेश भेजने के बजाय उसे अपने हाथ से लिखा कार्ड या खत भेजें. लड़कियों को यह अच्छा लगता है और उन्हें स्पैशल महसूस होता है.

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