धान के लिहाज से यह महीना खास है. इस महीने के दूसरे हफ्ते तक धान की नर्सरी डालने का काम निबटाएं. धान की नर्सरी डालने के लिए उम्दा किस्म का चयन करें. सही किस्म की जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र की मदद लें. रोपाई 15-20 सैंटीमीटर के फासले पर सीधी लाइन में करें. धान रोपाई यंत्र से भी रोपाई की जा सकती है. उस से रोपाई करने पर अच्छी पैदावार भी मिलती है.
अगर गन्ने के खेतों में खरपतवार नजर आएं, तो निराईगुड़ाई कर के उन्हें निकालें. वैसे भी बरसात के दिनों में सभी फसलों में खरपतवार अधिक पनपते हैं, इसलिए उन को खेत से निकालना जरूरी है.
इसी महीने अरहर की भी बोआई की जाती है. बोआई करने से पहले बीजों को उपचारित करना न भूलें. अरहर बोने के लिए 15 से 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई में 50 सैंटीमीटर का फासला रखें और सीधी रेखा में बोआई करें. आप के इलाके में बाजरा, ज्वार की खेती होती है, तो मानसून की पहली बरसात होने के बाद इन की बोआई करें.
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मूंगफली की बोआई भी जून में निबटा लेना मुनासिब होता है. बोआई सीधी रेखा में 50 सैंटीमीटर के फासले पर करें. इन दिनों अगर मूंग, उड़द की फसल पूरी तरह से पक चुकी हो, तो उस की कटाई का काम निबटाएं. सोयाबीन की खेती करना काफी फायदे का सौदा होता है. अगर आप के इलाके में सोयाबीन की खेती अच्छी होती है, तो माहिरों की राय ले कर इस की बोआई करें. कृषि वैज्ञानिकों से सोयाबीन की उम्दा किस्मों की जानकारी मिल जाएगी.
15 जून के बाद सूरजमुखी की बोआई की जा सकती है. यह फसल भी काफी फायदे की होती है.
कपास के खेत सूखने लगें, तो सिंचाई कर दें. सिंचाई के अलावा कपास के खेत की निराईगुड़ाई कर के खरपतवार निकाल दें. अगर पौधों में कीटों या रोगों के लक्षण नजर आएं, तो रोकथाम करें. इस महीने शरदकालीन बैगन की नर्सरी डालें. बोआई के लिए अच्छी किस्म के बीजों का चुनाव करें.
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अगर लहसुन की फसल तैयार हो गई है, तो खुदाई का काम खत्म करें. खुदाई के बाद फसल को 2-3 दिनों तक खेत में ही सूखने दें. चौथे दिन लहसुन की गड्डियां बना कर उन्हें छाया में ही रखें. मिर्च के खेतों में निराईगुड़ाई कर के खरपतवार निकालें. जरूरत के मुताबिक सिंचाई भी करें. अगली फसल के लिए मिर्च की नर्सरी डालें.
तुरई की पहले डाली गई नर्सरी की पौध तैयार हो गई होगी. तैयार पौधों की रोपाई करें. हलदी और अदरक के खेतों में भी जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें और खरपतवार न पनपने दें. रामदाना मोटे अनाज वाली फसल है. आजकल मोटे अनाज वाली फसल से अच्छा मुनाफा भी मिलता है. रामदाना की बोआई मध्य जून तक कर लें.
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जून की गरमी और बरसात से अपने पशुओं को बचाने का पूरा बंदोबस्त करें. बरसात के समय में कीड़ेमकोड़ों का भी अधिक डर रहता है. उन से बचाव का भी ध्यान रखें. गायभैंसों को दिन में धूप से बचाएं. कई बार बरसात होने के बाद कड़ी तेज धूप निकलती है. अगर इन दिनों आप के पशुधन वगैरह बीमार नजर आएं, तो उन्हें डाक्टर को जरूर दिखाएं. समय पर इलाज बहुत जरूरी है.