देश में जब भी खराब हालात रहे हैं, लोगों को कभी बंदी, कर्फ्यू या लौकडाउन का सामना करना पड़ा है. उस दौर में लोगों को सिर्फ एक ही चीज की ज्यादा जरूरत पड़ी है वह है, खानेपीने की वस्तुएं. कोरोना के चलते लगे लौकडाउन ने लोगों में इस चीज का एहसास ज्यादा कराया है कि खाने के लिए अनाज और सब्जियों का समय पर मिलना कितना जरूरी है. इस दौर में शहरों में रह रहे लोगों को भी सोचने को मजबूर कर दिया है, क्योंकि उन के पास इतनी जमीनें तो होती नहीं हैं कि वे अपने खानेभर के लिए अनाज उपजा पाएं.
लेकिन शहरों में रह रहे कुछ लोगों के पास घर के दायरे में इतनी जगह जरूर होती है, जिसे वह किचन गार्डन के रूप में उपयोग कर ताजा और रसायनमुक्त सब्जियां और फल उपजा कर अपनी रोज की जरूरतों को न केवल पूरा कर सकते हैं, बल्कि लौकडाउन जैसे हालात में सब्जियों की किल्लत से भी नजात पा सकते हैं. घर बनाने से पहले छोड़ें किचन गार्डन का हिस्सा अगर आप हर रोज ताजा और हरी सब्जियों के खाने के शौकीन हैं, तो आप के लिए किचन गार्डन सब से मुफीद तरीका हो सकता है. बस इस के लिए आप को घर का प्लान करते समय ध्यान देने की जरूरत होती है.
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आप जब भी घर बनवाने की सोचें, तो अपने आर्किटैक्ट को बोल कर कुछ खाली हिस्से को किचन गार्डन के लिए जरूर छोड़ दें. आप द्वारा किचन गार्डन के लिए छोड़ी गई थोड़ी सी जमीन आप को हर साल हजारों रुपए का फायदा करा सकती है. गमले भी हो सकते हैं किचन गार्डन का हिस्सा जिन लोगों के घरों में सब्जियां उगाने के लिए खाली जमीन नहीं है, वे भी घर पर किचन गार्डन बना कर सब्जियां उगा सकते हैं. इस के लिए गमले का इस्तेमाल किया जा सकता है. गमलों में सब्जियां उगाने के पहले उस में भरी जाने वाली मिट्टी को तैयार कर लेना चाहिए. इस के लिए मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद, वर्मी कंपोस्ट या नाडेप कंपोस्ट को अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए.
इस के बाद ही गमले में मिट्टी को भरा जाना चाहिए. गमले में लगाई जाने वाली सब्जियों के मामले में यह ध्यान दें कि एक बार में ही खत्म हो जाने वाली सब्जियों की जगह उन में मौसमी सब्जियों को उगाएं. गमले में सब्जी बीज बोने से पहले यह तय कर लें कि आप अच्छी किस्म के बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं. गमले में उगाए जाने वाले सब्जी के मामले में इस बात का खास ध्यान देना होता है कि उस में ली जाने वाली सब्जी के पौधे और जड़ों का फैलाव ज्यादा न हो, इसलिए उन्हीं सब्जियों को लगाना चाहिए , जो कम जगह घेरती हों. गमलों में लगाई गई सब्जियों को छत के ऊपर या खिड़कियों और दरवाजों के पास आसानी से रखा जा सकता है. इन्हें एक जगह से दूसरी जगह भी ले जाया जा सकता है. इस से गमले में लगाए जाने वाले पौधों को सूरज की रोशनी दिखाना और पानी देना भी आसान होता है.
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किचन गार्डन के लिए इन सब्जियों का करें चयन आप मौसम को ध्यान में रख कर अपने किचन गार्डन के लिए सब्जियों का चयन करें. बारिश के शुरुआत में यानी जूनजुलाई महीने में बैगन, मिर्च, खीरा, तोरई, लोबिया, बरसाती प्याज, अगेती फूलगोभी, लोबिया, भिंडी, अरवी, करेला, लौकी, टमाटर, कद्दू की रोपाई या बोआई की जा सकती है. वहीं रबी सीजन के शुरुआत में यानी अक्तूबरनवंबर माह में चौलाई, लहसुन, टमाटर, भिंडी, बींस, गांठ गोभी, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, बैगन, सोया, पालक, चुकंदर, मूली, मेथी, प्याज, लहसुन, फूल गोभी, गाजर, शलगम, ब्रोकली, सलाद पत्ता, बाकला, बथुआ, सरसों साग जैसी सब्जियों की बोआई या रोपाई की जा सकती है.
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जायद के सीजन यानी फरवरीमार्च माह में घीया, तोरई, करेला, टिंडा, खीरा, लौकी, परवल, कुंदरू, कद्दू, भिंडी, बैगन, धनिया, मूली, ककड़ी, हरी मिर्च, खरबूजा, तरबूज, राजमा, ग्वार जैसी सब्जियों की बोआई कर सकते हैं. इस के अलावा नीम, तुलसी, एलोवेरा, गिलोय, पुदीना, अजवायन, सौंफ, मीठी नीम, अदरक को भी किचन गार्डन में उगाया जाना आसान है. इन के साथ ही हम मौसमी फूलों के पौधों की रोपाई कर घरघर की खूबसूरती में भी चार चांद लगा सकते हैं. जिन के पास पर्याप्त मात्रा में किचन गार्डन के लिए जमीन उपलब्ध हो, वे सब्जियों के साथ फलदार पौधे जैसे पपीता, केला, नीबू, अंगूर, अमरूद, स्ट्राबैरी, रसभरी, अनार, करौंदा आदि रोप कर आसानी ताजा फल हासिल कर सकते हैं.