मुझे किडनी की शिकायत होने पर चिकित्सक के परामर्श के कारण पीने के पानी पर खास सख्ती बरती गई थी. रक्षाबंधन पर मेरी बहन ख्याति राखी बांधने आई, मैं ने राखी बंधवा ली और शगुन भी दिया. जब वह जाने लगी तब मैं ने कहा, ‘‘कंजूस, मिठाई या मेवा कुछ तो खिला दे.’’ तभी उस ने पानी का गिलास मेरे हाथ में थमा दिया और चली गई. मैं आश्चर्यचकित हो कर मुसकरा कर रह गया.    

– कैलाश बिंदल

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मेरी एक मौसीसास हैं, जो बहुत बुजुर्ग हैं. उन की जवानी के समय की बात है. मौसाससुर उन दिनों तहसीलदार थे. इसलिए मौसीजी की अपनी सहेलियों में बड़ी प्रतिष्ठा थी. मौसीजी की अंगरेजी सीख कर अपनी सहेलियों में रोब झाड़ने की तमन्ना  थी. एक दिन उन्होंने अपने एक भांजे से पूछा कि किशोर, अंगरेजी में मक्खियों को क्या  कहते हैं और मच्छरों को क्या कहते हैं? किशोर बड़ा नटखट था, वह बोला, ‘‘मौसीजी मक्खियों को बफैलो (भैंस ) कहते हैं और मच्छरों को एलीफैंट (हाथी).’’ दूसरे दिन मौसी जी जब सहेलियों में बैठीं तो बोलीं कि भई, गरमी के दिन हैं तो दिन में बफैलो चैन नहीं लेने देतीं और रात को एलीफैंट सोने नहीं देते. सब सहेलियां एकदूसरे का मुंह देखती हुई चुप रहीं.

रात में जब यही वाक्य मौसीजी ने मौसाजी के सामने कहा तो उन्होंने चौंक कर पूछा कि क्या तुम्हें इस का मतलब पता है? मौसीजी ने मुसकरा कर उत्तर दिया, ‘‘अरे, मक्खियां और मच्छर जो कि दिन और रात को बड़ा तंग करते हैं. मौसाजी बोले कि तुम्हें यह अंगरेजी जरूर किशोर ने सिखाई होगी चूंकि वे किशोर की आदत से वाकिफ थे. जब उन्होंने बफैलो और एलीफैंट का अर्थ समझाया तो मौसीजी सिर पकड़ कर बैठ गईं.   

– कृष्णा मेहता

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मेरे नन्हीं सी बच्ची पैदा हुई थी. एक दिन मैं घर के बाहर सब्जी के ठेले वाले से सब्जी खरीद रही थी. बैगन खरीदने पर उस ने तौल में एक छोटा बैगन दिया. मेरे बड़ा बैगन मांगने पर उस ने कहा, ‘‘बहनजी, बैगन के साथ एक उस का बच्चा भी ले लो.’’

तभी मैं ने तपाक से उत्तर दिया, ‘‘अरे भैया, मैं इस बच्चे का क्या करूंगी. मैं ने तो अभीअभी बच्चा जना है.’’ मेरा यह वाक्य सुन वहां खड़े सभी लोग हंसने लगे. जब मुझे अपनी कही बात का अर्थ समझ में आया तब मेरा चेहरा शर्म के मारे झुक गया था.

– शैलजा सक्सेना

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