कभी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे दलित नेता गायत्री प्रजापति की फर्श से अर्श तक पहुंचने और फिर अर्श से फर्श पर आ गिरने की कहानी काफी दिलचस्प है.ब्रश-पेंट का डब्बा हाथ में उठाये गली-गली काम ढूंढने वाला एक दलित युवक देखते ही देखते कैसे एक बड़े राज्य का खनन मंत्री बन गया? सुबह शाम दो निवाला रोटी को तरसने वाला उसका परिवार कैसे अरबों-करोड़ों की संपत्ति का मालिक हो गया? ये बातें अचंभित करने वाली तो हैं ही, यह बताने के लिए काफी हैं कि देश की राजनीति में भ्रष्टाचार और लूट का खेल किस चरम बिंदु को छू रहा है.

दलित तबके को देश की राजनीति में भागीदारी करने का मौक़ा आज भी कम ही मिलता है, मगर अफ़सोस, कि जब मिलता है तो वह समाज में अपनी बिरादरी के अगुआ बन कर उन्हें जिल्लत और गरीबी की जिन्दगी से उबारने की बजाय वे राजनीति पर कब्ज़ा जमाय सवर्णों की चरणवंदना और चाटुकारिता करके अपनी और अपने परिवार की तिजोरियां भरने में जुट जाते हैं.गायत्री प्रजापति तो दो कदम और आगे निकले हुए नेता हैं, जिन्होंने ना केवल गरीबों के पैसे लूट कर अपनी तिजोरियों में भरे, बल्कि औरत को अपनी दासी समझने वाले सवर्णों की आदतें भी अंगीकार करते हुए अपनी ही जाति की महिलाओं की इज्जत तार-तार करते रहे.गायत्री प्रजापति पर साईकिल चोरी से लेकर सामूहिक बलात्कार में शामिल होने तक के मुक़दमे दर्ज हैं.उनकी रासलीलाओं की कहानियां अमेठी की जनता चटखारे ले-लेकर सुनाती है.

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गायत्री प्रजापति का राजनितिक और आपराधिक इतिहास खंगालने से पहले बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की लखनऊ यूनिट के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. राजेश्वर सिंह के नेतृत्व में गायत्री प्रजापति की करोड़ों रूपए मूल्य की चल-अचल संपत्तियां जब्त की गयी हैं और इस मामले में आरोपपत्र अदालत में दाखिल हो चुका है.जब्त की गई अचल संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 55 करोड़ रुपये है.गायत्री के परिवारीजन के 32 बैंक खाते व 17 संपत्तियां अटैच की गई हैं, जिनकी कीमत करीब 11.70 करोड़ रुपये है.कुछ बेनामी संपत्तियां भी अटैच की गई हैं.इसमें सात बैंक खाते व 17 अचल संपत्तियां शामिल हैं.इनकी कुल कीमत 2.77 करोड़ रुपये है.वहीं, गायत्री की कंपनियों के 12 बैंक खाते व 26 अचल संपत्तियां अटैच की गई हैं, जनकी कीमत 22.47 करोड़ रुपये है.जिन कंपनियों की संपत्तियां अटैच की गई हैं, उनमें एमजीए कालोनाइजर्स, एमजीए हास्पिटैलिटी सॢवसेज, एमएसए इंफ्रावेंचर, एमजीएम एग्रोटेक, कान्हा बिल्डवेल, दया बिल्डर्स, एक्सेल बिल्डटेक, लाइफक्योर मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड व गुरुनानक कोल्ड स्टोरेज शामिल है.प्रवर्तन निदेशालय की जांच में गायत्री प्रजापति और उनके परिवार को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.

जॉइंट डायरेक्टर डॉ. राजेश्वर सिंह

जॉइंट डायरेक्टर डॉ. राजेश्वर सिंह कहते हैं – गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी जो वर्ष 2012 तक सिलाई कढ़ाई का काम करके मात्र 10-15 हजार रुपये महीना कमाती थी, उसने 2013 में महाराष्ट्र के लोनावला में एक आलीशान बंगला खरीदा.पढ़ाई कर रहीं प्रजापति की दो बेटियां अचानक प्रॉपर्टी डीलिंग का बड़ा धंधा करने लगीं.साल 2013 से 2017 के बीच प्रजापति की पत्नी और दोनों बेटियों के खाते में देखते ही देखते छह करोड़ 60 लाख रुपये जमा हो गए।’

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गौरतलब है कि पिछले साल 30 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने लखनऊ और अमेठी में गायत्री प्रजापति के घर, दफ्तर के साथ ही कानपुर में उसके चार्टर्ड अकाउंटेंट के घर पर छापेमारी कर काफी दस्तावेज जब्त किये थे.इस छापेमारी के दौरान लखनऊ, कानपुर, अमेठी समेत कई शहरों में करीब 100 कीमती सम्पत्तियों के दस्तावेज मिले थे.इन संपत्तियों में लोनावला के 5 रॉ हाउस और मुंबई के 4 फ्लैट भी शामिल हैं.इतना ही नहीं दफ्तर से 11.50 लाख रुपये के पुराने नोट और 4.5 लाख के स्टांप पेपर भी मिले थे.इस छापेमारी के बाद ही प्रवर्तन निदेशालय ने गायत्री प्रजापति को 18 फरवरी 2021 से कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की थी.

ईडी के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. राजेश्वर सिंह कहते हैं, ‘हमारी जांच में सामने आया है कि गायत्री ने तमाम शेल कंपनियों के जरिए अपनी कंपनियों में करोड़ों रुपयों का निवेश कराया और फिर उस रकम के जरिए बड़ी बड़ी अचल संपत्तियां खरीदी गईं.गायत्री व उनके परिवारीजन ने आय से कई गुना अधिक कीमत की संपत्तियां खरीदी हैं.हमारी जांच अभी जारी है.जल्द गायत्री की मुंबई, लखनऊ समेत अन्य शहरों में काली कमाई से जुटाई गई संपत्तियों को अटैच किया जाएगा.हमने गायत्री के खिलाफ कोर्ट में प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिसमें उसकी अकूत संपत्तियों का काला चिट्ठा खुलकर सामने आया है.फिलहाल गायत्री प्रजापति की 36.94 करोड़ों की चल-अचल संपत्ति को हमने अटैच किया है.शैल कंपनी के 57 खातों में कुछ करोड़ हैं.इसके अलावा गायत्री की 60 संपत्तियों को जब्त किया गया, जिसकी कीमत 33.54 करोड़ रुपए है.इन संपत्तियों की कीमत मौजूदा समय में 55 करोड़ रूपए आंकी गयी है।’

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फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों पर सम्पत्तियों की खरीद 

प्रवर्तन निदेशालय की जांच में पता चला है कि गायत्री की सम्पत्तियों के भुगतान का काफी विवरण फर्जी है, बैंकिंग चैनलों से ऐसा कोई भुगतान नहीं किया गया था.वहीं उनकी बेटियां जो अभी भी पढ़ रही हैं और उनका कोई कारोबार नहीं है, उनके बैंक एकाउंट्स में भी करोड़ों रूपए जमा हैं.सिलाई-कढ़ाई करने वाली उनकी हाउस वाइफ की इनकम टैक्स रिटर्न के पेपर कहते हैं कि उन्होंने करोड़ों रूपए अदा किये हैं.गायत्री के मंत्री बनने के तुरंत बाद उनके स्वयं और परिवार के सदस्यों और उनकी कंपनियों के बैंक खातों में भी करोड़ों रूपए आने शुरू हो गए.वर्ष 2013 से 2016 के बीच उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में कुल 6.60 करोड़ रुपए कैश जमा कराए गए.उनके दोनों बेटों और बहुओं ने भी अपनी अच्छी-खासी अघोषित आय घोषित की थी.मार्च 2017 में सामूहिक बलात्कार के केस में गायत्री के जेल जाने के बाद भी उनकी पत्नी और बेटियों के सभी बैंक खाते संचालित होते रहे.यही नहीं गायत्री प्रजापति ने अपने परिजनों के अलावा नौकरों के नाम पर भी कई बेनामी सम्पत्तियाँ खरीदी, जिनका भुगतान कैश में किया गया.गायत्री प्रजापति के ड्राइवर द्वारा पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग करके अधिकांश संपत्ति खरीदी गई थी.गायत्री प्रजापति के निर्देश पर उसके इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल किए गए।

बेटे को ट्रांसफर किए शेयर
इस पूरी जांच को संचालित करने वाले जॉइंट डायरेक्टर डॉ. राजेश्वर सिंह बताते हैं, ‘वर्ष 2013 में मंत्री बनने के बाद गायत्री प्रजापति ने अपनी कंपनी एमजीए कॉलोनाइजर्स में अपने शेयर अपने बेटे अनुराग को हस्तांतरित कर दिए और खुद इस्तीफा दे दिया.यह एक बहाना था और कंपनी पर वास्तविक नियंत्रण गायत्री द्वारा बरकरार रहा.मंत्री बनने के तुरंत बाद उनका बेटा कई कंपनियों में निदेशक बन गया, और उसने कई संपत्तियां खरीदीं.मार्च-2014 में अनुराग द्वारा पांच नई कंपनियां भी बनाई गईं और विभिन्न शेल कंपनियों से बिना किसी व्यापारिक संबंध या समझौते के बहुत बड़ी धनराशि प्राप्त की.ऐसी शेल कंपनियों द्वारा लगाए गए धन को संबंधित संस्थाओं और उनके बेटों के व्यक्तिगत खातों के बीच घुमाया गया और अंत में संपत्तियों की खरीद और आगे के निवेश के लिए इस्तेमाल किया गया।

बाप की तरह बेटे पर भी है रेप का आरोप
गायत्री प्रजापति के दो बेटे हैं और दो बेटियां.उसके दो बेटों के नाम 20 से ज्यादा कंपनियां हैं, जिसमें वे अरबों रुपए के मालिक हैं.दोनों बेटों की पढ़ाई अमेठी में हुई है.दोनों ने बीए किया है.बड़ा बेटा अनुराग पिता के साथ ही कमीशन एजेंट के तौर पर काम करता था.अनुराग पर अमेठी की रहने वाली एक लड़की ने 2014 में रेप का आरोप लगाया था.उसके ख‍िलाफ कार्रवाई करने की कई स‍िफारिशें की गईं लेकिन गायत्री की हनक के चलते पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की.बताया जाता है क‍ि बाद में परिवार पर दबाव बनाकर लड़की और उसके परिवार को शांत कराया गया।

दस साल में आम से ख़ास हो गए प्रजापति 

उत्तर प्रदेश की राजनीति का दलित नेता गायत्री प्रजापति एक ऐसे निर्धन परिवार से था, जहाँ दो वक़्त की रोटी जुटाना भी उसके पिता को मुश्किल लगता था.अमेठी के एक दूरदराज के गाँव परसावा में सुकई राम कुम्हार के घर जन्मे गायत्री ने अपने पूरे बचपन और किशोरावस्था में घोर गरीबी को देखा भी है और जिया भी है.उनके पिता सुकई राम मिट्टी के बर्तन बना कर किसी तरह अपने नौ बच्चों का लालन-पालन करते थे.परिवार का अधिकाँश वक़्त फांको में गुज़रता था.ऐसी निर्धनता के बीच गायत्री प्रजापति ने जैसे-तैसे प्राइमरी की शिक्षा गांव के स्कूल में हासिल की और इंटर मीडिएट की परीक्षा राजघराने के अमेठी में बने इंटर कॉलेज से दी.इसके बाद बीए की पढ़ाई उन्होंने कांग्रेस नेता डॉ. संजय सिंह के पिता के नाम पर स्थापित डिग्री कॉलेज से पूरी की.

किशोरावस्था से ही गायत्री पढ़ाई के साथ-साथ बिल्डिंगों की पेंटिंग का काम भी करने लगे ताकि फीस के रूपए जुटाए जा सकें.ये अस्सी के दशक की बात है.इसी बीच उनको हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, कोरवा में 1985 से 1990 तक पेंटिंग का लंबा काम मिल गया.बिल्डिंग पेंटिंग के साथ-साथ प्रजापति ने अमेठी के एक दबंग लेखपाल अशोक तिवारी के साथ दोस्ती गाँठ ली.अशोक और गायत्री ने मिलकर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम भी शुरू कर दिया.अशोक से दोस्ती घनी हुई तो गायत्री का प्रॉपर्टी का कारोबार भी परवान चढ़ने लगा और दोनों ने मिलकर सरकारी दस्तावेज़ों में हेरफेर के ज़रिये कई सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लिया.अशोक तिवारी आज भी प्रजापति का करीबी है और सामूहिक बलात्कार केस में सहआरोपी है.

इसी दौरान एक मामूली पेंटर मगर बातचीत में माहिर प्रजापति की राजनितिक महत्वकांक्षाएं उबाल मारने लगीं.1993 में पहली बार बाल्टी चुनाव चिन्ह पर वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अमेठी सीट से चुनावी रण में कूद पड़ा.इस चुनाव में गायत्री को मात्र 578 मत हासिल हुए, मगर हौसला ठंडा नहीं पड़ा.1996 तक गायत्री नगर पंचायत अमेठी व नवोदय विद्यालय में रंगाई-पुताई का काम करते रहे।
अशोक तिवारी से मिलने के बाद गायत्री का प्रॉपर्टी का धंधा चमक रहा था कि इसी बीच लखनऊ में शहीद पथ के निकट गायत्री ने 250 बीघे जमीन का सौदा अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह और विकास वर्मा के सहयोग से रायबरेली की एक पार्टी के साथ डील कर डाली.इसी डीलिंग के दौरान लखनऊ में गायत्री की मुलाकात प्रजापति समाज के अध्यक्ष दयाशंकर प्रजापति से हुई, जिन्होंने बैक डोर से गायत्री प्रजापति को मुलायमसिंह यादव के परिवार तक पहुंचा दिया.1994 में प्रजापति ने सपा का दामन थाम लिया और उसकी निष्ठा को देखते हुए उसे युवजन सभा के प्रदेश सचिव का पद दिया गया.

1996 में पहली बार गायत्री समाजवादी पार्टी से टिकट पाने में सफल हो गए.सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले गायत्री को तब 27234 मत मिले.धीरे-धीरे गायत्री ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायमसिंह यादव के काफी ख़ास हो गए.यादव की चरण वन्दना करना, उनके आगमन पर भीड़ जुटाना, खाने पीने का बंदोबस्त करना गायत्री ने अपने ऊपर ओढ़ लिया.मुलायमसिंह भी गायत्री की सेवाओं से प्रसन्न रहने लगे.2012 के विधानसभा चुनाव मेंगायत्री को फिर टिकट मिला और इस बार वह अमेठी सीट से पूर्व मंत्री अमीता सिंह को हराकर विधायक बन गए.जहां पहले उन्हें सिंचाई और बाद में कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए खनन और काफी विवादों के बाद परिवहन मंत्री बनाया गया.मुलायम के बेटे अखिलेश यादव के सरकार में भी गायत्री प्रजापति का काफी दबदबा रहा.मात्र दस साल में देखते ही देखते गायत्री प्रजापति लखपति से करोड़पति और अरबपति बनते चले गए.लेकिन सत्ता, ग्लैमर और हनक के साथ उनका दामन अपराध के अनगिनत दागों से भर गया.आज प्रजापति मनी लॉन्ड्रिंग, आय से अधिक संपत्ति और सामूहिक बलात्कार जैसे संगीन मामलों के आरोपी हैं.

 

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