बाॅस के साथ अच्छे और विनम्र संबंधों को हिंदुस्तान में बड़ी सहजता से चापलूसी का नाम दे दिया जाता है. लेकिन यह सरलीकरण है. निःसंदेह कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपनी नकली विनम्रता के जरिये बाॅस को खुश करने की कोशिश करते हैं. लेकिन ऐसे लोग हमेशा कामयाब नहीं होते. क्योंकि अपनी कंपनी सफलतापूवर्क चलाने वाला कोई शख्स इतना बेवकूफ नहीं होता कि उसे वास्तविक विनम्रता और चापलूसी में फर्क न पता चले. बहरहाल अगर आप कॅरियर में कामयाब और कार्यस्थल में लोकप्रिय होना चाहते हैं तो इस बात को अच्छी तरह से समझ लीजिए कि आपके लिए कार्यस्थल में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति आपका बाॅस है.

इसलिए जरूरी है कि अपने बाॅस को गंभीरता से लें. उससे संबंध बेहतर बनाने का प्रयास करें, क्योंकि अगर आपके अपने बाॅस से रिश्ते अच्छे होंगे तो दफ्तर में आपका काम पर मन लगेगा. कार्यक्षेत्र में आपको सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होगी. इसके उलट यदि आपके अपने बाॅस से रिश्ते अच्छे नहीं हैं, तो वह न सिर्फ आपके काम में बार बार कमियां निकालकर आपको डांटेगा बल्कि आपका खुद दफ्तर में काम में मन नहीं लेगा. नतीजा आप अपना टारगेट पूरा नहीं कर पायेंगे और इससे पैदा हुई हताशा के चलते तनाव से भर जाएंगे.

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दुनिया में ऐसा कोई शख्स नहीं है जिस लेकर किसी को कोई शिकायत न हो. इसलिए आपको भी अगर अपने बाॅस से इस तरह की शिकायतें हैं कि मेरा बाॅस हमेशा टेलीफोन पर बातें करता रहता है, मैं जब भी अपना काम खत्म करता हूं तो बाॅस गायब हो जाता है, बाॅस मेरी बात सुनता ही नहीं, वह हमेशा मुझे डांटता रहता है वगैरह वगैरह. इन शिकायतों के बावजूद कोई भी प्रबंधन विशेषज्ञ आपको अपने बाॅस के साथ सहयोग का सम्बंध विकसित करने की ही सलाह देगा. इस हकीकत को जानते हुए कि बाॅस भी आखिरकार इंसान है. अगर वह किसी दिन ज्यादा नाराज हो जाए तो उसका बुरा नहीं मानना चाहिए. किसी न किसी दिन तो उसका भी मूड खराब हो सकता है.

मनोविज्ञान और व्यवहारिक समझदारी दोनो का ही मानना है कि किसी भी व्यक्ति से अच्छे संबंध बनाने के लिए उसकी पसंद और नापसंद को जानना-समझना भी जरूरी है. इस बात का अपवाद बाॅस भी नहीं होता. मसलन, अगर आपके बाॅस इकलौती बेटी के पिता हैं तो यह जाहिर है कि वह उसे बहुत प्यार करते होंगे, बेटी उनकी कमजोरी भी होगी. इसलिए आपको यह जान लेना चाहिए कि बातचीत में किसी न किसी तरह बाॅस की बेटी का जिक्र उन्हें खुश करने के लिए काफी होगा. लेकिन बाॅस को खुश करने के लिए इस सरलीकरण पर ही निर्भर न रहें. स्थायी रूप से बाॅस की नज़रों और उनकी गुडबुक में जगह बनाने के लिए यह समझें कि आखिर उनके लिए सबसे बड़े मुद्दे क्या हैं?

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एक बार आपको इन मुद्दों का पता चल जाए और आप बाॅस की मदद करने की कोशिश करें तो फिर यदि आप मदद नहीं भी कर पाते, तब भी बाॅस आपके लिए अच्छी भावनाएं रखेंगे, आप बाॅस की गुडबुक का हिस्सा हो जाएंगे. बाॅस को खुश रखने का एक तरीका यह भी है कि हमें मालूम हो कि आखिर बाॅस को कब, किस किस्म की जानकारी की जरूरत होती है? अगर आपको एक बार यह बात पता चल जाये तो फिर आप बाॅस के लिए सर्वाधिक उपयोगी हो सकते हैं. लेकिन यह बात भी ध्यान में रखें कि कोई भी बाॅस अपनी दुनिया में किसी का अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं चाहता. इसलिए बिन मांगी सलाहों और अनावश्यक सहायताओं से भी बचें. ऐसे अनावश्यक हस्तक्षेप और बिन मांगी सलाहें व हस्तक्षेप आपको बाॅस की निगाहों में गिरा भी सकते हैं जैसे निशा के साथ हुआ.

निशा दिल्ली की एक म्यूजिक कंपनी में आफिस असिस्टेंट है. 27 वर्षीय निशा सुंदर है, स्मार्ट है, अपने काम में माहिर है. वह अपने दफ्तर में ही नहीं, जहां जाती है अपनी शख्सियत से सबको प्रभावित करती है. बावजूद इसके न तो उसे आसानी से तरक्की मिलती है और न ही प्रशंसा के दो बोल. आखिर क्यों? उससे पूछिये तो वह छूटते ही कहेगी, ‘मेरे बाॅस मुझे पसंद ही नहीं करते.’ लेकिन अगर निशा के बाॅस से जानिये तो कहानी कुछ और पता चलेगी वह कहते हैं, ‘निशा मेरी पसंदीदा कर्मचारी नहीं है. अपनी वर्तमान स्थिति के लिए वह खुद जिम्मेदार है. वह निरंतर ऐसे काम करती है, जिनके बारे में किसी ने उसे आदेश नहीं दिया होता और न ही कोई चाहता है कि वह उन कामों को करे.’

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निशा के बाॅस के पास निशा के तमाम गैरजरूरी काम गिनवाने के लिए हैं. मसलन दीवाली में वह कंपनी के कई क्लाइंटों के पास गिफ्ट लेकर खुद ही पहुंच जाती है, जबकि यह काम कोरियर कंपनी या फिर कंपनी के चपरासियों का है. निशा क्लर्काें के काम में हस्तक्षेप करके उन्हें फाइलिंग करना सिखाती रहती है. निशा को जो कागजात फोटाकाॅपी कराने के लिए दिये जाते हैं, उनका वह गहराई से अध्ययन करने लगती है और अगर किसी कागज में उसे कोई कमी महसूस होती है तो वह उसे ठीक करने में झिझकती नहीं है. ऐसा करके वह समझती है कि उसका बाॅस उससे बहुत खुश होगा, उसकी तरक्की हो जाएगी, जबकि निशा के बाॅस को उसकी ये हरकतें खुश करने के बजाय गुस्सा दिलाती हैं. आॅफिस में हमेशा प्राॅपर चैनल का इस्तेमाल करना चाहिए. कंपनी प्रबंधकों का मानना है कि गैरजरूरी दखलंदाजी से अक्सर सुपरवाइजरों के समक्ष दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं.

आज व्यापार में टाइट बजट और कमरतोड़ कंप्टीशन का माहौल है ऐसे में निशा का ही नहीं किसी का भी महत्वाकांक्षी हस्तक्षेप बहुत गंभीर भूल है. इससे कोई भी बाॅस नाराज होगा. कंपनियां स्टाफ को कम करने के दौर से गुजर रही हैं. बेरोजगारी इतनी है कि एक वैकेंसी के लिए अर्जियों का अम्बार लग जाता है. ऐसे में किसी कर्मचारी को उन लोगों को नाराज नहीं करना चाहिए जिनके पास उसे काली सूची में रखने की ताकत हो. फिर भी निशा जैसी हरकतें बहुत से कर्मचारी करते हैं और ऐसे कर्मचारियों से कोई भी बाॅस खुश नहीं रहता. बाॅस की गुडबुक में रहने के लिए जरूरी है कि हम यह जानें कि हमारे बाॅस की कार्यशैली क्या है? फिर उनकी वरीयताओं के हिसाब से ही काम करें. अगर बाॅस को साप्ताहिक मीटिंग पसंद है तो उसे ही वरीयता दें. अगर उन्हें रोजाना वार्तालाप करना पसंद है तो वैसा ही करें यानी हर सूरत में बाॅस का अनुसरण करें.

अपने को बाॅस के मुताबिक एडजस्ट करना यह बात किसी का भी दिल जीत लेती है. याद रखिए अगर आप चाहते हैं कि आपका बाॅस आपसे खुश रहे तो कभी भी कोई काम उसकी इजाजत के बिना न करें. अपने अधिकार क्षेत्र को समझें और उसके दायरे के भीतर ही रहें. इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि आप पहेली का सिर्फ एक हिस्सा हैं. आपके हिस्से में बाॅस का जितना समय आता है, उतना ही लें. पर हां, समस्याओं को बाॅस के दरवाजे पर न पटक दें बल्कि मुद्दे को प्रस्तुत करके उसके हल की अपनी योजना भी प्रस्तुत करें. अपने बाॅस को हर बात की सूचना दें. कोई बाॅस अंधेरे में नहीं रहना चाहता. आगे बढ़कर अपने बाॅस के यश को छीनने का प्रयास न करें. संपर्क या संचार के जो भी माध्यम स्थापित किए गये हैं, उनका सम्मान करें. ऐसा करने से आपसी विश्वास बढ़ता है. …और हां! अपने बाॅस से बातें करते समय ‘मैं’ की जगह ‘हम’ शब्द का इस्तेमाल करें. अक्सर देखा जाता है कि हर बाॅस का अपना कोई न कोई रिसोर्स पर्सन होता है. वास्तव में यह वही व्यक्ति होता है, जिससे बाॅस दफ्तर में  सबसे ज्यादा खुश रहते हैं. इसलिए अपने बाॅस का सबसे अच्छा रिसोर्स पर्सन बनने का प्रयास करें. साथ ही वफादार और निष्ठावान रहें.

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