अथर्व 3 साल का है. वह कार्टून चैनल का इतना दीवाना है कि उसे उस समय कुछ भी खिला दिया जाए, वह खा लेता है. लेकिन उस समय कोई उस से कुछ बात करे या मम्मी एक मिनट के लिए भी टैलीविजन के सामने आ कर खड़ी हो जाएं तो वह रोने लगता है. यही नहीं इतनी सी उम्र में वह कार्टून के पात्रों की तरह ऐक्टिंग करने लगा है. उन की तरह ही बोलता व चलता है. कई बार तो वही मांगता है जो टीवी के विज्ञापनों में दिखाया जाता है. वह टीवी से इतना अधिक प्रभावित है कि स्कूल भी वह इस शर्त पर जाता है कि वापस आ कर वह सिर्फ टीवी देखेगा.

8 वर्षीय राहुल के लिए टीवी सब से अच्छा टाइमपास है. ‘बोर हो रहा हूं’ कह कर वह जबतब टीवी से चिपक जाता है. उसे अगर बाहर खेलने के लिए जाने को कहा जाता है तो वह कहता है कि वह खेलने के बजाय टीवी देखना पसंद करेगा. कार्टून के अलावा वह मम्मी के साथ बैठ कर सीरियल भी देखता है और फिल्में भी. लेटैस्ट फिल्म का गाना उस की जबान पर रहता है और विज्ञापनों में खोया रहता है. उसे लगता है कि विज्ञापन में दिखाए जाने वाले प्रोडक्ट्स ही केवल उपयोगी होते हैं और वह उन्हें लेने की जिद करता है.

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12 वर्षीय नेहा का जीवन जैसे टीवी से बंधा हुआ है. वह पढ़ती है तो भी टीवी चलता रहता है. बारबार चैनल बदलना उसे अच्छा लगता है. एफ टीवी और एम टीवी वह चोरी से देखती है. किस सीरियल में किस ने क्या पहना था, इस की उसे जानकारी रहती है और वह उसी हिसाब से सजने की कोशिश भी करती है. उस का मानना है कि स्टाइल से जीना चाहिए इसलिए एम टीवी चला कर वह डांस करती रहती है.

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