जिंदगी में हम कई दफा उतने खुश नहीं रह पाते जितना रह सकते हैं. दरअसल, हम जीवन को उस के बेहतरीन रूप में नहीं स्वीकारते. कहीं न कहीं हम स्वयं ही इस के लिए जिम्मेदार होते हैं. यदि हम कुछ बातों का ध्यान रखें तो यकीनन हमारी जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा खूबसूरत और मकसदपूर्ण  बन सकती है. जानिए, कुछ ऐसी ही बातें:

बच्चों से 17 साला की सी बातें करें

तुलसी हैल्थकेयर के डायरैक्टर, डा. गौरव गुप्ता कहते हैं कि जब आप के बच्चे 17-18 साल के हो जाएं तब उन के साथ मां की तरह नहीं, बल्कि एक बड़ी बहन की तरह व्यवहार करें. ऐसा करने से उम्र का अंतर खत्म हो जाएगा. उन के मन में आप के लिए सम्मान तो हो लेकिन वे बिना किसी झिझक के अपने दिल की बात आप से साझा कर सकें.

यह उम्र बड़ी नाजुक होती है. बच्चे युवावस्था की दहलीज पर कदम रख रहे होते हैं. उन में जोश तो भरपूर होता है, लेकिन जीवन की समझ उतनी नहीं होती. कई बार इस उम्र के बच्चे कुछ ऐसा कदम उठा लेते हैं, जिस के परिणाम गंभीर होते हैं. ऐसे में बहुत सावधानी की जरूरत है.

बच्चों पर अपनी बातें थोपें नहीं, बल्कि उन का नजरिया समझने की कोशिश करें. उन्हें आप के साथ व सुरक्षा की जरूरत है पर विकसित होने के लिए उन्हें पूरा स्पेस भी दें. 17-18 साल की उम्र के बच्चों की अपनी एक समझ विकसित

हो जाती हैं. उन्हें उन के तरीके से सोचने और काम करने दें, लेकिन उन्हें अच्छेबुरे का अंतर जरूर समझाएं.

17 साला मानसिकता जरूरी

डा. अतुल कहते हैं कि बड़े होने पर सामान्यतया हम जिंदगी के बनेबनाए नियम फौलो करने लगते हैं. इस से हमारी रचनात्मकता कहीं गुम हो जाती है. हमें सदैव यह याद रखना चाहिए कि हम सभी के अंदर एक बच्चा है, जो अपनी मनमानी करना चाहता है, नएनए तरीकों से हर तरह के काम करना चाहता है. आप किसी भी उम्र में हों, यही मानसिकता बनाए रखें. तभी आप के अंदर पहले जैसी ऊर्जा व उत्साह कायम रहेगा और आप एक बेहतर जिंदगी जी सकेंगे.

दिमाग व मन को रखें चुस्त

आप 25 के हों या 55 के, दिमाग और मन स्वस्थ रखना जरूरी है. दिमाग को चुस्त रखने के लिए नियमित रूप से मैंटल ऐक्सरसाइज करते रहें. समयसमय पर दिमाग को चैलेंज करें. नए शब्द, नई बातें सीखें. नया सीखने की ललक कायम रखें. कभीकभी काम से ब्रेक ले कर परिवार व दोस्तों के साथ कहीं घूमने निकल जाएं. खानपान पर ध्यान दें. सकारात्मक सोच रखें. मुसकराने की आदत डालें व सोशल बनें. फिजिकल ऐक्टीविटीज भी भरपूर करें.

17 घंटों का बेहतर प्रयोग करें

हम सामान्यतया दिन के 24 घंटों में से 7 घंटे सोने में गुजारते हैं. बचे हुए 17 घंटों को बेहतर उपयोग करने के लिए जरूरी है छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना. मसलन:

– व्हाट्सऐप, फेसबुक, ईमेल वगैरह चैक करने का काम दोपहर में लंच टाइम में करें ताकि सुबह के वक्त जब आप की ऐनर्जी सब से अधिक होती है, जरूरी काम निबटा लें.

– कम समय में बेहतर काम करना चाहते हैं, तो घर या औफिस अपने काम की जगह को साफसुथरा व व्यस्थित रखें. इस से न सिर्फ जरूरी चीजें, फाइल्स, कागजात वगैरह ढूंढ़ने में समय की बरबादी नहीं होती वरन काम करने में मन भी लगता है.

– काम के साथसाथ शरीर को आराम भी दें. 90 मिनट काम के बाद 10 मिनट का ब्रेक आप को रिफ्रैश करने के लिए जरूरी है.

– हमेशा सभी के लिए उपलब्ध न रहें. न कहना भी सीखें. दुनिया की भीड़ से अलग किसी एकांत जगह पर कभीकभी सिर्फ अपने साथ रहें. मोबाइल, कंप्यूटर वगैरह बंद कर आत्मचिंतन करें, रचनात्मक काम करें.

– तनाव न लें. जितना समय हम दूसरों के साथ वादविवाद या काम बिगड़ने के तनाव में गुजारते हैं, उस से कम समय में हम बिगड़े काम और बिगड़े रिश्तों को सुधार सकते हैं.

औफिस में 17 साला जोश से करें काम

कहा जाता है कि 17 की उम्र का जोश कुछ अलग ही होता है, गलत नहीं है. यही वह उम्र है जिस में व्यक्ति अपनी प्राथमिकताओं को समझने लगता है और उन्हें पूरा करने की भरपूर कोशिश करता है. इस उम्र में वह अपने साधनों व लक्ष्यों को ले कर काफी उत्साहित रहता है. पर उम्र बढ़ने के साथसाथ व्यक्ति थोड़ा आलसी हो जाता है. वह बेमन से काम करने लगता है. यह उचित नहीं, इनसान को अपने अंदर 17 साला जोश और कुछ कर दिखाने का जज्बा सदैव कायम रखना चाहिए. तभी वह किसी भी उम्र में उपलब्धियों का आसमान छू सकेगा.

बजाय पुरानी पत्नी के 17 साला प्रेमिका बनें

उम्र बढ़ने के साथसाथ महिलाएं भौतिक सुखसुविधाएं  जुटाने व घरगृहस्थी के कामों में उलझ जाती हैं. घर व बच्चों की जिम्मेदारियों के बीच अपनी चाहत और जीवनसाथी के प्रति अपने प्रेम को प्रकट नहीं कर पातीं, पर यह रवैया सही नहीं. पतिपत्नी के रिश्ते में ताजगी बनाए रखना भी जरूरी होता है. अपनी फिटनैस पर ध्यान दें. शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहें. जिम जौइन करें. अपने लुक के साथ पहले की तरह ही नएनए ऐक्सपैरिमैंट करें. ट्रैंडी कपड़े और फुटवियर खरीदें. ऐसी किताबें पढ़ें, जो आप को प्रेरित करें. पति के साथ बीचबीच में चुहलबाजियां और रिश्तों की गरमाहट बनाए रखें.

खुश रहने की वजह ढूंढें

खुश रहना एक भावनात्मक और मानसिक प्रक्रिया है, जो आप की जिंदगी को खुशहाल बनाने में बहुत अहम भूमिका निभाती है.

खुश रहने का मतलब यह नहीं कि आप की जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा है. इस का मतलब यह है कि आप अपनी परेशानियों को भूल कर भी खुशीखुशी जी सकते हैं. इस से आप को परेशानियों से लड़ने की शक्ति मिलती है. खुश रहने से इनसान को अपने आसपास की हर चीज अच्छी लगने लगती है, जिस से उस के मन के नकारात्मक खयाल दूर भागने लगते हैं और वह एक बेहतर जिंदगी जी सकता है.

खुश रहने के कारण ढूंढ़ें.

बड़ी खुशियां ही नहीं, छोटीछोटी खुशियां भी महसूस करें.

 

खुश रहें, सोचें कि आप के पास किसी चीज की कमी नहीं. हाथपैर सहीसलामत हैं, दोस्त नातेरिश्तेदार हैं, घर है, पैसा है, बच्चे हैं,

 

कामधंधा है, तो फिर क्यों न अपने पास जो चीजें हैं, उन्हीं में खुश रहें.

 

दोस्तों के साथ करें 17 साला मस्ती

 

क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. अतुल कहते हैं, ‘‘जैसेजैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ने लगती हैं. कम उम्र में जिस तरह से हम खुल कर दोस्तों से अपने मन की बात कहते थे, घूमतेफिरते, हंसीमजाक करते थे, उस से हमें नई ऊर्जा मिलती थी. मगर समय के साथ सब छूटता चला जाता है.’’

 

पुराने दास्तों के साथ उसी बेफिक्री के साथ मिल कर देखिए. यह एक थेरैपी की तरह आप को नई ऊर्जा और फ्रैश फीलिंग से भर देगा और आप का जिंदगी को देखने का नजरिया बदल जाएगा.

 

पति को 17 साला ढांचे में रखें

 

पति की सेहत, रूटीन, पहनावे व खानपान का ध्यान आप को ही रखना है. प्रयास करें कि उन्हें पौष्टिक भोजन दें. शुगर/कोलैस्ट्रौल बढ़ाने वाली चीजों से परहेज कराएं. सही समय पर सारे काम करने को प्रेरित करें. उन के लिए ऐसे सलीकेदार पहनावे चुनें, जिस से वे स्मार्ट व सौम्य दिखें. ऐक्सरसाइज व अधिक से अधिक पैदल चलने के लिए प्रेरित करें.

 

17 की तर्कशीलता जरूरी

 

इस संदर्भ में क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. अतुल कहते हैं, ‘‘कम उम्र में हम किसी भी बात को सहजता से नहीं स्वीकारते. हम इस पर गहराई से विचार करते हैं कि क्या सही है और क्या गलत. सामाजिक बंधनों व रीतिरिवाजों को तोड़ कर वही करते हैं, जो हमें सही लगता है. किसी भी बात को तर्क की कसौटी पर जांचते हैं.

 

‘‘मगर उम्र बढ़ने के साथसाथ हम बातों को जैसा है, वैसा ही मानने लगते हैं. कम उम्र में हमें अधिक अनुभव नहीं होता पर उम्र बढ़ने के साथसाथ अनुभव और ज्ञान बढ़ते जाते हैं. ऐसे में हमें बैलेंस रखना होगा. अनुभव के साथ हम तर्क का प्रयोग भी करें, तो पुरातनपंथी सोच से किनारा करते हुए अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं.’’

 

17 तरीकों से परिवार में आएं खुशियां

 

– औफिस से घर लौटते वक्त कभीकभी खानेपीने की चीजें या बच्चों के लिए खिलौने वगैरह ले लें.

 

– जीवनसाथी को बीचबीच में सरप्राइज गिफ्ट देते रहें.

 

– परिवार के साथ कभी अचानक घूमने जाने का प्रोग्राम बनाएं.

 

– परिवारिक झगड़े का समाधान प्रेमपूर्वक करें.

 

– हर सदस्य को परिवार में उस के स्थान और उपयोगिता का एहसास कराएं.

 

– छुट्टियों का वक्त मोबाइल/इंटरनैट/दोस्तों के साथ बिताने के बजाय परिवार के साथ बिताएं.

 

– परिवार में सभी को एकदूसरे की इज्जत करने का पाठ पढ़ाएं.

 

– कभीकभी घर में खाना बनाने के बजाय खाना और्डर करें और घर में ही पार्टी का माहौल बनाएं.

 

– घर के हर सदस्य के जन्मदिन या अन्य खास मौकों को यादगार बनाएं.

 

– घर पहली पाठशाला है. बच्चों को ईमानदारी और संस्कार की अहमियत सिखाएं.

 

– घर के बुजुर्गों का सम्मान करें.

 

– टीवी देखने का समय निर्धारित कर दें.

 

– घर में अुनशासन रखें.

 

– रिश्तेदारों के यहां सीमित आनाजाना रखें.

 

– लड़केलड़की में भेद न करें.

 

– कोई समस्या आने पर घर के सभी सदस्यों से शेयर करें और उन की राय लें.

 

– घर में सभी को बचत करने की आदत डालें.

 

रिश्तों में करें निवेश

 

जिंदगी में हम नहीं जानते, कब कौन हमारे काम आ जाए. इसलिए बिना लाभहानि की परवाह किए, जितना हो सके, दूसरों के साथ रिश्ते को प्रगाढ़ करें. महीने में एक बार ही सही, पर अपने रिश्तेदारों को याद जरूर करें. दास्तों के काम आएं और अनजानों की भी मदद करें.

 

सीखें हर पल कुछ नया

 

सीखने की कोई उम्र नहीं होती, जिंदगी में जब मौका मिले, कुछ नया सीखने से गुरेज नहीं करना चाहिए. आज के समय के युवाओं की तरह समय के साथ नईनई तकनीकों से दोस्ती कीजिए और देखिए, कैसे आप को छोटेबड़े कामों के लिए अपने बच्चों/पति का मुंह नहीं देखना पड़ेगा.

 

डा. अतुल कहते हैं कि हालफिलहाल नोटबंदी की स्थिति में सभी के लिए जरूरी हो गया है कि वह कैशलैस ट्रांजैक्शन के तरीके सीखे. यह आज के समय की मांग है. पर आज यदि इस से जुड़ी जानकारियां और बारीकियां समझने का प्रयास यह सोच कर नहीं करेंगी कि इस उम्र में इन लफड़ों व झंझटों में कौन पडे़, तो यह आप की गलत सोच है. आप इसे अपनाएंगी, तो आप की ही जिंदगी आसान हो जाएगी.

 

जब बच्चे 17 के होने लगे

 

प्राइमस सुपर स्पैशियालिटी हौस्पिटल के डा. संजू गंभीर कहते हैं कि यह बहुत जरूरी है कि जब आज के बच्चे 17 के होने लगें, तब आप उन से अच्छे से जुडे़ रहें क्योंकि यही उम्र होती है, जब बच्चे सही और गलत के बीच फर्क नहीं कर पाते. ऐसे में यदि किसी बड़े का साथ हो तो बहुत अच्छा होता है.

 

खुद के साथ समय बिताएं

 

कभीकभी किसी ऐसी जगह जा कर बैठें, जहां कोई आप को डिस्टर्ब न कर सके. अपने मोबाइल/कंप्यूटर वगैरह बंद कर दें और फिर शांत मन से आगे का प्लान सोचें.   

 

17 बातें जो जीवनसाथी से कभी न कहें

 

– आप की ड्रैसिंग सैंस अच्छी नहीं.

 

– तुम से नहीं होगा, छोड़ो मैं कर लूंगी.

 

– तुम मेरी थोड़ी भी केयर नहीं करते.

 

– देखो न मैं मोटी हो गई हूं.

 

– मुझे तुम से शादी करनी ही नहीं चाहिए थी.

 

– मुझे तुम्हारे दोस्त अच्छेनहीं लगते.

 

– नौकरी कब बदलोगे.

 

– व्हाट इज रौंग विद यू.

 

– रुको, मैं बताती हूं, यह काम कैसे करना है.

 

– डोंट टच मी, दूर रहो.

 

– काश, तुम थोड़ा ज्यादा कमा रहे होते.

 

– मेरा ऐक्स मेरे लिए हमेशा मेरी पसंद की साड़ी लाता था. मेरी चौइस की बहुत परवाह थी उसे.

 

– तुम बिलकुल अपने पिता जैसे जिद्दी हो.

 

– यदि तुम सचमुच मुझ से प्यार करते, तो ऐसा नहीं करते.

 

– मेरी मां ने पहले ही वार्निंग दी थी कि तुम से निभ नहीं सकती.

 

– तुम्हारी मां कितना बोलती हैं.

 

– तुम्हारी बहनों ने मेरी जान खा ली है.

 

17 चीजें जिन से दूर रहें

 

इन 17 चीजों को घर और मन से दूर रखना जरूरी है:

 

1. ईर्ष्या

 

2. क्रोध

 

3. पछतावा

 

4. नकारात्मक सोच

 

5. टालने की प्रवृत्ति

 

6. चिंता

 

7. चुगलखोर दोस्त

 

8. बुराइयां निकालने वाले लोग

 

9. हतोत्साहित करने वाले लोग/रिश्तेदार

 

10. अंधविश्वासी सोच

 

11. झूठा दंभ

 

12. कृतघ्नपूर्ण व्यवहार

 

13. हारने का खौफ

 

14. अनिश्चय की स्थिति

 

15. गलत सोच वाले व्यक्ति का साथ

 

16. फुजूलखर्ची

 

17. प्रतिकार की भावना

 

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