आपके साथ भी कई बार दुकानदार या विक्रेता ने धोखाधड़ी की होगी. और कंज्यूमर कोर्ट के बारे में तो आपने सुना ही होगा. पर सही जानकारी न होने के कारण बहुत से लोग उपभोक्ता मंच पर शिकायत दर्ज नहीं करवाते. अपना नुकसान कर के भी आप शांत बैठे रहते हैं, क्योंकि आप इन झंझटों में नहीं पड़ना चाहते. पर कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत करना बेहद आसान है और यहां फैसला भी आम कोर्ट के मुकाबले जल्दी होता है.

आज हम आपको कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करने और उसकी सुनवाई की प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं. आपको जागरूक उपभोक्ता बनना जरूरी है. पर अगर फिर भी आपके साथ कभी धोखाधड़ी हो जाए तो आप कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

कौन है कंज्यूमर?

किसी चीज को खरीदने या सेवाएं लेने के लिए दाम चुकाना जरूरी है. यदि आपने कोई चीज खरीदी ही नहीं है तो आप इसके कंज्यूमर नहीं हो सकते. अगर कोई चीज गिफ्ट में मिली है तो यह जरूरी है कि गिफ्ट देने वाले ने उस वस्तु का दाम चुकाया हो, तभी आप उस वस्तु में डिफेक्ट आने पर कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर सकते हैं. गिफ्ट देने वाले से आपको खरीदी हुई चीज की रसीद लेनी होगी. रसीद एक सबूत की तरह है, कि आपने उस चीज के पूरे पैसे चुकाए हैं.

जब न हो रसीद

जब किसी कारण आपके पास रसीद न हो तब आप अन्य चीजों से भी काम चला सकते हैं. जैसे- कुछ खरीदने से पहले दिए हुए एडवांस की रसीद या विजिटिंग कार्ड पर लिखा बैलेंस भुगतान आदि. पर हर मामले में ऐसा नहीं हो सकता, इसलिए दाम चुकाने का प्रमाण ही आपको सही मायने में कंज्यूमर बना सकता है. यह भी जान लें कि जो व्यापारी ग्राहकों को बेचने के लिए सामान खरीदते हैं, वे कंज्यूमर की श्रेणी में नहीं आते.

कौन करा सकता है मामला दर्ज?

कंज्यूमर कोर्ट में कंज्यूमर या उपभोक्ता खुद या कोई पंजीकृत स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन शिकायत दर्ज कर सकते हैं.

नाबालिग बच्चों के लिए माता-पिता शिकायत कर सकते हैं. पति-पत्नी एक दूसरे के लिए शिकायत कर सकते हैं और गिफ्ट के मामले में वस्तु का वास्तविक इस्तेमाल करने वाला शिकायत कर सकता है.

ये है सुनवाई की प्रक्रिया

– कंज्यूमर कोर्ट में केस दायर करने के लिए सबसे पहले प्राथमिक सुनवाई होती है, जो शिकायत दर्ज करने के 21 दिनों के भीतर ही कर ली जाती है.

– कोर्ट में आप विवाद शुरू होने के 2 साल के अंदर शिकायत कर सकते हैं.

– उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत करने के लए तकनीकी रूप से कंज्यूमर होना जरूरी है.

किसकी सुनवाई कहां?

– 20 लाख रुपये तक की रकम के लिए डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं.

– 20 लाख से 1 करोड़ तक के मामले स्टेट कंज्यूमर कोर्ट जा सकते हैं.

– 1 करोड़ से ज्यादा के मामले के लिए नैशनल कंज्यूमर कमिशन मे मामला दर्ज होगा. कंज्यूमर अपनी शिकायत अपने जिले के कोर्ट में कर सकता है, जिसमें प्रतिवादी का ऑफिस/दुकान /शोरूम आदि हो. कंज्यूमर अपने हिसाब से आसपास की अदालत नहीं चुन सकता.

ऐसे करें शिकायत

डॉक्युमेंट: खरीद की रसीद, चिट्ठी, रिमाइंडर या कोई भी ऐसा डॉक्युमेंट, जो साबित करता हो कि आपकी शिकायत बनती है.

ऐप्लिकेशन: ऐप्लिकेशन सादे कागज पर दी जा सकती है.

सेवा में- कंज्यूमर रेड्रेसल फोरम, जगह का नाम

अपना नाम पता vs जिसके खिलाफ केस बनता हो

विषय- यहां संक्षिप्त में अपनी शिकायत के बारे में बताएं

ब्यौरा- अपनी शिकायत के बारे में सिलसिलेवार तरीके से लिखें. किसी खास घटना से जुड़े (रिफ्यूजल या फॉर्मल रिक्वेस्ट आदि) डॉक्युमेंट्स होने पर उसे भी अटैच करें.

प्रार्थना – ऐप्लिकेशन के अंत में रिक्वेस्ट के तौर पर लिखें कि आप कोर्ट से क्या चाहते हैं. मिसाल के तौर पर सामान बदलना चाहते हैं, नुकसान की भरपाई चाहते हैं, मानसिक परेशानी के लिए मुआवजा चाहते हैं, मुकदमे का खर्च चाहते हैं या फिर इनमें से सब चाहते हैं. इसे लिखना इसलिए भी जरूरी है कि कोर्ट उस आधार पर ही शिकायत करने वाले को राहत पहुंचाती है. ऐसा न लिखने से कोर्ट की दी हुई किसी भी पेनल्टी पर प्रतिवादी विरोध कर सकता है.

फीस- 20 लाख रुपये तक के में 500 रुपये

जब न हो कोर्ट के आदेश का पालन

कंज्यूमर के हक में आए फैसले पर अगर प्रतिवादी अमल नहीं करता है, तो उसे दस हजार रुपये की पेनल्टी और तीन साल तक की सजा दी जा सकती है. सजा भुगतने के बाद भी आदेश का पालन करना बाकी रहता है तो जरूरत के मुताबिक आदेश का पालन करवाने के लिए प्रॉपर्टी भी जब्त की जा सकती है.

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