साल 2016 की नंबर वन टीम बनने वाली टीम इंडिया के लिए यह साल उपलब्धियों भरा रहा. जहां एक ओर लगातार 18 टेस्ट मैचों में विजयी रहने का रिकॉर्ड बना वहीं टीम इंडिया ने एक के बाद एक पांच टेस्ट सीरीज अपने नाम किया.
इतना ही नहीं भारतीय टीम ने एक कैलेंडर साल में सर्वाधिक टेस्ट मैचों में जीत का नया कीर्तिमान भी बनाया. अगर खिलाडिय़ों की निजी उपलब्धियों की बात करें तो उसमें भी हमारे युवा खिलाड़ी पीछे नहीं रहे और पूरी दुनिया में अपनी बहतरीन परर्फोमेंस का डंका बजाया.
हालांकि इस दौरान लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं कर पाने की वजह से बीसीसीआई की किरकिरी भी हुई तो ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज और अपनी धरती पर आईसीसी वर्ल्ड टी20 टूर्नामेंट के फाइनल में नहीं पहुंच पाने का झटका भी लगा.
2016 में अजेय रही टीम इंडिया
टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली भी कहते हैं कि वर्ल्ड टी20 और ऑस्ट्रेलियाई धरती पर असफलता को छोड़ दें तो साल 2016 भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा रहा. क्रिकेट को प्रतिस्पर्धा के नई ऊंचाई पर ले जाने वाले कोहली का यह कहना भारत के क्रिकेट में प्रदर्शन की कहानी बयां करता है.
इस साल टीम इंडिया ने 12 टेस्ट मैच खेले और कैलेंडर साल में सर्वाधिक नौ जीत का रिकॉर्ड स्थापित कर इस साल अकेली ऐसी टीम बनी जिसने इस फॉर्मेट में एक भी मैच नहीं गंवाया. विराट ने साल 2010 में मिली आठ जीत के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा.
कोहली की कप्तानी में ‘विराट’ बना भारत
साल 2014 के अंत में महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद विराट कोहली टीम इंडिया के कप्तान बने और इसके बाद से ही वो टीम को नीत नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं. साल 2016 में टेस्ट सीरीज की शुरुआत वेस्टइंडीज दौरे से हुई और टीम इंडिया ने वहां 2-0 से जीत दर्ज की.
इसके बाद न्यूजीलैंड को अपने घरेलू मैदानों पर 3-0 से हराया और इसके बाद साल का अंत इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट मैचों की सीरीज को 4-0 के ऐतिहासिक अंतर से जीत कर किया. जिन नौ टेस्ट मैचों में भारत को जीत मिली उन्हें टीम इंडिया ने तीन पारी के अंतर से, तीन 200 रन से अधिक के अंतर से, दो टेस्ट 150 रन से अधिक के अंतर से और एक टेस्ट आठ विकेट के बड़े अंतर से जीती और एक बार फिर टेस्ट की वर्ल्ड रैंकिंग में पाकिस्तान से नंबर-1 का ताज छीना.
कोहली की टीम इंडिया आज कुछ वैसे ही मुकाम पर है जैसे कुछ वर्षों पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम थी. टेस्ट रैंकिंग में भारत 120 अंकों के साथ नंबर दो पर खड़े ऑस्ट्रेलिया (105 अंक) से बड़े अंतर से आगे है.
कोहली के नाम रहा साल 2016
विराट कोहली अब तक 22 टेस्ट मैचों में कप्तानी कर चुके हैं. इनमें से उन्होंने 14 में भारत को जीत दिलाई है जबकि केवल दो में हार. इस साल वो खेले गए 12 टेस्ट मैचों में 75.93 की औसत से 1215 रन भी बनाए और जब जब जरूरत पड़ी तो दीवार की तरह खड़े होकर टीम को संकट से उबारा. वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड सभी के खिलाफ विराट ने इस साल दोहरे शतक भी जड़े. कोहली की मजबूत बल्लेबाजी की बानगी क्रिकेट के तीनों ही फॉर्मेट में देखने को मिली. फिलहाल कोहली आईसीसी वर्ल्ड रैंकिंग में टेस्ट और वनडे में दूसरे जबकि टी20 में पहले स्थान पर खड़े बल्लेबाज हैं.
अश्विन का अनोखा रिकॉर्ड
टेस्ट मैचों में भारत की सफलता की कहानी में जितना अहम रोल कप्तान कोहली का है उतना ही रविचंद्रन अश्विन का भी. अश्विन ने इस साल न केवल गेंद बल्कि बल्ले से भी बेहद सराहनीय प्रदर्शन किया. उन्होंने 2016 में खेले गए 12 टेस्ट मैचों में 23.90 की औसत से जहां 72 विकेट चटकाए वहीं 43.72 की औसत और दो शतकों की मदद से 612 रन भी जड़े.
अश्विन के साथ ही रविंद्र जडेजा ने भी अविस्मरणीय प्रदर्शन किया. उन्होंने पिच पर दूसरे छोर से अश्विन का पूरा साथ दिया और खेले गए 9 मैचों में 43 बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा. इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम टेस्ट की दूसरी पारी में सात और मैच में 10 विकेट लेकर जडेजा आईसीसी की गेंदबाजी रैंकिंग में अश्विन (नंबर-1) के बाद ठीक नंबर-2 पर जा पहुंचे.
अश्विन को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना. वो राहुल द्रविड़ (2004) और सचिन तेंदुलकर (2010) के बाद सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी जीतने वाले तीसरे भारतीय क्रिकेटर बने हैं.
एकदिवसीय मैच में औसत रहा प्रदर्शन
वनडे में टीम इंडिया, 900वां वनडे खेलने वाली पहली टीम बनीं. धर्मशाला में न्यूजीलैंड के खिलाफ इस मैच को भारत ने छह विकेट से जीता लेकिन इसके अगले ही मैच में न्यूजीलैंड ने कोटला पर भारतीय टीम को हरा दिया जो टीम इंडिया की वनडे में 400वीं हार भी थी.
साल 2016 में खेले गए 13 वनडे मुकाबलों में टीम को सात में जीत तो छह में हार मिली. ऑस्ट्रेलियाई धरती पर लगातार चार हार के बाद अंतिम वनडे में जीत मिली तो साल के मध्य में जिम्बाब्वे को 3-0 और न्यूजीलैंड को 3-2 से हराया.
एशिया कप में जीत, वर्ल्ड टी20 में हार
इस साल खेले गए 21 टी20 मुकाबलों में से 15 जीतने और केवल पांच हारने के बावजूद प्रदर्शन वैसा नहीं रहा जैसा टेस्ट फॉर्मेट में कोहली की कप्तानी में था क्योंकि वर्ल्ड टी20 पर अपनी ही पिचों पर जब टीम को जीत की जरूरत थी तब नाकामी मिली.
साल की शुरुआत ऑस्ट्रेलियाई धरती पर 3-0 से जीत के साथ हुई फिर श्रीलंका की युवा टीम से अपनी ही धरती पर पहला मैच हारने के बाद सीरीज 2-1 से और बिना एक भी मैच गंवाए एशिया कप टूर्नामेंट जीता.
इसके बाद वर्ल्ड टी20 के पहले ही मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ केवल 79 रनों पर आउट होकर हार के साथ इस टूर्नामेंट की शुरुआत की. इसके बाद चिरप्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान (एशिया कप के बाद इसी साल दूसरी बार), बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया को हराकर सेमीफाइनल में पहुंची टीम इंडिया को वेस्टइंडीज ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. कैरेबियाई टीम ही इस टूर्नामेंट की चैंपियन भी बनी. पांच मैचों में 273 रन बनाने वाले विराट कोहली को मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया.
इसके बाद भारत ने जिम्बाब्वे को टी20 सीरीज 2-1 से जरूर हराया लेकिन अमेरिका में वेस्टइंडीज से वो वर्ल्ड टी20 का बदला चुकाने में नाकाम रही. यहां पहला मैच वेस्टइंडीज ने जीता जबकि दूसरा मैच रद्द हो गया.