वह प्रवासी मजदूरों की त्रासदी का जिंदा रूपक है. सालों नहीं बल्कि दशकों बाद भी जब साल 2020 के देशव्यापी कोरोना लॉकडाउन का जिक्र छिड़ेगा, तो आंखों में उस 15 वर्षीय दुबली, पतली लड़की की तस्वीर घूम जायेगी, जो अपने बीमार पिता को साइकिल के कैरियर में बिठाकर हरियाणा के गुरुग्राम से 1200 किलोमीटर दूर बिहार के दरंभगा जिले में स्थित अपने गांव सिरहुल्ली लायी. जी हां, हम आज पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकी साइकिल गर्ल ज्योति पासवान की ही बात कर रहे हैं.
हम सब जानते हैं कि ज्योति को ऐसा क्यों करना पड़ता था, 25 मार्च 2020 से घोषित लॉकडाउन का पहला चरण खत्म हो चुका था, दूसरा भी खत्म होने की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन देशभर के शहरों में बिलबिलाते प्रवासी मजदूरों की समस्याओं का दूर दूर तक कोई निदान नजर नहीं आ रहा था. हालांकि तब तक विशेष श्रमिक रेलगाड़िया शुरु हो चुकी थीं, लेकिन उनमें जगह मिलना आसान नहीं था. बसें अब भी बंद थीं और लोगों को सख्ती से घरों में रहने के आदेश थे. लेकिन देश के करोड़ों प्रवासी मजदूरों की तरह ज्योति पासवान और उसके पिता के सामने भी भूखों मरने की स्थिति थी.
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ज्योति के पिता मोहन पासवान गुड़गांव में ई-रिक्शा चलाते थे और लॉकडाउन घोषित होने के कुछ ही दिन पहले उनका एक्सीडेंट हो गया था. उन्हें काफी ज्यादा चोट आयी थी. इस हालात में उनकी देखरेख के लिए ही एक महीना पहले ही ज्योति बिहार से अपने पापा के पास आयी थी और वे दोनो गुड़गांव में एक झोपड़पट्टी में रह रहे थे. लाॅकडाउन जब आशंका के मुताबिक आगे बढ़ने लगा तो बाप बेटी बहुत घबराये, लेकिन घर वापस जाने का कोई जरिया नहीं था. तभी ज्योति ने कुछ मजदूरों को साइकिल के जरिये घर जाने की योजना बनाते सुना.
ज्योति को भी यह आइडिया क्लिक कर गया. पिता भी तमाम न-नुकुर के बाद राजी हो गये, तो ज्योति ने अपने पास के एक हजार रुपये में एक पुरानी साइकिल खरीदी, लेकिन साइकिल मालिक को तुरंत सिर्फ 500 रुपये ही दिये, 500 रुपये कोरोना के बाद वापस आने पर देने का वायदा किया. 10 मई 2020 की रात 10 बजे अंततः यह डर और दहशत से भरा लंबा और त्रासद सफर शुरु हुआ. 20-20, 25-25 किलोमीटर तक चलने के बाद थोड़ी देर आराम करके फिर से चल देने वाले इस सफर में कई जगहों पर कुछ लोगों ने बाप-बेटी को कुछ खाने पीने को दिया और कई बार घंटों दोनो को भूखों भी रहना पड़ा. बहरहाल सफर के अनगिनत कष्टों और मई के भयानक लू के थपेड़ों के बीच छह दिन, छह रात चलकर 16 मई 2020 को ज्योति अपने गांव सिरहुल्ली में दाखिल हुई.
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तब तक ज्योति को कोई नहीं जानता था. दैनिक भास्कर के स्थानीय पत्रकार अलिंद्र ठाकुर ने ज्योति के साहस और जीवटता की कहानी अपने अखबार में छापी और भास्कर से उठाकर इसे एक न्यूज एजेंसी ने फ्लैश कर दिया, इससे देखते ही देखते ज्योति एक कहानी बन गई. हैरान कर देने वाले अंचभे की कहानी. फिर क्या था, न सिर्फ गांव के तमाम बड़े लोग, जो सवर्ण होने के नाते दलित बस्तियों में घुसना भी पसंद नहीं करते, वे ज्योति के घर पहुंचकर और भीड़ में लाइन से लगकर उसके हौसले की तारीफ की, उसे गांव की शान बताया और जो हो सकता था, मोबाइल कैमरे की फ्लैश लाइट के बीच वह आर्थिक मदद भी की.
यह सिलसिला सिर्फ गांव या आसपास के गांवों तक सीमित नहीं रहा. तमाम राजनेताओं ने भी इस खबर के सुनते ही रातोंरात ज्योति के घर के दौरे का कार्यक्रम बना लिया. नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल सदस्य, राजद के तेजस्वी यादव और लोजपा के चिराग पासवान उनसे मिलने पहुंचे, उन्हें खाने पीने के तमाम तोहफों के साथ सबने एकमुश्त रकम भी दी. देखते ही देखते ज्योति पासवान का गांव कुछ सालों पहले आयी फिल्म ‘पीपली लाइव’ में तब्दील हो गया. ज्योति से मिलने और उसकी शान में कसीदे काढ़ने इतने लोग आये कि उनकी गिनती, रजिस्टर में दर्ज करके भी करना मुश्किल था.
बहरहाल रातोंरात चमत्कार की तरह किस्मत बदलने के इस खेल में ज्योति से पत्रकार और लघु फिल्म बनाने वाले विनोद कापड़ी मिले, उन्होंने एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के लिए ज्योति पासवान और उसके घर वालों से कॉन्ट्रैक्ट साइन किये. 2,51,000 रुपये में बात हुई और एक लिखित अनुबंध करने के साथ ही विनोद कापड़ी की कंपनी भगीरथी फिल्म ने ज्योति के एकाउंट में 51,000 रुपये ट्रांसफर कर दिये. लेकिन नई नई सेलिब्रिटी बनने के बाद ज्योति की जिंदगी में जो तेज रफ्तारी और चकाचैंध आयी, उससे वो कुछ समझ ही नहीं पाये कि उन्हें क्या करना चाहिए, क्या नहीं?
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कुछ दिन बाद यानी 26 जून को गोवा के फिल्मकार साइनी कृष्ण और सजीथ, ज्योति और उसके परिवार से मिलने आये, उन्होंने भी साइकिल गर्ल ज्योति पासवान पर फिल्म बनाना चाहा और इसके लिए ज्योति के पिता मोहन पासवान को न केवल 51,000 रुपये एडवांस भी दिये बल्कि उनसे कॉन्ट्रैक्ट में साइन भी कराया. लेकिन अब यही कॉन्ट्रैक्ट साइन उनके लिए जी का जंजाल बन गया है. उनकी अज्ञानता और लालच न सिर्फ ज्योति और उसके परिवार का सिरदर्द हो गया है बल्कि उसकी आगे बढ़ रही सपनीली कहानी पर ब्रेक भी लगा दिया है. दरअसल जब विनोद कापड़ी को पता चला कि मोहन पासवान ने एक गोवा के फिल्मकार से भी अनुबंध कर लिया है तो उन्होंने उस गोवन फिल्मकार को कानूनी नोटिस भेज दिया कि ज्योति पासवान पर फिल्म बनाने का राइट उनके पास है.
अब मामले की गंभीरता समझकर मोहन पासवान ने थाने में जाकर गोवन फिल्मकार के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करायी है, जिसमें कहा गया है कि साइनी कृष्ण और सजीथ ने उनके भोलेपन का और अंग्रेजी न जानने का फायदा उठाकर अनुबंध में दस्तखत करा लिये हैं. एफआईआर के मुताबिक मोहन पासवान का कहना है कि अब जब हम उनके द्वारा दिये गये एडवांस पैसे को वापस करने के लिए साइनी कृष्ण को बार बार फोन और व्हटसएप में जरिये संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं तो ये लोग कोई जवाब न देकर उनके परिवार के सभी सदस्यों को मानसिक यातना दे रहे हैं. मामला कानूनी पेंच में फंस गया है, जिस वजह से होने वाली फिल्म की शूटिंग भी नहीं शुरु हुई. हालांकि इस कहानी में सहानुभूति के सारे तथ्य ज्योति और उसके पिता की तरफ हैं, फिर भी हकीकत इतनी सपाट नहीं होती. कहीं न कहीं यह कहानी पासवान परिवार की ही बुनी हुई है, जो त्रासदी को भुनाने की है.