डॉक्टर्स और रिसर्चकर्ता कोरोना के सटीक लक्षणों को समझ पाने में लगातार धोखा खा रहे हैं. कोरोना अपने लक्षणों में दिन-ब-दिन नए नए पैंतरे दिखा रहा है. कहीं वह नाड़ियों में खून के थक्के जमा रहा है, कहीं किडनी और हार्ट पर अटैक कर रहा है तो कभी श्वसन की कार्यप्रणाली को नष्ट कर इंसान की जान ले रहा है. कभी कभी तो वह बिना लक्षणों के ही प्रकट हो रहा है. अब लखनऊ में पीजीआई में डॉक्टरों ने पाया है कि कोरोना डेंगू बुखार की तरह लक्षण प्रकट कर रहा है और सीधे प्लेटलेट्स पर हमलावार है.

आम तौर पर डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स काउंट कम होते थे, लेकिन अब कोरोना भी डेंगू के वेश में मरीजों पर वार कर रहा है. इसमें अचानक मरीज की प्लेटलेट्स काउंट गिरकर 20 हजार से भी नीचे आ जा रही है. जबकि खून की जांच में डेंगू नहीं निकल रहा है. ऐसे मरीज ज्यादातर कोरोना की गंभीर अवस्था में पहुंचने के बाद मिल रहे हैं. पीजीआई में डॉक्टरों ने इस पर शोध शुरू किया है.

ये भी पढ़ें- Nutrition Special: न्यूट्रिशन से भरपूर है दही, जानें इसके फायदे

पीजीआई के प्रफेसर अनुपम वर्मा कहते हैं कि अचानक मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट गिरने से मैनेज करना मुश्किल हो रहा है. पीजीआई में एडमिट लोकबंधु अस्पताल के डॉक्टर की प्लेटलेट्स भर्ती होने के दूसरे दिन ही दस हजार पहुंच गई. प्राथमिक तौर पर यह सामने आ रहा है कि कोरोना मरीज के इम्यून कॉम्प्लेक्स को प्रभावित करता है, जिसमें मोनोसाइड और मैकरोफेज सेल पर अटैक होता. इससे बॉडी में प्लेटलेट्स की खपत बढ़ जाती है. जबकि उनका उत्पादन पहले के मुकाबले कम रहता है. यही कारण है कि प्लेटलेट्स काउंट अचानक से गिर जाता है. ऐसे मरीज ज्यादातर गंभीर अवस्था के होते हैं.

पीजीआई में ऐसे लक्षण दिखाने वाले मरीजों को डेंगू के इलाज की तरह ही प्लेटलेट्स चढ़ाया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर प्लाज्मा थेरेपी भी दी जा रही है.

ये भी पढ़ें- Nutrition Special: ऐसी होनी चाहिए टीनएजर्स की डाइट

 बोन मैरो पर हमला

डॉ़ अनुपम कहते हैं कि इन दिनों कोरोना के लक्षणों को लेकर एक और बदलाव देखने में आया है कि कोरोना मरीजों को थॉम्बोसिस हो रहा था. यानी जिसमें नाड़ियों में खून के थक्के जम जाते हैं. इन थक्कों को हटाने के लिए टीपीए इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे क्लॉट घुल जाते हैं. लेकिन कुछ मरीजों को टीपीए देने पर उनकी नसें फट गयीं, जिससे अंदरूनी रक्त रिसाव हो गया. इसे सीवियर थोंबोसाइटोपीनिया कहते हैं. इसमें देखने में आया है कि कोरोना वायरस मरीज के बोन मैरो को इंफेक्ट कर रहा है, जिससे यह दिक्कत सामने आ रही है.

 डेंगू की जांच भी जरूरी

डॉ़क्टर अनुपम कहते हैं कि आज के हालात में कोरोना मरीजों की डेंगू की जांच बहुत जरूरी है. खासकर ऐसे मरीज जिनका प्लेटलेट्स काउंट गिर रहा हो. इससे पता चल सकेगा कि इसका कारण कोरोना है या डेंगू. इस पर शोध भी किया जा रहा है.   दिल्ली में भी कोविड-19 और डेंगू का अटैक एकसाथ देखने को मिल रहा है. दिल्ली में एक ऐसा मरीज सामने आया है, जो कोविड और डेंगू, दोनों से संक्रमित पाया गया. डॉक्टरों का कहना है कि दोनों वायरस का कॉकटेल काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि एक साथ बॉडी में दो वायरस एक्टिव हो जाते हैं और दोनों अलग अलग अटैक करते हैं.

ये भी पढ़ें- Nutrition Special: बढ़ते बच्चों की सही ग्रोथ के लिए जरुरी हैं ये 15

डेंगू की वजह से ब्लड में प्लेटलेट्स कम होने लगती हैं, जबकि कोविड ब्लड में थक्का बनने की क्षमता को प्रभावित कर देता है. इससे ब्लड संबंधित बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. इससे यह भी खतरा है कि कहीं पर बॉडी के अंदर ब्लड फ्लो के दौरान थक्का ना बन जाए. इसलिए इस मौसम में फीवर से पीड़ित मरीज को कोविड के साथ-साथ डेंगू की भी जांच कराना जरूरी है, ताकि समय पर सही इलाज किया जा सके. यह समय दिल्ली में डेंगू का भी है, इसलिए अब फीवर वाले मरीज में दोनों वायरस की जांच करना जरूरी है, क्योंकि दोनों वायरस का तय इलाज नहीं है और न ही वैक्सीन है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...