2014 में जो आशा जगी थी कि देश के युवाओं को एक नया युग मिलेगा वह अब खत्म सी हो गई है. शासन और सरकार वैसे ही सरक रही है जैसे पहले खिसकती चलती थी. बड़ी बड़ी बातों के बावजूद न नई नौकरियां निकल रही हैं और न नए कारखाने या व्यापार चमक रहे हैं.
वैसे यह उम्मीद करना कि देश को बनाने की जिम्मेदारी नेताओं या प्रधानमंत्री की ही है, कुछ गलत है. एक देश को गर्व होना चाहिए अपने युवा खून पर और इस देश में उन की कमी नहीं. जहां दूसरे अमीर देश कम होती युवा जनसंख्या पर चिंतित हैं, हमारे यहां हर साल नया खून नौकरी की तलाश में और ज्यादा गिनती में निकल रहा है.
बस अफसोस यह है कि यह नया खून पकीपकाई खिचड़ी चाहता है. ज्यादातर की तो इच्छा सरकारी नौकरी पाने की है ताकि जीवन भर अच्छा वेतन, पावर व रिश्वत कमाने के मौके मिल जाएं. इस के लिए यह खून हर तरह के दंड पेलने को तैयार है सिवा अपनी मैरिट सुधारने के.
देश भर में फैले कोचिंग सैंटरों में भरमार इस बात का सुबूत है कि मातापिता की गाढ़ी कमाई को पढ़ाई के नाम पर और परीक्षा पास करने के नाम पर खर्च किया जा रहा है ताकि सरकारी नौकरी मिल जाए या अच्छी कंपनी में छोटी ही सही नौकरी मिल जाए.
उत्पादकता बढ़ाने, नया सोचने, नया करने, सुधारने, बदलाव लाने में किसी की इच्छा नहीं. मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ होता नजर आता है पर वह कुल मिला कर निरर्थक, क्योंकि अनुत्पादक है. अच्छे गायक या नर्तक बन कर कुछ को पैसा मिल जाए पर देश का और युवाओं का कल्याण नहीं होने वाला.
यह समस्या भारत की ही नहीं है. अमेरिका के विचारक भी चिंतित हैं कि अब उत्पादकता बढ़ाने के शोध पर कुछ नया काम नहीं हो रहा. सारा मुनाफा बोनस के रूप में केवल उन को बांट दिया जाता है जो यह खोज कर सकें कि किस तरह लोगों की जेब से पैसे निकलवाएं.
डिजिटल क्रांति से बहुत कुछ सरल हुआ है. कहना सुनना अब सैकड़ों में होने लगा है. हर कान में आज तार लगा है, हर आंख एक स्क्रीन पर है. अब यह बताइए कि क्या इस से भैंसों का दूध ज्यादा निकलेगा, जमीन में कारखाने लग जाएंगे, कपड़ा सस्ता हो जाएगा, कारें धुआं उगलना बंद कर देंगी?
युवाओं को जिस दिशा में काम करना चाहिए वह न भारत में हो रहा है न कहीं और. चीन के युवा भी अब लगता है आराम पसंद होने लगे हैं और पिछली पीढ़ी की कमाई का मजा लूट रहे हैं. यह खतरनाक है और शायद पश्चिम एशिया का खूंखारी युद्घ इसी भटकाव का परिणाम है, क्योंकि वहां का युवा भी निठल्ला, निरुद्देश्य है और उसे मरने मारने में ज्यादा ऐक्साइटमैंट नजर आ रही है.