6 मार्च को जहां जापान में कोरोना वायरस से सिर्फ 21 लोगों की मौत हुई थी, वहीं उसी दिन अमेरिका में कोरोना से 2,129 लोगों की मौत हुई जो जापान में हुई मौतों से 10 गुना ज्यादा थी. मगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मास्क न पहनने की जिद ठान रखी है. हालांकि उन के आसपास रहने और काम करने वाले लोग अब मास्क में जरूर नजर आते हैं लेकिन ट्रंप बिना मास्क के ही कोरोना से जंग जीतना चाहते हैं.

वायरस के खिलाफ मास्क की प्रभावशीलता पर बहुत बहस के बाद आखिरकार व्हाइटहाउस ने अपने सभी कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य किया था, लेकिन ट्रंप अभी तक मास्क में नहीं दिखे हैं.

अमेरिका में तबाही की वजह

कोरोना ने अमेरिका में सब से ज्यादा तबाही मचाई है. इस की वजह है लापरवाही और जिद. जिद मास्क न लगाने की, जिद लौकडाउन न करने की, जिद सोशल डिस्टैंसिंग न रखने की जबकि कोरोना पर होने वाली रिसर्चों में ज्यादातर रिसर्च करने वालों  का मानना है कि मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग से कोरोना के 80% मामले रोके जा सकते हैं. अमेरिका में कुछ जगहों पर लौकडाउन हुआ जिसे भी अब वह पूरी तरह खोलने की तैयारी में है जबकि जापान में कभी उस तरीके से लौकडाउन लगा ही नहीं. जापान में अब नए मामले भी बहुत कम आ रहे हैं जबकि पूरी दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जापान में मास्क पहनने का कल्चर पहले से ही है.

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हाल ही में आई एक वैज्ञानिक स्टडी का दावा है कि इसी खास उपाय से कोरोना वायरस के 80 फीसदी मामलों को कम किया जा सकता है. वैज्ञानिकों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने वायरस का सामना करने के लिए कई तरह के नए मौडलों का प्रयोग किया है, जिस में से एक चीज को उन्होंने सब से प्रभावी बताया है और वह है मास्क.

वैज्ञानिकों का दावा

इस समय पूरी दुनिया लौकडाउन खोलने की तरफ धीरेधीरे कदम बढ़ा रही है, ऐसे में वैज्ञानिकों का यह दावा लोगों के लिए बहुत काम का हो सकता है.

नए आंकड़ों के अनुसार, इतिहास और विज्ञान कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए एक ही बात पर सहमत हैं और वह है मास्क पहनने के साथसाथ सोशल डिस्टैंसिंग का खयाल रखना.

अर्थशास्त्री और कोरोना स्टडी में सहयोग करने वाले पैरिस के इकोले डे गुएरे का कहना है,”सिर्फ मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग ही ऐसी चीज है जो कोरोना से बचाने का काम कर सकती है. जब तक इस की कोई वैक्सीन या दवा नहीं बन जाती, हमें कोरोना से ऐसे ही लड़ना होगा.”

मास्क जरूरी क्यों है

अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका वैनिटी फेयर अपने लेख में कहती है कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती, सिर्फ मास्क ही हमें कोरोना वायरस से बचाने का काम कर सकता है.

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हम जानते हैं कि कोरोना हवा से फैलने वाला संक्रमण नहीं है फिर भी हमें मास्क लगाने की सलाह क्यों दी जा रही है ? इसका जवाब यह है कि चूंकि कोरोना का वायरस लिविंग बीइंग अर्थात जीवित प्राणियों और नौन लिविंग औब्जैक्ट्स से फैलता है, तो यहां समझने वाली बात यह है कि हमारे हाथ जानेअनजाने उन लोगों को और उन स्थानों या वस्तुओं को स्पर्श कर सकते हैं जो कोरोना संक्रमित हैं या जिन पर कोरोना के विषाणु हैं. इस स्थिति में अगर हम अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूते हैं तो यह विषाणु हमारे भीतर पहुंच सकता है. पर ऐसा होगा नहीं क्योंकि हम ने मास्क पहना है जिस ने हमारे मुंह और नाक को ढंक रखा है. मुंह और नाक को न छूना एक बड़ी सुरक्षा है कोरोना के खिलाफ, जिस का श्रेय जाता है मास्क को.

महिलाओं को बड़ा फायदा

बीते 3 महीनो में मास्क पहनने के कुछ और भी फायदे सामने आए हैं. इस में से एक बड़ा फायदा महिलाओं से जुड़ा है. जब से महिलाओं ने मास्क पहनना शुरू किया है उन की लिपस्टिक कम इस्तेमाल हुई है. कुछ ने तो इन 3 महीनो में लिपस्टिक को छुआ तक नहीं है. फिर चाहे वे घर पर रही हों या काम से बाहर निकली हों. यह बहुत बड़ा खर्च था.

हर सूटसाड़ी से मैचिंग लिपस्टिक की खरीदारी कोरोना की वजह से अब काफी समय तक के लिए टल गई है.
सुबह दूधसब्जी खरीदने निकलीं महिलाओं को देखिए. सब के चेहरे मास्क से ढंके हैं. मास्क के नीचे लिपस्टिक नहीं लगाई जा सकती है क्योंकि मास्क की रगड़ से यह फैल कर पूरे चेहरे का नकशा बदल देगी. कोरोना के कारण महिलाओं को एक काम से मुक्ति मिल गई है.

चैनल रिपोर्टर्स को अब कैमरे के सामने आने से पहले सजना नहीं पड़ रहा है. बस मुंह पर मास्क लगाया और माइक ले कर खबर बता डाली. होस्पिटल में नर्स, मैडिकल स्टाफ की अन्य महिलाएं, महिला डाक्टर्स, आया सभी आजकल बिना लिपस्टिक के हैं. कल जब लौकडाउन खुलेगा और अन्य कार्यालय भी काम करने लगेंगे तो ये मास्क महिलाओं के लिए बड़े काम का साबित होगा.

इस में दोराय नहीं कि मास्क का इस्तेमाल अभी लंबे वक्त तक करना होगा ऐसे में लिपस्टिक और अन्य मेकअप के सामान खरीदने की कोई अधिक आवश्यकता महिलाओं को नहीं पड़ेगी. न लिपग्लौस की जरूरत होगी, न लिप लाइनर की, न फाउंडेशन की और अगर सिर को भी कवर करना पड़ा तो जल्दीजल्दी हेयर कलर करवाने की जरूरत भी नहीं है. हर 2-3 दिनों में हेयरस्टाइल चैंज करने की ज़रूरत भी नहीं है. हेयर जैल भी क्या लगाना जब बालों की चमक दिखानी ही नहीं है.

औफिस में ग्लव्स पहनने जरूरी हुए तो नेल पैंट लगाने की भी जरूरत नहीं है. युवा लड़कियों में नेलआर्ट का जो बुखार चढ़ा रहता था कोरोना ने वह बुखार भी उतार दिया है. नएनए डिजाइनों की अंगूठियों की नुमाइश भी अब देखने को नहीं मिलेगी. अब बारबार ग्लव्स उतार कर अपनी अंगूठियां तो कोई दिखाने से रहा. चूड़ियां,कड़े सब का खर्च कोरोना बचाएगा.

रंग निखरेगा स्वस्थ रखेगा मास्क

किसी ने एक रोज़ पूछा था कि ज्यादातर मुसलमान औरतें गोरी, बेदाग और कोमल गालों वाली होती हैं? जवाब था, क्योंकि ज्यादाद वक्त उन का शरीर और चेहरा बुरके में ढंका रहता है. अब मास्क भी वही काम करेगा और चेहरे की नाजुक त्वचा को सूरज की अल्ट्रावाइलैट खतरनाक किरणों से बचाएगा.

इस में कोई संदेह नहीं कि दिनभर धूप, धुएं और गरमी में काम करने वाली महिलाओ को ये मास्क बहुत बड़ी राहत देगा और उन का रूपसौंदर्य निखरेगा. ऐसे में ब्यूटीपार्लर जा कर फेस क्लीनिंग या फेसिअल कराना भी ज़रूरी नहीं लगेगा यानी यह बड़ा खर्चा भी बच जाएगा और वक्त भी.

पीपीई किट में दिखेंगे सब एक जैसे

पीपीई यानी पर्सनल प्रोटैक्टिव इक्विपमैंट इस वक्त भारत ही नहीं पूरी दुनिया में डि‍मांड में है. जब कोरोना ने दस्तक दी थी तो देश में पर्याप्त पीपीई किट नहीं थे. चीन समेत दूसरे यूरोपीय देशों से करीब 52 हजार पीपीई किट मंगवाए गए थे. अब ये किट भारत में भी तैयार की जा रही हैं. हर दिन लगभग 2 से 3 लाख पीपीई किट बन कर तैयार हो रहे हैं. इस का उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ाया जाएगा, क्योंकि लौकडाउन खुलने के बाद कोरोना के केसेज में बहुत उछाल आएगा तब युद्धस्तर पर  पीपीई किट की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में संभव है कि तमाम सरकारी और गैरसरकारी संस्थान और स्कूलकालेजों में पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया जाए.

जब पूरा शरीर पीपीई किट में ढंक जाएगा तो नीचे घर के कपडे पहन कर औफिस में बैठे हैं या कोई नया सूट, यह कौन देखता है. कामकाजी महिलाओं का तो कितना बड़ा खर्च बचने वाला है. ‘अब रोज़ रोज़ क्या नया पहनूं’ वाले झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी.

अन्य बीमारियों से बचाएगा मास्क और किट

अगर चेहरे पर मास्क और पीपीई किट को आने वाले समय में कोरोना से बचाव के लिए पहनना अनिवार्य किया जाता है तो मनुष्य कई अन्य बीमारियों से भी बचा रहेगा. कई संक्रमित रोग जैसे जुकाम, बुखार, खांसी, टीबी जो लोगों के संपर्क से फैलते हैं मास्क की वजह से कम होंगे. यही नहीं धुएं और प्रदूषण से हमारा बहुत बचाव होगा. सांस के कई रोग इस दौरान काफी कम होंगे. कोरोना से जान जाने का भय है इस में कोई शक नहीं, लेकिन इस की बदौलत इंसान अपने जीने के ढंग में अभूतपूर्व बदलाव लाएगा, यह एक अच्छी बात होगी. खुद को साफ रखना सीख जाएगा, हाथों को बारबार धोएगा, खुद को सैनिटाइज करेगा तो दूसरी बीमारियां भी उस से दूर रहेंगी. यही नहीं सोशल डिस्टैंसिंग बसों, ट्रेनों और मैट्रो में होने वाली धक्कामुक्की और छेड़छाड़ से भी नजात देगी. लोग खुद एकदूसरे से दूर रहेंगे कि कहीं कोरोना न चिपट जाए.

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