“लाइफ डजंट कम विद मैनुअल, इट कम्स विथ मदर”, हम सभी ने यह कहावत कई बार सुनी होगी. एक मां अपने बच्चों पर अपना सारा प्यार और दुलार न्योछावर करती है और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करती है कि उन की सभी ज़रूरतें पूरी हों. हालांकि, जब हम बड़े और स्वतंत्र हो जाते हैं, तब कई बार हम यह ध्यान भी नहीं दे पाते हैं कि हमारी मां उम्रदराज हो रही हैं.

क्या हम ने कभी सोचा है कि वे पूरे दिन क्या खाती हैं? हमें पौष्टिक भोजन देने की कोशिश करते हुए क्या वे अपनी जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं?

हालांकि, उम्र सिर्फ एक संख्या है, लेकिन फिर भी यह हमारे शरीर में कई शारीरिक, पाचन संबंधी और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन लाती है, जैसे-

शारीरिक गतिविधि में कमी, पाचन और हाजमा खराब होना और प्रतिरक्षा में कमी.

बुजुर्गों में मोटापा उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों और कैंसर जैसे स्थाई गंभीर रोगों की ओर ले जाता है.

गर्भावस्था, प्रसव और बाद के दिनों में रजोनिवृत्ति के कारण महिलाओं की हड्डियों का घनत्व घट जाता है, जिस के परिणामस्वरूप हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. एस्ट्रोजन हार्मोन (अस्थि घनत्व को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार) का तेजी से घटना काफी हद तक औस्टियोपोरोसिस के जोखिम का कारण बनता है.

मांसपेशियों का आकार कम हो जाता है और इस से थकान, कमजोरी महसूस होती है और व्यायाम करने की क्षमता कम हो जाती है.

क्या यह आप को अतीत में आप की मां द्वारा की गई किसी शिकायत की याद दिलाता है? अवलोकन संबंधी अध्ययन इस बात का प्रमाण देते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली  जैसे कि शारीरिक व्यायाम के साथ पौष्टिक आहार को अपनाने से जटिल बीमारियों के चलते समय से पहले मौत का जोखिम कम हो जाता है.

सही भोजन और संतुलित आहार के साथ अपनी मां को स्वस्थ रहने में मदद करें. यह निवेश निश्चित रूप से लंबी अवधि में फर्क पैदा करेगा. हमारी मां हमें पढ़ने, खेलने, खाने और सोने के समय की याद दिलाते हुए समय सारिणी का पालन करने के लिए कहती थीं. अब हमारी बारी है कि उन्हें कब और क्या खाना है, यह याद दिलाने के लिए हम समय सारिणी निर्धारित करें.

यह एक डेली फूड कैलेंडर है. अपनी मां के लिए एक व्यक्तिगत  संदेश लिखें. उस का एक प्रिंट लें और उसे मदर्स डे पर उन्हें उपहार में दें.

भोजन के सुझाव  भोजन  समय

अपने भोजन को संतुलित बनाते हुए सही खाएं

सभी 5 खाद्य समूहों को शामिल करें: अनाज/ अन्न/ बाजरा, चना / दालें / फलियां, अंडा / मांस / मछली, दूध / दुग्ध उत्पाद, फल और सब्जियां आप के भोजन में कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर प्रदान करते हैं.

सुबह का नाश्ता: नाश्ता न छोड़ें    इडली / डोसा, पोहा, वेज पराठे, अंडे, सलाद, दूध, अनाज, फल आदि लें. ये आवश्यक कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और फाइबर प्रदान करेंगे.   8-9 बजे के बीच, देर सुबह मुट्ठी भर मेवे और एक फल  सुबह 11 बजे

दोपहर का भोजन- सलाद, दही, सब्जी, दाल और चपाती / चावल को शामिल कर के अपनी थाली बनाएं. वे हरी सब्जियां शामिल करें जो मौसम और स्थानीय रूप से उपलब्ध हैं. दोपहर 1 बजे

शाम का नाश्ता– चाय के साथ कुकीज, चिप्स या समोसे के अलावा एक कटोरी फल, भुना हुआ चना और मूंगफली लें.  शाम 5 बजे

रात का भोजन: हल्का खाएं  बिसिबेली राइस के साथ दही, दाल चावल या खिचड़ी और पुलाव के साथ सब्जी या सूप लें. रात 8 बजे

सोने के समय – सोने जाते वक्त हल्दी के साथ एक गिलास गर्म दूध लें. यह न केवल आप को अच्छी नींद लेने में मदद करता है बल्कि आप की प्रतिरक्षण क्षमता को भी बढ़ाता है. रात 10 बजे

तरल पदार्थ  -हर दिन 2-3 लीटर पानी पीना न भूलें. नारियल पानी, लस्सी, छाछ, ग्रीन टी, नीबू का रस डिहाइड्रेशन को मात देने के लिए अच्छे विकल्प हैं. दिन भर

इन्हें खाने से परहेज करें-  रेड मीट, रिफाइंड प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड, तैलीय एवं मीठे पकवान, अचार, पापड़, नमकीन   प्रतिदिन

भोजन में शामिल करें -प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ: दालें और फलियां, दूध और इस के उत्पाद, सोयाबीन, अंडे, लीन मीट और मेवे.

कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ: बादाम, दूध और दूध से बने पदार्थ, हरी सब्जी, फलियां, मछली और तिलहन

विटामिन डी: अंडे की जर्दी, हरी सब्जी, वसायुक्त मछली और सीफूड, दूध, विटामिन डी सप्लिमेंट्स

ये पोषक तत्व हड्डी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, मांसपेशियां बेहतर बनाने और प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं.1 ग्राम प्रोटीन / कि.ग्रा.

शरीर का वजन

600 मिलीग्राम कैल्शियम / प्रतिदिन

600-800 आईयू विटामिन डी / प्रतिदिन

व्यायाम- टहलने के लिए जाएं. पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करने के लिए  धूप लें.

अपने नातीपोतों के साथ खेलें, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग लें.  30 मिनट प्रतिदिन

उन सभी माताओं को हैप्पी मदर्स डे जिन्होंने एक बेहतर पीढ़ी के निर्माण के लिए अथक और निस्वार्थ भाव से काम किया.

(लेखिका माय थाली कार्यक्रम से जुड़ी हैं व पोषण सलाहकार हैं.)

लेखिका- डा.मेघना पासी

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