आजकल कोई भी युवती अगर अपनी राय रखे , और वह सरकार को पसंद न आये तो उसके साथ वही होता है जो सफूरा जरगार के साथ हो रहा है .
जामिआ इस्लामिया की स्टूडेंट सफूरा जरगार को गैरकानूनी गतिविधि रोकने के कानून के अनुसार १० अप्रैल को गिरफ्तार किया गया और गैर जमानती धाराओं में उन पर केस दर्ज कर दिया गया .जरगार को १३ अप्रैल को अरेस्ट किया गया था , पुलिस का कहना है कि वह उन लोगों में से थी जो सी ए ए का विरोध कर रहे थे और जिन्होंने २२ -२३ फरवरी को दिल्ली में जफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे रोड ब्लॉक की थी .
वे सत्ताईस साल की एम फिल स्टूडेंट हैं .सफूरा जामिआ कोऑर्डिनेशन कमिटी की मीडिया कोऑर्डिनेटर हैं .उन पर १८ क्रिमनल एक्टिविटीज के आरोप लगाया गए हैं . गिरफ्तारी के समय सफूरा प्रेग्नेंट थी , प्रेगनेंसी की खबर आने के बाद पोंगापथी सोशल मीडिया पर बिना सच्चाई जाने उनके विवाहित होने पर सवाल उठाये जाने लगे और भद्दी टिप्पणियां की जाने लगी . पोंगापंथी सोशल मीडिया पर हमेशा ही महिलाओं को बुरी तरह से निशाना बनाया जाता है , उन पर सेक्सिस्ट और अश्लील कमैंट्स किये जाते हैं. यह उत्पीड़न और बढ़ जाता है अगर महिला अल्पसंख्यक समुदाय की हो .
सफूरा की पर्सनल लाइफ का उनके केस से कोई सम्बन्ध नहीं है , फिर भी उन्हें खूब निशाना बनाया जा रहा है और उनका अपमान किया जा रहा है .
पहले भी ऐसा होता रहा है , सोशल मीडिया पर महिलाओं को जिनमे सामाजिक कार्यकर्त्ता , लेखिका , पत्रकार , स्टूडेंट लीडर शामिल होती हैं , आवाज उठाने पर हमेशा शर्मनाक कमैंट्स का सामना करना ही पड़ा है . किसी पर भी पर्सनल अटैक करना आजकल सबसे आसान है .
जे एन यू की पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष शेहला राशिद ने कहा है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि महिला मैरिड है या नहीं, वह कैसे प्रेग्नेंट हुई , यह उसकी इच्छा है , माँ सिर्फ माँ है , यह शर्म की बात है कि ट्रॉल्स एक माँ बनने वाली महिला का भी सम्मान नहीं कर सकते , इस तरह के मामले बताते हैं कि सरकार के पास उसके खिलाफ कोई मामला नहीं है , किस तरह से बहुसंख्य्वाद फैलाया जा रहा है .” शेहला राशिद मीडिया में अपनी एक ख़ास पहचान रखती हैं जो अक्सर इस तरह की ट्रॉल्लिंग की शिकार होती रही हैं , सफूरा की तरह ही उन्हें भी खूब ट्रोल किया जाता है .
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सोशल मीडिया पर सफूरा के अविवाहित होने के जो दावे किये जा रहे हैं , वे झूठ हैं , उनकी शादी २०१८ में हो चुकी है , सफूरा की साथी स्टूडेंट मोनिका ने बताया है कि सफूरा का विवाह दस अक्टूबर , २०१८ को हुआ . मोनिका भी सफूरा के साथ उसी हॉस्टल में थीं. यह खबर कि उनकी प्रेगनेंसी का पता उनके जेल जाने के बाद चला, यह भी झूठ है , यह अप्रैल की शुरुआत से ही पता था जब उन्हें अरेस्ट किया गया था , दस अप्रैल को अरेस्ट होने के बाद सफूरा ने बताया था कि वे तीन महीने की प्रेग्नेंट हैं और इसी आधार पर जमानत अर्जी दी थी .
एक रिपोर्ट में साफ़ साफ़ लिखा गया है कि दस फ़रवरी को पुलिस और स्टूडेंट्स के बीच विवाद में सफूरा घायल हो गयीं थीं जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था , उनके पति का बयान रिपोर्ट में लिखा था जिसमे उन्होंने कहा कि उनकी प्रेगनेंसी के बढ़ते दिनों की वजह से उन्हें ज्यादा शारीरिक मेहनत करने से रोका गया था , देश में covid 19 फैलने के बाद उन्होंने घर से बाहर जाना बंद कर दिया था , जरुरी काम से ही निकलती थीं ज्यादातर घर से ही काम कर रही थीं . २१ अप्रैल को कोर्ट में एक और जमानत अर्जी दाखिल की गयी जिसमे मेडिकल कंडीशन के बारे में बताया गया है .
भाजपा का आई टी सेल सफूरा जरगार को ट्रेंड कराकर करैक्टर असैसिनेशन में लगा है , ट्वीट किया जा रहा है कि बिना शादीशुदा सफूरा आखिर प्रेग्नेंट कैसे हो गयी ? क्या इसी बात की आज़ादी चाहिए थी ? शाहीन बाग़ को रंगीन बाग़ कहकर यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वहां यही कारोबार चल रहा था . कहीं कन्हैया कुमार को मामा बनने की हार्दिक बधाई दी जा रही है , कहीं अजन्मे बच्चे के डी एन ए पर जोक्स बनाये जा रहे हैं .
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जिस गोपाल शर्मा ने गैर कानूनी हथियार से प्रोटेस्टर्स पर खुले आम फायरिंग की थी , उसके खिलाफ कोई UAPA नहीं . देश के प्रधान मंत्री मोदी के समर्थन में बने फेसबुक पेज # WeSupportNarendraModiसे # SafooraZargar को बदनाम करने के लिए अब #PornClips शेयर की जा रही हैं . क्या प्रधानमन्त्री और बी जे पी ऐसे ग्रुप को समर्थन देती हैं ? अगर नहीं तो इन सभी को गिरफ्तार करवाना चाहिए , बात किसी हिन्दू या मुस्लिम महिला की नहीं , बात एक महिला के सम्मान की है . जिसके बारे में यह पुष्टि हो चुकी है कि इस वीडियो को पोर्नहब वेबसाइट से उठाया गया है , और इस क्लिप में महिला सेलेना बैंक्स हैं . नफरत और झूठी ख़बरें फैलाने की कोई सीमा ही नहीं रही .
वुमन राइट एक्टिविस्ट और वकील वृंदा ग्रोवर का कहना है ,” जब यह जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है कि वह मैरिड है , जानबूझकर घटिया पोस्ट्स के जरिये उसके खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है , यह इस बात का सबूत है कि यह मामला उसे और सी ए ए विरोधी शाहीन बाग़ प्रदर्शन को बदनाम करने के उद्देश्य और उम्मीद से उठाया जा रहा है , यह बहुत ही चिंता का विषय है कि उसकी हेल्थ और रहन सहन जेल में बुरी तरह से प्रभावित होगा , महिला की पर्सनल लाइफ को निशाना बनाकर उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाना और दुष्प्रचार करना , उसे मजबूर करना कि वह अपनी सेक्सुअलिटी को लेकर शर्मिंदा हो , यह बहुत पुराना पुरुषवादी और मिसोजिनिस्ट हथियार है जिससे लोग अपनी राजनीति चमकाते हैं , यह महिला पर बहुत बुरा असर डालता है और उन्हें सार्वजनिक जीवन से दूर करता है , यह दिखाता है कि महिलाओं के लिए , खासतौर से युवा और हाशिये पर खड़ी बोल्ड महिलाओं के लिए सामाजिक नागरिक ढाँचे में हिस्सा लेना कितना मुश्किल है , यह उसकी आवाज़ को , उस राजनीति को जिसकी वह सहायक है , वह जिस आंदोलन से जुडी रही है , उसे दबाने का नीच और घटिया प्रयास है , सफूरा के सविधान विरोधी सी ए ए से जुड़े तर्कसंगत सवालों का सामना करने के बजाय उनके चरित्र पर ऊँगली उठाकर उन्हें खामोश किया जा रहा है .”
डी सी डब्लू चीफ स्वाति मालीवाल ने भी कहा है कि यह अदालत तय करेगी कि सफूरा दोषी है या नहीं पर किसी को भी उसके चरित्र, गरिमा पर ऊँगली उठाने का हक़ नहीं है .
सफूरा के पति का कहना है ,”मैंने उसे १३ अप्रैल के बाद नहीं देखा है , covid के कारण मनी ऑर्डर्स और लेटर्स भी अब नहीं जा सकते .दो बार ही बात हो पायी है . मैं इन ट्रोल्स को रिप्लाई भी नहीं करना चाहता , वे वही करेंगें जो उन्हें करना है .” सफूरा की बहन ने भी यही कहा है ,” हम इस सबसे बहुत दुखी हुए हैं , उसकी इमेज खराब करने के लिए लोग कहाँ तक चले गए , देखकर बहुत ही हैरानी हुई है .” सिर्फ सफूरा को ही नहीं , कश्मीर की फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहा को भी यू ए पी ए के अंतर्गत बुक किया गया है , एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा ,”मैं जर्नलिस्ट हूँ , सोशल एक्टिविस्ट नहीं हूँ , मेरा कोई पोलिटिकल एजेंडा भी नहीं है , हमारा काम है , निष्पक्ष होकर सही ख़बरें सामने लाना .”
एमनेस्टी ने एक स्टेटमेंट में कहा है ”वह इस समय तिहार जेल में है जहाँ देश में सबसे बड़ी संख्या में कैदी हैं और १४ अप्रैल के बाद उसे अपने वकील और पति से मिलने नहीं दिया गया है , इस महामारी के समय उसे यू ए पी ए के अंतर्गत रखना , जबकि वह प्रेग्नेंट है , चिंता की बात है .”उसकी बहन समीया ने एक ओपन लेटर लिखा है जिसमे सफूरा के अरेस्ट को स्लो डेथ कहा है , समीया ने कहा है ”वह यू टी आई की पेशेंट है , और प्रेग्नेंट भी है , इन परेशानियों में हमें उम्मीद थी कि उसे बेल मिल जाएगी पर अभी तक नहीं मिली है ” सफूरा के हस्बैंड ने भी कहा ”हमें उम्मीद थी कि उसे बेल मिलेगी , पर लॉक डाउन में सब काम बहुत धीरे हो रहा है , हमें न्याय व्यवस्था में भरोसा है .”कानूनी कार्रवाई जो हो , सो हो , वह अलग विषय है , पर जिस तरह से इस तरह की घटिया राजनीति में एक महिला के सम्मान को दांव पर लगा दिया जाता है , वह कितना दुखद है , उन लोगों को भी शर्म आनी चाहिए जो सच्चाई को पूरी तरह जाने बिना किसी महिला के बारे में झूठी बातों पर आँख बंद कर यकीन करते चले जाते हैं , वे भी बराबर के अपराधी हैं .