लॉकडाउन के दौरान ऑटो रिक्शा चालकों और कैब ड्राइवर दोनो का कारोबार ठप्प हो गया है. गाड़िया स्टैंड पर खड़ी हो गई है और उसको चलाने वाले घरो में बैठ गए है. परेशानी की बात यह है कि जो गाड़िया बैंक के लोन पर है उनकी ईएमआई कैसे चुकाई जाय ?
एक माह से ऊपर का समय बीत गया लखनऊ के ऑटो रिक्शा चालक अपने घरों पर बिना काम काज के बैठे है. उनकी ऑटो टैक्सी स्टैंड पर या घरो में खड़ी है. इनमे से कुछ ऑटो चालक ऐसे है जिन्होंने खुद बैंक से लोन लेकर अपना काम शुरू किया और कुछ ऑटो चालक ऐसे है जो केवल रोज की दिहाड़ी के आधार पर अपना काम करते है.
ऐशबाग एरिया में रहने वाले सुनील मिश्रा बताते है "साल भर पहले हमने 4 ऑटो रिक्शा बैंक से लोन पर लिए था. बैंक से लोन लेकर 10 लाख की पूंजी लगाई थी.अब शहर में तमाम ऑटो रिक्शा होने से पहले जैसी कमाई नही रह गई थी फिर भी हर दिन एक ऑटो से 1 हजार रुपये प्रतिदिन की बचत हो जाती थी. इससे हमारा अपना और 4 ऑटो चालको के परिवारों का भरण पोषण हो रहा था. पिछले एक माह से लोक डाउन के कारण सभी 4 ऑटो रिक्शा बिना किसी काम के खड़े है. कमाई तो हो ही नही रही उल्टे बैंकों को दी जाने वाली लोन की ईएमआई का पैसा कैसे दिया जाए समझ मे नही आ रहा."
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सुनील मिश्रा की ऑटो किराए पर चलाने वाला मोहम्मद शाहिद कहता है "हम ऑटो रिक्शा चला कर अपने परिवार का भी पालन पोषण कर रहे थे और अपने ऑटो रिक्शा मालिक को भी पैसा दे रहे थें. अब सब भुखमरी के शिकार हो रहे है. हमारी परेशानी है कि हम किस तरह से अपना पेट पाले और किस तरह से बैंक का लोन चुकाए".