एक स्टडी में पता चला है कि स्मार्टफोन और टैब जैसे डिवाइसेज की बैटरियां 100 से ज्यादा जहरीली गैसें पैदा करती हैं. रिसर्चर्स ने ऐसी 100 विषैली गैसों की पहचान की है, जो लीथियम बैटरीज से निकलती हैं. इनमें कार्बन मोनॉक्साइड भी है, जो त्वचा, आंखों और नाक में इरिटेशन पैदा करती है और पर्यावरण के लिए भी खतरनाक होती है.

अमेरिका के इंस्टिट्यूट ऑफ NBC डिफेंस और चीन की सिन्हुआ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा कि लोग ओवरहीटिंग या फिर घटिया चार्जर इस्तेमाल करने के खतरों से वाकिफ नहीं हैं. यह स्टडी लीथियम आयन बैटरीज पर की गई है, जो हर साल 2 बिलियन डिवाइसेज में लगाई जाती हैं.

रिसर्चर जाइ सुन ने कहा, 'आजकल दुनिया भर में कई सरकारें हर चीज के लिए लीथियम आयन बैटरीज को प्रमोट कर रही हैं. मोबाइल डिवाइसेज से लेकर इलेक्ट्रिक वीइकल्स तक में ये यूज हो रही हैं. मगर इनसे जहरीली गैसें निकलती हैं.'

पूरी तरह से चार्ज बैटरी से आधी चार्ज बैटरी की तुलना में ज्यादा गैसें निकालती है. इन गैसों का उत्सर्जन बैटरीज में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स की वजह से होता है. रिसर्चर्स का कहना है कि गैसों की पहचान करने से बैटरियां बनाने वाले यह देख सकते हैं कि वे कैसे पैदा हो रही हैं और इनका उत्सर्जन कैसे रोका जा सकता है.

स्टडी के लिए 20 हजार लीथियम आयन बैटरीज को आग पकड़ने के तापमान तक गर्म किया गया. बहुत सी बैटरीज फट गईं और उन्होंने कई जहरीली गैसें छोड़ीं. बैटरीज कई बार चार्जिंग के दौरान या अन्य तरीकों से ओवरहीट होने पर भी ऐसे फट सकती हैं और नुकसान पहुंचा सकती हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि, 'अगर आप कार में या किसी बंद जगह पर हों और कार्बन मोनॉक्साइड बैटरियों से निकलती रहे तो यह घातक साबित हो सकती है. भले ही यह कम मात्रा में रिलीज हो रही हो.'

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