रामी परेशान थी, देश में कोरोना के कारण 21 दिन का लॉक डाउन था. बच्चे और पति राज घर पर ही थे. हर वक़्त बच्चों के साथसाथ ये भी कुछ न कुछ फरमाइश करते रहते.
रामी को इस का कोई तोड़ नजर नही आ रहा था, तभी घर का काम करते हुए 3 अप्रैल की सुबह मोदी के 9 मिनट के भाषण की आवाज उस के कानों में सुनाई पड़ी :
5 अप्रैल, रात 9 बजे, 9 दीए… रामी बस इतना ही सुन सकी, तभी छोटे बच्चे ने कार्टून का चैनल लगा दिया इसलिए पूरी स्पीच न सुन सकी.
पति राज छत से टहल कर नीचे आए और एक चाय की मांग कर डाली. उन्हें नहीं पता था मोदी के इस भाषण के बारे में.
पति राज कुछ समझ पाता, पत्नी रामी ने थैला थमाते हुए कहा कि पहले कहीं से 9 दीए का इंतजाम करो.
“क्यों…? क्या हुआ…? इन दीए का क्या करोगी…?” राज ने पूछने की गुस्ताखी की, “क्या लॉक डाउन में भी…”
“जी हां, पहले जो कहा है, वो करो,” रामी ने गुस्सा दिखाते हुए कहा.
“अच्छा, जो तुम कहोगी, वही होगा, पर पहले नहा तो लेने दो,” राज ने अपना पक्ष रखा.
राज कुछ सोचता हुआ नहाने बाथरूम की ओर चला गया.
राज जब नहा कर आया, तो उस ने मुस्कान बिखेरते हुए रामी से एक कप चाय की फरमाइश कर दी.
चाय का नाम सुनते ही रामी
का पारा चढ़ गया,” पहले जो कहा है, उसे पूरा करो.”
नरम पड़ते हुए राज ने रामी से कहा,”क्या हुआ आज जो इतनी गुस्से में हो?”
“मैं गुस्से में नहीं हूं…” रामी ने नाराजगी छिपाते हुए कहा.
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“जब मैं आज घर का नाश्ता तैयार कर रही थी, तभी एक अच्छी स्पीच आ रही थी, जिस में कहा गया कि रविवार की रात 9 बजे 9 मिनट अंधेरा करें, फिर 9 दीए जला कर बालकनी में रखें.” रामी ने इतना ही कहा.
“तुम भी बेवजह हंगामा करती हो,” राज ने छोटे बेटे के हाथ से मोबाइल छीन न्यूज वाला चैंनल लगा दिया.
न्यूज़ सुन कर राज ने अपना सिर पीट लिया और बोला, “हंसी आती है ऐसी बातों पर. क्या इस से कोरोना अपनी चाल बदल लेगा? क्या यही है वायरस को मारने का अचूक फॉर्मूला? पहले अंधेरा कर दो. फिर कुछ देर तक तेज दिए या मोबाइल की फ्लैश चला दो. रोशनी से आंखें फेल जाएंगी. वायरस दिखेगा नहीं और चला जाएगा, कहानी समाप्त.”
“यह तुम क्या बोले जा रहे हो? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा,” रामी राज के अजीब चेहरे को देख कर बोली.
“तुम बस अपने घर पर ध्यान दो. इधरउधर की बातों में कम,” राज अजीब नजरों से रामी को देखता हुआ खुद ही चाय बनाने लगा.
राज को चाय बनाते देख रामी खुद ही असल बात पर आते हुए बोली, “मैं इन दोनों बच्चों से काफी तंग आ चुकी हूं, सारा दिन काम करतेकरते मैं भी थक जाती हूं. कमबख्त, ये लॉक डाउन नहीं हुआ, दिमाग का दही हो गया.”
राज ने रामी के गले मे हाथ डालते हुए कहा, “क्यों इतना नाराज़ हो?”
हाथ छिटकते हुए रामी बोली, “रहने दो आप भी. मैं ने भी अब तय कर लिया है कि आज रात 9 बजे इन बच्चों से बात करूंगी,” कहते हुए वह वहां से चली गई.
पूरे दिन खुटका रहा, रामी न जाने क्याक्या बच्चों से बोलेगी.
रात 9 बजे हम सब के लिए फर्श पर दरी बिछा दी गई.
ठीक रात के 9 बजते ही रामी ने 9 मिनट तकअंधेरा कर दिया, उस के बाद मोबाइल की फ्लैश जलाते हुए दरी पर बैठ गई.
यह हरकत देख बच्चे हैरानी से मां की ओर देखने लगे.
कुछ देर बाद राज ने लाइट जलाई और बच्चों के पास ही आ कर बैठ गए.
बच्चों की ओर देख कर रामी बोली, “मेरे प्यारो, पापा के दुलारो, आप सब का काम करतेकरते मैं थक गई हूं. लॉक डाउन के चलते सब ही घर में बैठे हैं और सिर्फ खाए जा रहे हैं, सो रहे हैं बस.”
“पूरे दिन मोबाइल पर गेम या व्हाट्सएप पर चैटिंग के अलावा टीवी के तमाम प्रोग्राम देखते रहते हैं.
“और, मैं पूरे दिन चकरघिन्नी की तरह इधर से उधर तुम सब की फरमाइश पूरी करने के लिए दौड़ती रहती हूं, इसलिए मैं ने बहुत सोचसमझ कर यह फैसला लिया है कि आज रात 12 बजे…” कहते हुए रामी ने थोड़ा पोज बदला, ध्यान से सुनिए, “आज रात 12 बजे…”
फिर रामी बच्चों की ओर देखने लगी… बच्चों के साथसाथ राज की भी सांस ऊपरनीचे हो रही थी. पता नहीं, क्या कहेगी. फिर मेरी ओर देख कर वह बोली, “आज रात 12 बजे से अब इस घर में मेरा लॉक डाउन रहेगा. आज से सब अपनाअपना काम खुद ही करेंगे, अगर आप चाहते हैं कि सबकुछ ठीकठाक चलता रहे तो आप को मेरे द्वारा बनाए नियम मानने होंगे.
“सब से पहला नियम तो यह कि किचन अब इमर्जेंसी में ही खुलेगा, वह भी मेरी मरजी से. मतलब, सिर्फ ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर और वह भी लिमिट में.
“इस के अलावा शाम 4 बजे का स्नैक वाला प्रोग्राम नहीं होगा,चाय हो या कॉफी, सिर्फ सुबह और शाम ही मिलेगी. दिनभर किसी को चाय या कॉफी नहीं मिलेगी.
“दूसरा नियम यह कि खाने के स्वाद, मात्रा और क्वालिटी पर किसी को कुछ भी कहने का हक नहीं होगा.
“आप सभी को मेरे बनाए नियम मानने होंगे. यह नियम आज रात 12 बजे से ही लागू माने जाएंगे.”
फिर बच्चों की ओर उंगली दिखाते हुए रामी बोली,”अगर घर में ठीक ढंग से रहना है तो मेरे इन नियमों को मानना होगा, अन्यथा बाहर सड़क पर पुलिस वालों से मार खाने के लिए तैयार रहना.”
रामी की बात में सचाई थी, इसलिए सभी चुप थे. पति राज ने बच्चों की आंखों में देखा और एक मत से रामी के लिखे नियम पर दस्तखत कर दिए.
ऐसा देख रामी अपनी जीत पर इतराते हुए मुसकराई और बेडरूम की ओर विजयी मुद्रा में सोने चल दी.