भारतीय बैंकों ने 32 लाख अकाउंट्स की जानकारी लीक होने के बाद डेबिट कार्ड्स बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि इस बड़ी लीक को चीन से अंजाम दिया गया है. एसबीआई समेत देश के अन्य बड़े बैंक इस लीक का शिकार हुए हैं. भले ही कस्टमर्स के हितों को बचाने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हों फिर भी कुछ चीजें आप को ध्यान में रखनी चाहिए जब इतने बड़े स्तर पर कोई लीक हो.

अगर आप का पैसा अकाउंट से गायब हो जाए तो क्या करें?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का निर्देश है, 'सिक्यॉरिटी में सेंध के कारण कस्टमर को हुए किसी भी तरह के पैसे के लॉस के लिए बैंक पूरी तरह से जिम्मेदार है.' आरबीआई द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के अनुसार कस्टमर के नोटिफाई करने पर बैंक को 10 वर्किंग दिनों के भीतर कस्टमर के अकाउंट में गायब हुआ पैसा क्रेडिट करना होगा. कस्टमर को यह दिखाना होगा कि उसकी तरफ से किसी तरह का ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है और पैसा बिना उसकी जानकारी के गलत तरह से गायब हुआ है.

आरबीआई ने निर्देश दिए हुए हैं कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कस्टमर की शिकायत का निपटारा 90 दिनों के अंदर हो जाए. क्रेडिट कार्ड से पैसे गायब होने की स्थिति में बैंक यह सुनिश्चित करें कि कस्टमर को किसी भी तरह का ब्याज न देना पड़े.

पैसा गायब होने की स्थिति में सबसे पहला काम है अपने बैंक को इसकी जानकारी देना. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक पैसा देने के लिए बाध्य नहीं होगा.

आगे ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या करें?

बैंक आप को फ्री में दूसरा कार्ड बना कर देंगे. आप नया पिन SMS से या IVRS से या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए बिना बैंक जाए बना सकते हैं. इसके अलावा आप अपनी होम ब्रान्च से पिन के लिए आवेदन भी कर सकते हैं जो आप को मेल के जरिए पहुंचाया जाएगा.

अधिकतर बैंक आप को ज्यादा सिक्यॉरिटी मुहैया कराने के लिए कार्ड नेटवर्क कंपनी चुनने का ऑप्शन भी देती हैं. आप अपनी जरूरत के अनुसार पैसा निकालने की अधिकतम सीमा भी तय कर सकते हैं. इससे आप ज्यादा नुकसान से बच सकते हैं.

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