झालावाड़ जिले के संतरा उत्पादकों पर पिछले दिनों मौसम की मार और अब लॉकडाउन के कारण उन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब भी 50 प्रतिशत संतरे बगीचे में पौधों पर लदे हुए हैं.

किसानों की बढ़ती चिंता
झालावाड़ को संतरा उत्पादन के क्षेत्र में छोटा नागपुर कहा जाता है. झालावाड़ के सुनेल क्षेत्र में पिछले दिनों हुई बारिश और आंधी के कारण संतरे के बगीचों की हालत बहुत खराब हो गई है. संतरे के पौधों के टूटने और संतरे जमीन में गिरने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि उन्हें काफी मात्रा में नुकसान हुआ है.भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने शीघ्र यहां का सर्वे कराकर क्षेत्र के किसानों को उचित मुआवजा दिलवाने की मांग की है. किसानों को अभी तक अतिवृष्टि से खरीफ फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत नहीं मिल पाया है इसलिए क्षेत्र के किसानों को आर्थिक रूप से काफी हद तक परेशानी हो रही है.

पहले मौसम अब कोरोना बना परेशानी
भारतीय किसान संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि क्षेत्र के किसान कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन की वजह से प्रशासन को सूचित नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए वे मीडिया के माध्यम से प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जिले की सभी पंचायतों के पटवारियों के माध्यम से सर्वे करवा कर किसानों को उचित मुआवजा दिलवाया जाए.

राज्य के डिप्टी सीएम से की गुजारिश
वहीं एक अन्य किसान ने राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट से अपील की है कि वो संतरा किसानों को इस आपदा से निकालें. झालावाड़ जिले में किसानों की संतरे की फसल खराब हो रही है. अब संतरे का टूटने का समय आ गया है लेकिन कोरोना वायरस के कारण वाहनों ओर मंडियों पर रोक लगाने से संतरे को मंडी तक नहीं पहुंचा पा रहे है.सरकार से विनती है कि मंडी खुलवाएं और किसानों की उपज का सही मूल्य दिलवाएं.

21 दिन में हो जाएगी फसल की बरबादी
राजस्थान के झालावाड़ में ही नहीं महाराष्ट्र में नागपुर से लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई अन्य जिलों में भी संतरे की खेती होती है. कई जगह किसान किन्नु भी उगाते हैं. ये संतरे की फसल पकने का समय है लेकिन कोरोना संकट के चलते किसान के बाग तक व्यापारी नहीं आ रहे हैं, जिस के कारण परेशान किसान राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार से गुहार लगा रहे हैं. किसानों पंकज ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ट्वीट किया कि किसानों के संतरे के बगीचे पूर्ण रूप से पक चुके हैं अगर 21 दिन तक ये फल किसान बेच नहीं पाया तो सारा फल गिर कर खराब हो जाएगा. पौधों की संख्या ज्यादा होने पर किसान स्वयं मंडी में नहीं बेच सकता इसलिए जो लोग बगीचे का फल लेते है उन्हें गांव में आने दिया जाए.

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