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थानाप्रभारी ने कंचन की हत्या का परदाफाश करने तथा उस के कातिल को पकड़ने की जानकारी एसपी (ग्रामीण) ओमवीर सिंह को दे दी. उन्होंने पुलिस लाइंस सभागार में प्रैसवार्ता की और हत्यारोपी को मीडिया के सामने पेश कर नर्सिंग छात्रा कंचन की हत्या का खुलासा कर दिया.

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के थाना जसवंतनगर क्षेत्र में एक गांव है जगसौरा. इसी गांव में शिवपूजन अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी उमा देवी के अलावा 2 बेटियां कंचन, सुमन तथा एक बेटा राहुल था. शिवपूजन खेतीकिसानी करते थे. उन की आर्थिक स्थिति सामान्य थी.

शिवपूजन के तीनों बच्चों में कंचन सब से बड़ी थी. वह खूबसूरत तो थी ही, पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कालेज जसवंतनगर से इंटरमीडिएट साइंस विषय से प्रथम श्रेणी में पास किया था. कंचन पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी, जबकि उस की मां उमा देवी उस की पढ़ाई बंद कर के कामकाज में लगाना चाहती थी.

उमा देवी का मानना था कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए घरवर तलाशने में परेशानी होती है. लेकिन बेटी की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा. कंचन ने इटावा के महिला महाविद्यालय में बीएससी में दाखिला ले लिया.

बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही एक रोज कंचन की निगाह अखबार में छपे विज्ञापन पर पड़ी. विज्ञापन द्रोपदी देवी इंटर कालेज नगला महाजीत सिविल लाइंस, इटावा से संबंधित था. कालेज को जूनियर सेक्शन में विज्ञान शिक्षिका की आवश्यकता थी.

विज्ञापन पढ़ने के बाद कंचन ने शिक्षिका पद के लिए आवेदन करने का निश्चय किया. उस ने सोचा कि पढ़ाने से एक तो उस का ज्ञानवर्द्धन होगा, दूसरे उस के खर्चे लायक पैसे भी मिल जाएंगे. कंचन ने अपने मातापिता से इस नौकरी के लिए अनुमति मांगी तो उन्होंने उसे अनुमति दे दी.

कंचन ने द्रोपदी देवी इंटर कालेज में शिक्षिका पद हेतु आवेदन किया तो प्रबंधक हाकिम सिंह ने उस का चयन कर लिया. हाकिम सिंह इटावा शहर के सिविल लाइंस थानांतर्गत नगला महाजीत में रहते थे. यह उन का ही कालेज था. कंचन इस कालेज में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को विज्ञान पढ़ाने लगी. कंचन पढ़नेपढ़ाने में लगनशील थी, इसलिए कुछ महीने बाद वह बच्चों की प्रिय टीचर बन गई.

इसी स्कूल में एक रोज आनंद किशोर की निगाह खूबसूरत कंचन पर पड़ी. आनंद किशोर कालेज प्रबंधक हाकिम सिंह का बेटा था. हाकिम सिंह कालेज के प्रबंधक जरूर थे, लेकिन कालेज की देखरेख आनंद किशोर ही करता था. कंचन हुस्न और शबाब की बेमिसाल मूरत थी. उसे देख कर आनंद किशोर उस पर मोहित हो गया. वह उसे दिलोजान से चाहने लगा.

कंचन यह जानती थी कि आनंद किशोर कालेज मालिक का बेटा है, इसलिए उस ने भी उस की तरफ कदम बढ़ाने में अपनी भलाई समझी. उसे लगा कि आनंद ही उस के सपनों का राजकुमार है. जब चाहतें दोनों की पैदा हुईं तो प्यार का बीज अंकुरित हो गया.

कंचन आनंद के साथ घूमनेफिरने लगी. इस दौरान उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए. आनंद के प्यार में कंचन ऐसी दीवानी हुई कि घर भी देरसवेर पहुंचने लगी. मां उसे टोकती तो कोई न कोई बहाना बना देती. उमा देवी उस की बात पर सहज ही विश्वास कर लेती थी.

लेकिन विश्वास की भी कोई सीमा होती है. कंचन जब आए दिन देरी से घर पहुंचने लगी तो उमा देवी का माथा ठनका. उस ने पति शिवपूजन को कंचन पर नजर रखने को कहा. शिवपूजन ने कंचन की निगरानी की तो जल्द ही सच्चाई सामने आ गई. उन्हें पता चला कि कंचन कालेज प्रबंधक के बेटे आनंद किशोर के प्रेम जाल में फंस गई है और उसी के साथ गुलछर्रे उड़ाती है.

शिवपूजन ने इस सच्चाई से पत्नी को अवगत कराया तो उमा देवी ने माथा पीट लिया. पतिपत्नी ने इस मुद्दे पर विचारविमर्श किया और बदनामी से बचने के लिए कंचन का विवाह जल्दी करने का निश्चय किया. तब तक कंचन बीएससी पास कर चुकी थी, इसलिए मां ने एक दिन उस से कहा, ‘‘कंचन, अब तेरा बीएससी पूरा हो चुका है. अब स्कूल में पढ़ाना छोड़ दे. प्राइवेट नौकरी से तेरा भला होने वाला नहीं है.’’

कंचन ने कुछ कहना चाहा तो मां ने बात साफ कर दी, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि तेरे और आनंद के बीच गलत रिश्ता है. तुम दोनों के प्यार के चर्चे पूरे स्कूल में हो रहे हैं, इसलिए अब तू उस स्कूल में पढ़ाने नहीं जाएगी.’’

उमा देवी ने जो कहा था, वह सच था. स्कूल प्रबंधक हाकिम सिंह भी उसे सावधान कर चुके थे. पर अपने बेटे आनंद के कारण वह उसे स्कूल से निकाल नहीं पा रहे थे. चूंकि सच्चाई सामने आ गई थी. इसलिए कंचन ने भी स्कूल छोड़ने का मन बना लिया. उस ने इस बात से आनंद किशोर को भी अवगत करा दिया.

चूंकि बेटी के बहकते कदमों से शिवपूजन परेशान थे, इसलिए उन्होंने कंचन के लिए घरवर की तलाश शुरू कर दी. कुछ महीने की भागदौड़ के बाद उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था अनुपम कुमार.

अनुपम कुमार के पिता रामशरण मैनपुरी जिले के किशनी थानांतर्गत गांव खड़ेपुर के रहने वाले थे. 3 भाईबहनों में अनुपम कुमार सब से बड़ा था.

रामशरण के पास 5 बीघा जमीन थी. उसी की उपज से परिवार का भरणपोषण होता था. अनुपम गुरुग्राम (हरियाणा) में प्राइवेट नौकरी करता था. दोनों तरफ से बातचीत हो जाने के बाद 7 फरवरी, 2014 को धूमधाम से कंचन का विवाह अनुपम के साथ हो गया.

शादी के एक महीने बाद जब अनुपम नौकरी पर चला गया तो कंचन मायके आ गई. कंचन कुछ दिन बाद आनंद से मिली तो उस ने शादी करने को ले कर शिकवाशिकायत की. कंचन ने उसे धीरज बंधाया कि जिस तरह वह उसे शादी के पहले प्यार करती थी, वैसा ही करती रहेगी.

कंचन जब भी मायके आती, आनंद के साथ खूब मौजमस्ती करती. आनंद किशोर के माध्यम से कंचन अपना भविष्य भी बनाना चाहती थी, वह मैडिकल लाइन में जाने के लिए प्रयासरत थी. दरअसल, वह एएनएम बनना चाहती थी.

इधर पिता के दबाव में आनंद किशोर ने भी ऊषा नाम की खूबसूरत युवती से शादी कर ली. लेकिन खूबसूरत पत्नी पा कर भी आनंद किशोर कंचन को नहीं भुला पाया. वह उस से संपर्क बनाए रहा. आनंद किशोर के पास ओमनी कार थी. इसी कार से वह कंचन को कभी आगरा तो कभी बटेश्वर घुमाने ले जाता था. आनंद की पत्नी ऊषा को उस के और कंचन के नाजायज रिश्तों की जानकारी नहीं थी. वह तो पति को दूध का धुला समझती थी.

सन 2017-18 में कंचन का चयन बीएससी नर्सिंग के 2 वर्षीय एएनएम प्रशिक्षण के लिए हो गया. सैफई मैडिकल कालेज में कंचन एएनएम की ट्रैनिंग करने लगी. वह वहीं के हौस्टल में रहने भी लगी. कंचन का जब कहीं बाहर घूमने का मन करता तो वह प्रेमी आनंद को फोन कर बुला लेती थी.

आनंद अपनी कार ले कर कंचन के मैडिकल कालेज पहुंच जाता, फिर दोनों दिन भर मस्ती करते. आनंद कंचन की भरपूर आर्थिक भी मदद करता था और उस की सभी डिमांड भी पूरी करता था. आनंद ने कंचन को एक महंगा मोबाइल भी खरीद कर दिया था. इसी मोबाइल से वह आनंद से बात करती थी.

कंचन आनंद किशोर से प्यार जरूर करती थी, लेकिन उस का अपने पति अनुपम कुमार से भी खूब लगाव था. वह हर रोज पति से बतियाती थी. अनुपम भी उस से मिलने उस के कालेज आताजाता रहता था. इस तरह कंचन ने एएनएम प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर द्वितीय वर्ष में प्रवेश ले लिया.

कंचन और उस के प्रेमी आनंद किशोर के रिश्तों में दरार तब पड़ी, जब आनंद ने शहरी क्षेत्र में 5-6 लाख की जमीन अपनी पत्नी ऊषा के नाम खरीदी. यह जमीन खरीदने की जानकारी जब कंचन को हुई तो उस ने विरोध जताया, ‘‘आनंद, ऊषा तुम्हारी घरवाली है तो मैं भी तो बाहरवाली हूं. मुझे भी 3 लाख रुपए चाहिए.’’

धीरेधीरे कंचन आनंद को ब्लैकमेल करने पर उतर आई. अब जब भी दोनों मिलते, कंचन रुपयों की डिमांड करती. असमर्थता जताने पर कंचन दोनों के रिश्तों को सार्वजनिक करने तथा ऊषा को सब कुछ बताने की धमकी देती. कंचन की ब्लैकमेलिंग और धमकी से आनंद घबरा गया. आखिर उस ने इस समस्या से निजात पाने के लिए कंचन की हत्या करने की योजना बना ली.

24 सितंबर, 2019 की दोपहर आनंद किशोर ने कंचन को घूमने के लिए राजी किया. फिर पौने 2 बजे वह अपनी कार ले कर सैफई मैडिकल कालेज पहुंच गया.

कंचन हौस्टल से यह कह कर निकली कि वह हौस्पिटल जा रही है. लेकिन वह आनंद किशोर की कार में बैठ कर घूमने निकल गई. आनंद उसे बटेश्वर ले कर गया और कई घंटे सैरसपाटा कराता रहा.

वापस लौटते समय कंचन ने उस से पैसों की डिमांड की. इस बात को ले कर दोनों में कहासुनी भी हुई. तब तक शाम के 7 बज चुके थे और अंधेरा छाने लगा था.

आनंद किशोर ने अपनी कार जसवंतनगर क्षेत्र के भितौरा नहर पर रोकी और फिर सीट पर बैठी कंचन को दबोच कर उसे चाकू से गोद डाला.

हत्या करने के बाद उस ने कंचन के शव को नहर में फेंक दिया. फिर वहीं नहर की पटरी किनारे खून से सने कपडे़ जला दिए. वहां से चल कर आनंद ने जगसौरा बंबा पर कार रोकी.

वहां उस ने कंचन के दोनों मोबाइल फोन तोड़ कर झाड़ी में फेंक दिए. साथ ही खून सना चाकू भी झाड़ी में फेंक दिया. इस के बाद वह वापस घर आ गया. किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी कि उस ने हत्या जैसी वारदात को अंजाम दिया है.

24 सितंबर को करीब पौने 2 बजे अनुपम कुमार की कंचन से बात हुई थी. उस के बाद जब बात नहीं हुई तो वह सैफई आ गया और कंचन की गुमशुदगी दर्ज कराई. सैफई पुलिस 18 दिनों तक लापता कंचन का पता लगाने में जुटी रही. उस के बाद हत्या का खुलासा हुआ. लेकिन कंचन की लाश फिर भी बरामद नहीं हुई.

14 अक्तूबर, 2019 को थाना सैफई पुलिस ने हत्यारोपी आनंद किशोर को इटावा कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट ए.के. सिंह की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. सैफई पुलिस कंचन की लाश बरामद करने के प्रयास में जुटी थी.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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