टीवी सीरियल ‘‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’’ में लगातार आठ वर्ष तक अक्षरा का किरदार निभाकर हिना खान ने जबरदस्त शोहरत बटोरी. फिर इस सीरियल को अलविदा कह कर उन्होंने अपनी नई राह बनाने की कोशिश की. इस कोशिश के तहत वह ‘बिग बौस 11’ का हिस्सा बनी. कुछ समय के लिए सीरियल ‘‘कसौटी जिंदगी के 2’’ में कोमालिका का नकारात्मक किरदार निभया. उसके बाद फरीदा जलाल के साथ फिल्म ‘‘लाइन्स’’ में अभिनय कर कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में रेड कारपेट पर चलकर तहलका मचाया. जिसके चलते उन्हें एक इंडो हौलीवुड फिल्म ‘‘कंट्री आफ ब्लाइंड’’ करने का अवसर मिला. इन दिनों वह विक्रम भट्ट निर्देशित फिल्म ‘‘हैक्ड’’ को लेकर अति उत्साहित हैं, जो कि आगामी सात फरवरी को सिनेमाघरों में पहुंचेगी.

प्रस्तुत है हिना खान से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश..

आपका जन्म कश्मीर में हुआ. फिर आपने दिल्ली में पढ़ाई की. अभिनेत्री बनी, मगर जब आप बीबीए की पढ़ाई कर रही थीं, उस वक्त आपकी क्या सोच थी. कहां जाना चाह रही थी ?

जी मैं बी बी ए@ बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई के दूसरे वर्ष मैंने सोचा था कि इसके बाद में मास कम्यूनीकेशंस में मास्टर्स की डिग्री हासिल करूंगी. उस वक्त मुझे पत्रकार बनना था. मैं फील्ड पर जाना चाहती थी. मैं बरखा दत्त की बहुत बड़ी फैन थी. यह तय था मुझे औफिस में बैठकर काम नहीं करना है. मुझे लिखना भी नहीं है. मुझे फील्ड में जाना है. पर एक दिन एक दोस्त मुझे जबरन औडीशन के लिए गई और सीरियल ‘‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’’ में मेरा अक्षरा के किरदार को निभाने के लिए चयन हो गया. उसके बाद की यात्रा जारी है.

उसके बाद की यात्रा को लेकर क्या कहना चाहेंगी ?

मेरी नजर में अब तक की मेरी यात्रा बेहतरीन रही है. इस यात्रा ने मेरे लिए भविष्य के अच्छे द्वार खोले हैं. मैं ‘बिग बौस 11’ का हिस्सा बनी. फिर मैंने कुछ एपीसोड ‘कसौटी जिंदगी के 2’’ के लिए. मैंने एक फिल्म ‘‘लाइन्स’’ की ,जिसने मुझे ‘कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’तक पहुंचाया. यह फिल्म अभी तक फिल्म फेस्टिवल में ही दौड़ रही और जबरदस्त रूप से सराही जा रही है. अभी तक यह फिल्म भारतीय सिनेमाघरों में नहीं पहुंची है. इसी फिल्म ने मुझे हौलीवुड फिल्म ‘‘कंट्री आफ ब्लाइंड’’ दिलायी. फिर मुझे विक्रम भट्ट की फिल्म ‘‘हैक्ड’’ मिली, जो कि सात फरवरी को सिनेमाधरों में पहुंचेगी.

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आपने सीरियल ‘‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’’ छोड़कर टीवी से दूरी बनायी थी. पर फिर आपने सीरियल ‘‘कसौटी जिंदगी की 2’’ क्यों की ?

मेरा सपना रहा है कि सीरियल निर्माता व टीवी क्वीन कही जाने वाली एकता कपूर के साथ काम करने का. ‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’ छोड़ने के बाद मैने ‘बिग बौस 11’ के अलावा फिल्म ‘‘लाइन्स’’ व एक म्यूजिक वीडियो किया. मगर आठ वर्ष तक टीवी पर काम करने के बावजूद मैं एकता कपूर से कभी मिल नहीं पायी थी. यहां तक कि हम किसी अवार्ड फंक्शन में भी नहीं मिले. हमारे बीच कभी कोई बात ही नहीं हुई. पर मैं उनकी फैन थी,तो जब खुद एकता कपूर ने मुझे फोन करके मिलने के लिए बुलाया, तो मैं उनसे मिलने उनके औफिस गयी. फोन पर उनकी आवाज सुनकर मैं हक्की बक्की रह गई थी. जब मैं उनसे मिली ,तो उन्होंने मुझे कहा कि वह चाहती हूं कि मैं कोमालिका किरदार निभाउं और मैं निभा सकती हूं. अब उनके सामने मेरा मुंह नहीं खुला. एकता जी का औरा ही ऐसा है. फिर भी धीरे से मैंने कहा कि नगेटिव किरदार क्यों ? पौजीटिव किरदार क्यों नहीं दे रही हैं. इस पर उन्होंने कहा कि आठ साल पौजीटिव कर लिया. क्यों दोहराना चाहती हो. लोगों को दिखाओ कि तुम एक्टर हो और किसी भी किरदार को निभा सकती हो. अपनी योग्यता दिखाओ कि तुम नगेटिव भी कर सकती हो .न्होंने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया और कहा कि तुम देखना,तुम इतिहास बनाओगी और वही हुआ.

ये रिश्ता क्या कहलाता है की अक्षरा को आठ वर्ष तक निभाते हुए कोई खास प्रतिक्रिया मिली थी ?

8 साल तक लोगों की नजर में मैं भगवान थी यानी कि अक्षरा भगवान थी.लोग मुझसे ऐसे मिलते थे कि वह भगवान से मिल रहे हों. अमूमन ऐसा बहुत कम होता है. लोग घर में मेरी पूजा करते थे कि अक्षरा देवी है.यह कुछ गलत नहीं करती है.जबकि ऐसा असल जिंदगी में नहीं होता है.खैर,मुझे बड़ा प्यार मिला. उस वक्त लोगों के लिए निजी जिंदगी में भी मैं अक्षरा ही थी.

एक तरफ आप बहुत ही घरेलू और शक्तिशाली महिला अक्षरा थीं, तो वहीं  2013 से 2017 तक आपको सेक्सिएस्ट एशिन ओमन’ चुनी जाती रही. यह विरोधाभास नहीं था ?

सच बताऊं तो मुझे कभी यह सोचने का मौका ही नहीं मिला कि मैं कैसे रिएक्ट करूं. मुझे याद है, जब मेरे सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ का पहला प्रोमो आया था, तब सभी ने मुझसे पूछा था कि कैसा लग रहा है? तो मैंने कहा था कि पता नहीं, समझ में ही नहीं आ रहा है. तो मेरे लिए जिंदगी बहुत स्ट्रेंज है. फिल्म ‘हैक्ड’ का प्रोमो आया, सब बहुत खुश है. मैं खुद भी बहुत खुश हूं. लेकिन कोई ऐसी फीलिंग नहीं है. मुझे कभी-कभी लगता है कि बहुत अच्छा है, क्योंकि अगर फीलिंग आएगी तो कभी-कभी सर पर भी चढ़ जाएगी. मुझे आती ही नहीं है. मेरी जिंदगी का लक्ष्य है,‘काम करो और आगे बढ़ो.’ उसके बाद उस फिल्म का जो होना है, वह होगा.

मेरा सवाल यह था कि आपका जो अक्षरा का किरदार था, वह बहुत अलग था. जैसा कि आपने कहा कि लोग देवी मान रहे थे. पर उसी दौरान आपको सेक्सिएस्ट एशियन ओमन’ चुना जा रहा था. यह विरोधाभास नहीं था ?

मैंने इसे तारीफ के रूप में लिया.यह आसान नहीं था. आइ वर्ष तक ग्रहिणी, मां, बहू, पत्नी का किरदार निभाया. तो वहीं निजी जीवन में लोगों ने मुझे ‘सेक्सिएस्ट ओमन’ माना. मैंने बड़े-बड़े कलाकारों को पछाड़ा. पर यह सब मेरे प्रशंसकों ने ही किया.सेक्सिएस्ट ओमन चुना जाना मेरे लिए बहुत बड़ा काम्पलीमेंट था. यह आसान नही था. पर मैंने अपनी बहू वाली इमेज को तोड़ा. यदि ऐसा न होता, तो शायद आज भी मैं अक्षरा के ही रूप में नजर आ रही होती. बाकी कुछ न कर पाती.

आपको लग रहा है कि टीवी प्रगति कर रहा है या उसका स्तर गिरा है ?

वैसा ही है. बिल्कुल वैसा ही है. आज भी लोगों को सास बहू ही देखना है. अभी भी नागिन चल रहा है. सारा मसला डिमांड व सप्लाई का है.

आपने पंजाबी म्यूजिक वीडियो किए. इसके पीछे आपकी क्या सोच थी ?

मैं अजित सिंह की फैन हूं. इसी वजह से यह म्यूजिक वीडियो किया. यह बहुत ही खूबसूरत गाना था. इसे बहुत ही खूबसूरत तरीके से फिल्माया भी गया. मैं यह मौका छोड़ना नहीं चाहती थी. इसका रिस्पांस भी अच्छा मिला.

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फिल्म ‘‘लाइन्स’’ का जब आपको औफर मिला था, तो आपने सिर्फ फिल्म करने के लिए स्वीकार किया था ?

जी हां! एक वजह यह भी थी कि मुझे टीवी से फिल्म की तरफ जाना था. पर फिल्म ‘लाइन्स’ करने की दूसरी वजह इसके विषय का बहुत अच्छा होना रहा. फरीदा जलाल जी के साथ काम करने का मौका मिल रहा था. मैंने इस फिल्म की शूटिंग के दौरान फरीदा जी बहुत कुछ सीखा. मैं नहीं चाहती थी कि मैं ऐसा मौका गवा दूं. फिर कलाकार की भूख भीथी. मैं कलाकार के तौर पर बहुत ग्रीडी हूं. अगर मेरे पास वक्त है और मुझे 15 से 20 दिन किसी फिल्म को देना है. मुझे पता है कि इसमें पैसे कम हैं, फिर भी यदि कुछ सीखने को मिल रहा हो या कलाकार के तौर पर कुछ अच्छा काम करने का अवसर हो,तो कर लेती हूं.

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फिल्म ‘‘लाइन्स’’ को लेकर क्या कहना रहेंगी ?

जब फिल्म ‘‘लाइन्स’’ भारत में रिलीज होगी, तब हम इस पर विस्तार से बात करेंगे. पर ‘लाइन्स’ एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो सीमा पर अपने घर वालों के साथ रहती है. पर कारगिल युद्ध के चलते लड़की परिवार से अलग हो गयी है. उसका आधा परिवार उस तरफ है. उसकी शादी हो चुकी है. अब वह कितनी मेहनत करके किस तरह अपने पति के पास वापस जाती है, उसकी कहानी है.

जब आप अपनी फिल्म ‘‘लाइन्स’’ के साथ पहली ‘‘कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल गयीं, तो क्या अनुभव रहे ?

‘कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’में जो प्यार व अनुभव मिला, उसके बारे में सपने में भी नही सोचा था. कान्स से लेकर भारत तक मेरा जिक्र हुआ. मैंने सोचा था कि ‘कान्स’ में जाकर अच्छे अति खूबसूरत कपड़े पहन कर ‘रेड कारपेट’प वॉक करुंगी.कभी यह नही सोचा था कि वहां पर मुझे लोग इतना प्यार देंगे. मैं सच कहूं तो मैंने सुना था कि ऐश्वर्या राय सहित कई अभिनेत्रियां वाक करती हैं. पर जब मैंने खुद वहां  वाक किया, तो मुझे इसकी कीमत@ महत्व पता चला. मैंने पाया कि यह तो बहुत बड़ा प्लेटफार्म है. जब मैं वहां पहुंची, मैंने देखा कि वहां पर दुनिया भसर के बड़े-बड़े कलाकार यूं ही घूम रहे हैं. कई कलाकार मेरे आस पास से गुजर रहे थे. लेकिन कुछ लोगों का कान्स मे रेडकारपेट पर वाक करना पता ही नहीं चलता है. मैं तो अपने आप को लक्की मानती हूं कि मेरा वहां जिक्र हुआ. हिंदुस्तान में भी मेरी चर्चा हुई.

हौलीवुड फिल्म ‘‘कंट्री आफ ब्लाइंड’’ करते हुए भी फिल्म ‘‘हैक्ड’’ क्या सोचकर की ?

फिल्म ‘‘हैक्ड’’ से जुड़ने की मेरी सबसे बहुत बड़ी वजह यह रही कि मैं एक महिला हूं और यह जो कहानी है वह महिला प्रधान है. देखिए, हैक्ड कोई भी इंसान हो सकता है. आपका अकाउंट भी हैक्ड हो सकता है. मेरा भी हो सकता है. किसी का भी हो सकता है. लेकिन यह कहानी एक ऐसे लड़के की है, जो एक लड़की की जिंदगी खराब कर देता है, उसका सब कुछ ‘हैक्ड’ करके. तो मैंने सोचा कि अगर मैं थोड़ी सी भी इंस्प्रेशन महिलाओं को दे सकूं, उन्हें यह प्रेरणा दे सकूं कि ऐसी परिस्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए. मैं यह मौका गवाना नहीं चाहती थी. मैंने हमेशा यह बात कही है कि मैं महिला सशक्तिकरण में विश्वास करती हूं. मैं अगर महिलाओं को कोई प्रेरणा दे सकती हूं, तो उसके लिए हमेशा खड़ी रहूंगी. इस फिल्म में वही सब है. इसमें एक 19 वर्ष का युवक एक प्रेम में आबेस्ड होकर उस महिला का एकाउंट हैक्ड कर उसे बर्बाद करने का प्रयास करता है, मगर यह महिला किस तरह खुद को बचाती है, उसी की कहानी है.

हैकिंग को लेकर बहुत सारी खबरें आती रहती हैं.स्क्रिप्ट सुनते समय आपको इसमें क्या नई चीज लगी, जिसकी जानकारी आपको नहीं थी ?

इस फिल्म में सब कुछ नया है. स्टाकर पर आधारित ‘डर’ सहित कई फिल्में बनी हैं, ऐसी कई फिल्में बनी हैं, जहां एक आशिक होता है और वह लड़की को रोकता है, जबकि लड़की किसी अन्य से प्यार करती है. उपरी सतह पर इस फिल्म की भी कहानी वही है, लेकिन यह कहानी आज के जमाने से रिलेट करती है. इस कहानी का मूल हिस्सा ‘साइबर क्राइम’ है, जिससे लगभग हर कोई पीड़ित है. तो ‘हैक्ड’ की कहानी में स्टाकर से ज्यादा साइबर क्राइम है.आजकल हमारा सब कुछ हैक्ड हो चुका है. इसीलिए हमारी फिल्म ‘हैक्ड’ की टैग लाइन @हैशटैग है- ‘‘नो व्हेयर टू हाइड.’ यानी कि अब कोई जगह नहीं है, जहां आप अपनी निजिता को छिपा सकें. अब तो सब कुछ फोन पर है. आपका बैंक अकाउंट, आपका मेल, आपकी पर्सनल डिटेल ,पिन नंबर वगैरह सब कुछ मेाबाइल में है. साइबर क्राइम से जुड़े हैकर इसी का इस्तेमाल करके आप को ब्लैकमेल करते हैं.

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फिल्म ‘‘हैक्ड’’ के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी ?

मैंने समीरा खन्ना का किरदार निभाया है, जो कि एक फैशन पत्रिका की एडीटर है.फिल्म में सभी उसे ‘सैम’बुलाते हैं.मेरा निक नेम सैम है. कहानी वहां से शुरू होती है. सैम एक बहुत प्रोफेशनल, बहुत सक्सेसफुल है. लेकिन उसकी निजी जिंदगी बहुत खराब है. उसकी बिल्डिंग में एक 19 साल का लड़का है, जो सैम से प्यार करता है.बहुत ही ज्यादा प्यार करता है.जबकि सैम को उसमें कोई रूचि नही है. सैम और उसकी उम्र में इतना बड़ा अंतर है कि प्यार की बात सोच ही नही सकती. सैम को एक अन्य पुरूष से प्यार है. फिर बीच में कुछ ऐसी चीजें हो जाती हैं कि यह युवक सैम के पर में बावला हो जाता है. लेकिन सैम उसे बिल्कुल भी भाव नहीं देती, तो वह सैम की जिंदगी खराब कर देता है. फिर सैम  कैसे उससे लड़ती है. यही फिल्म है. हर औरत के लिए प्रेरणा है कि सैम ने उसको कैसे हराया.

चर्चा है कि फिल्म ‘‘हैक्ड’’में आपने इंटीमेट सीन भी किए हैं ?

जी हां! न किए हैं. जितनी कहानी व पटकथा की जरुरत थी. इस फिल्म में भी कुछ इंटीमेट सीन है. मैं आपको सच बताउं, तो हर कलाकार का अपना दायरा, अपनी सीमाएं होती हैं, मैने अपनी सीमाओं को लेकर पहले ही फिल्म के निर्देशक विक्रम भट्ट जी को बता दिया था. और उतना ही किया है. इस फिल्म में जितना जरुरी है, उतना ही है.कई फिल्मकार कुछ फिल्मों में जबरन ढेर सारे इंटीमेट सीन व अन्य बोल्ड दृश्य फिल्माते हैं, यह सोचकर कि इन दृश्यों के चलते दर्शक फिल्म देखने आएगा, पर मुझे यह जरुरी नहीं लगता.

मैं आपको सच बताउं तो रियालिस्टिक सिनेमा के दौर में गाली गलौज, मरामारी,हिंसा आदि दिखा रहे हैं,तो यह सब भी दिखाना पडे़गा. क्योंकि इंटीमेट, प्यार, किसिंग वगैरह भी हम सभी की जिंदगी का हिस्सा है. अब यह थोड़ा बहुत आपके उपर हैं.

आपका कश्मीर का जन्म है. कश्मीर जाती हैं ?

मेरा कश्मीर जाना बहुत कम हुआ.मैं अपने काम में ही व्यस्त रही.मैं जो कर रही हूं, उससे खुश हूं.

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आपके शौक क्या हैं ?

गाने गाना. यात्राएं करना .पेटिंग बनाना. मैंने सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में अक्षरा का किरदार निभाते हुए एक लोरी खुद ही गयी थी. फिलहाल अभिनय में ही व्यस्त हूं, गाने की सोच नहीं रही हूं.

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किस तरह की पेंटिग्स बनाती है ?

सच कहूं तो पिछले तीन चार वर्ष से पेटिंग्स बनाने का वक्त नही मिला. बचपन मे मैंने बहुत पेटिंग्स बनायी, कभी घर आएं, दिखाउंगी.

यात्रा करना ?

मैंने हर यात्रा में बहुत कुछ सीखा. भारत में मुझे राजस्थान जाना बहुत पसंद है और हिंदुस्तान से बाहर न्यूयार्क व लंदन बहुत पसंद है.

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