देश के हजारों किसान लंबे समय से हार्टिकल्चर सब्सिडी के लिए तरस रहे हैं. कई राज्यों के किसानों की अर्जियां तो 2 सालों से नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड में पेंडिंग हैं. हालांकि जून महीने में कुछ किसानों और करोबारियों को सब्सिडी का अप्रूवल दिया गया है, लेकिन इस में भी किसानों ने बोर्ड पर पक्षपात का आरोप लगाया है. इधर, बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि पिछले 2 सालों में अर्जियां दोगुनी हो गई हैं, जिस से प्रक्रिया में समय लग रहा है.
50 फीसदी तक दी जाती है सब्सिडी
नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड की ओर से डेवलपमेंट आफ कमर्शियल हार्टिकल्चर थ्रू प्रोडक्शन एंड पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम के तहत सब्सिडी दी जाती है. इस के तहत फूलों की खेती, फलों की खेती और पालीहाउस में सब्जियों की खेती के लिए किसानों को 50 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है. इस के अलावा कोल्ड स्टोरेज बनाने और प्रोसेसिंग हाउस बनाने के लिए कारोबारियों को 35 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है.
प्रक्रिया के तहत किसान कारोबारी पहले एप्लिकेशन देते हैं. इस के बाद जब एनएचबी की एक टीम फिजिकल इंस्पेक्शन करती है, फिर इसे प्रोजेक्ट अप्रूवल कमेटी और फिर बाद में इंटरनल कमेटी की मीटिंग में रखा जाता है. इन मीटिंगों के बाद सब्सिडी के लिए अप्रूवल दिया जाता है. इस के लिए कृषि मंत्रालय से हर साल बोर्डको फंड मिलता है.
2 साल से नहीं मिल रही सब्सिडी
पिछले 2 सालों से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान वगैरह राज्यों के हजारों किसानों की अर्जियां पेंडिंग हैं. ओरेंज ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमोल तोते का कहना है कि नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड ने 2 सालों से समय से हार्टिकल्चरक्राप ग्रोअर्स के साथ होने वाली मीटिंग भी नहीं बुलाई है, जबकि पहले यह मीटिंग हर साल होती थी.
अमोल तोते के अनुसार साल 2014-15 और 2015-16 में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों को सब्सिडी नहीं मिली है. इस के अलावा उन का आरोप है कि सब्सिडी अर्जी के बाद बोर्ड अधिकारी बिना किसी निरीक्षण के ही किसानों कीअर्जियों को खारिज कर देते हैं.
कारोबारियों को सब्सिडी देने पर रहता है जोर
बोर्ड का सारा ध्यान कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिटें लगाने वाले कारोबारियों पर रहता है. वेजीटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष श्रीराम गढावे ने बताया कि चूंकि किसानों पर मौसम की मार भी रहती है, तो बैंकों की रिकवरी समय परनहीं हो पाती है, इसलिए बैंकों और बोर्ड की मिलीभगत के चलते सब्सिडी दिए जाने के लिए कारोबारियों को ही पहले चुना जाता है. बोर्ड का ध्यान किसानों की ओर नहीं है. अब बोर्ड ने आनलाइन अर्जियां लेनी भी बंद कर दी हैं.