दीवारों को पीक से लाल रंग में रंगने वाले पान की छवि को एफएमसीसी सेक्टर बदलने में लगा हुआ है. फूड रेगुलेटर ने बिना पीक वाले मॉडर्न पान को इजाजत दे दी है जो फैक्टरियों में असेंबल और पैक किए जाते हैं और इनको छह महीने के बाद भी खाया जा सकता है. मुंबई के माउथ फ्रेशनर सप्लायर चंदन मुखवास के पंकज शाह कहते हैं, 'हम हर महीने पान के लगभग एक लाख पीस बेचते हैं. कंज्यूमर अब सुविधा और स्वच्छता पसंद करते हैं और पान चबाने की बात पर वे अब नाक भौं नहीं सिकोड़ते.' बाजार में डिजल, यामुज पंचायत, मैपरो मजाना, पेठावाला आगरा, सुरभि, दिल बहार और नटराज जैसे पान के कई ब्रांड्स हैं.

मुखवास यानी माउथफ्रेशनर्स सबसे बड़ी फूड कैटेगरी में से एक है और बहुत हद तक अनऑर्गनाइज्ड है. लेकिन रिटेलर्स का मानना है कि अगर सही से मार्केटिंग की जाए तो इसकी ग्रोथ वेस्टर्न डेजर्ट्स से ज्यादा हो सकती है. सुपरमार्केट्स की फूड बाजार चेन चलाने वाले फ्यूचर ग्रुप में एफएमसीजी और ब्रांड्स प्रेसिडेंट देवेंद्र चावला कहते हैं, 'अगर इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाई जाए, नुकसानदेह सामग्री हटाई जाए और सही से ब्रांडिंग की जाए तो यह आफ्टर एट मिंट्स का इंडियन ऑप्शन हो सकता है.'

देशभर में 7 लाख दुकानें हैं, जहां पान बिकते हैं. भागवत पुराण में भगवान श्रीकृष्ण के पान चबाने का जिक्र है. अमेरिका में यह पिछले पांच साल से बिक रहा है.भारत में इसका हुलिया बदला है क्या? आम पन्ना से लेकर जलजीरा तक की ट्रेडिशनल रेसिपी की ब्रांडिंग करके उसको ऑर्गनाइज्ड ट्रेड का हिस्सा बना दिया गया है.

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