घर में पालतू जानवर रखने के शौकीन बहुत से लोग हैं. कुछ के लिए उन का पालतू उन के बच्चों से भी ज्यादा प्रिय है तो कुछ के लिए उन का पालतू ही सबकुछ है. पालतू जानवर के रूप में कुत्ता, बिल्ली, घोड़ा, पक्षी, गायभैंस आदि हो सकते हैं. इन के रखरखाव में भी लोग कोई कसर नहीं छोड़ते. खाना, कपड़े और खिलौने के साथसाथ उन की ग्रूमिंग पर भी खास ध्यान दिया जाता है. कुल मिला कर पालतू को घर में अच्छीखासी तवज्जुह दी जाती है.
अकसर पतिपत्नी पालतू को घर के सदस्य का दर्जा देते हैं और अपने बच्चे जैसा प्यार करते हैं. वे दोनों साथ में उस की परवरिश करते हैं. इस से पालतू भी उन दोनों का आदी हो जाता है. लेकिन, क्या हो जब पतिपत्नी में अलगाव हो जाए और वे दोनों तलाक ले कर अलग होने का फैसला कर लें? उन के पालतू का उन दोनों के बीच बंटवारा कैसे होगा? इस से भी बढ़ कर, यदि वे दोनों ही अपने पालतू को न छोड़ना चाहें तो?
वाकेआ कैलिफोर्निया का है जहां पतिपत्नी एकदूसरे से तलाक लेने कोर्ट गए. दोनों ने तलाक लेने की एक ही शर्त सामने रखी, उन के पालतू की कस्टडी. उन दोनों का कोई बच्चा नहीं था और यही कारण है कि वे अपनी पिट बुल टेरियर, जिस का नाम स्वीट पी था, की कस्टडी चाहते थे. डाइवोर्स कोर्ट का जज भन्नाया हुआ था और पति का रोना रुक नहीं रहा था. उस महिला के पति ने उसे हजारों डौलर्स तक देने चाहे लेकिन महिला के लिए अपने पालतू से ज्यादा कीमती कुछ नहीं था.
आखिर में महिला द्वारा स्वीट पी की कस्टडी हासिल करने के लिए कोर्ट में एक ग्रीटिंग कार्ड दिखाया गया, जिस पर लिखा था, ‘यह (कुत्ता) तुम्हारा क्रिसमस का तोहफा है. आई लव यू.’ यानी, महिला के मुताबिक, उन का पालतू उस के पति द्वारा दिया गया तोहफा था और इस बाबत उस की असली मालकिन वह ही है. कोर्ट ने महिला की दलील को जायज करार देते हुए स्वीट पी की कस्टडी महिला को दे दी. तब महिला के पति का रोना चुप कराना सभी के लिए लगभग नामुमकिन हो गया था.
इंडियन इंटरनैशनल पैट ट्रेड फेयर की आयोजक क्रिएचर कम्पेनियन मैग्जीन के अनुसार, औसतन 6 लाख पालतू हर वर्ष भारत में एडौप्ट किए जाते हैं. भारतीय पालतू जानवरों के रखरखाव का व्यवसाय लगभग 25 हजार करोड़ रुपए का है जिस के 2024 तक 17 फीसदी बढ़ने की संभावना है. लोग स्पा, पार्लर, डिनर और पार्टीज में जिस आय को खर्च करते थे, उसे अब अपने पालतू के लिए भी खर्च करने लगे हैं.
परिवार पालतुओं को घर का सदस्य बनाने लगे हैं जिस का एक कारण फिल्मों और विज्ञापनों में लगातार जानवरों की बढ़ती मौजूदगी है. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि लोग खुद को अपने पालतू का मालिक नहीं कहलवाते बल्कि ‘प्राउड पैट पेरैंट्स’ कहलवाना अधिक पसंद करते हैं. इस के बावजूद भारत में पतिपत्नी के तलाक के बाद उन के पालतू की कस्टडी को ले कर किसी तरह का कोई कानून नहीं है.
भारत में इस तरह के अधिक मामले अभी सुर्खियों में नहीं आए हैं लेकिन, बावजूद इस के यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर वक्त रहते विचार करना जरूरी है. अधिकतर ऐसे मामले इसलिए दब कर रह जाते हैं क्योंकि पतिपत्नी आपसी सहमति से अपने पालतू की कस्टडी ले लेते हैं. इन मामलों में से ऐसा ही एक मामला अहमदाबाद का है जहां एक दंपती के तलाक का मुकदमा एक साल से ज्यादा सिर्फ इसलिए अटक कर रह गया क्योंकि पति का कहना था कि वह तब तक तलाक नहीं देगा जब तक कि उस के दोनों पालतुओं लंगदी और एंजेल की कस्टडी उसे नहीं मिल जाती.
कमला और विजय (बदले हुए नाम) 2010 से अपनी शादी से खुश नहीं थे, जिस कारण उन्होंने 2015 में अलग होने का फैसला कर लिया. कमला ने विजय पर मारपीट और शोषण के आरोप लगाए. परिवार वालों के बीचबचाव में मामला शांत करने और कमला द्वारा विजय पर लगाए आरोप वापस लेने की शर्त पर उसे 30 लाख रुपए मुआवजे के रूप में देने की बात पक्की हो गई.
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मामला आपसी सहमति से तलाक के लिए हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13बी के तहत सिटी फैमिली कोर्ट में पहुंचा. लेकिन, तलाक होतेहोते सिर्फ इस कारण रह गया कि विजय को अपने दोनों पालतू कुत्तों की कस्टडी चाहिए थी जो 2015 से ही उस की पत्नी कमला के साथ रह रहे थे. इस पर कमला अडिग रही कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह अपने कुत्तों को पति के हवाले नहीं करेगी. आखिर एक साल तक केस के खिंचने और कोई भी हल न निकल पाने के बाद कमला ने हार मान कर और जल्द से जल्द इस रिश्ते को खत्म करने के लिए दोनों कुत्तों को अपने पति को सौंप दिया.
पालतू की कस्टडी और कानून
यूएस : पालतू जानवर व्यक्ति के जीवन में क्या महत्त्व रखते हैं, इस से भलीभांति परिचित होते हुए कैलिफोर्निया के गवर्नर जेरी ब्राउन ने सितंबर 2018 में एबी 2274 बिल पर हस्ताक्षर किए, जिस के अनुसार, शादीशुदा दंपतियों के अलग होने पर ‘पालतू जानवर की देखभाल’ को विशेषतया विचार में लिया जाएगा. इस से पहले तक पालतुओं को भी घर के बाकी सामान की तरह का दर्जा दिया जाता था पर अब उन्हें ‘यूनीक नेचर’ की कैटेगरी में डाला जाएगा.
कैलिफोर्निया अमेरिका का तीसरा राज्य है जहां तलाक के मुकदमों में पालतू जानवर के रखरखाव और कस्टडी पर ध्यान दिया जाएगा. इस से पहले अलास्का और इलिनोईस में भी 2017 में समान कानून बन चुका है. इन 3 राज्यों के अलावा अमेरिका के बाकी राज्यों में पालतुओं को प्रौपर्टी के रूप में ही देखा जाता है.
इस कानून के तहत जजों द्वारा तलाक के समय पालतू की कस्टडी को ले कर निम्न बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है :
– पालतू को खाना कौन खिलाता है?
– पालतू को एडौप्ट किस ने किया था?
– पालतू के लिए खाना, कपड़े, खिलौने और अन्य सामान कौन खरीदता है?
– पालतू को सैर पर कौन ले जाता है?
– पालतू का ज्यादा ध्यान कौन रखता है?
– कौन पालतू के साथ ज्यादा समय व्यतीत करता है?
- क्या पालतू के साथ कभी किसी तरह की हिंसा हुई है?
यूके : पालतुओं को यूके में घर के बाकी सामान की ही तरह सम झा जाता है. यानी, तलाक के समय पालतू किस के पास जाएगा, यह इस पर निर्भर करता है कि किस ने उसे खरीदा था, उस के खर्च कौन उठाता है व इंश्योरैंस के पैसे कौन देता है. उन मामलों में जहां दंपती यह साबित करने में असमर्थ होते हैं वहां उन्हें कानूनी कार्यवाही के चलते अच्छीखासी रकम चुकानी पड़ती है. ऐसे मामलों में कोर्ट पालतू के हक में फैसला करने हेतु विभिन्न कारकों को मद्देनजर रखता है. जैसे, यदि पतिपत्नी अलग हो रहे हैं और उन के पास पालतू कुत्ता है, तो यदि उन में से एक फ्लैट में रहता है और दूसरा बंगले में, तो कोर्ट कुत्ते की सुविधानुसार बंगले वाले पार्टनर को ही कुत्ते की कस्टडी देगा ताकि उसे खेलनेकूदने के लिए खुला मैदान मिल सके.
पालतू पर भी पड़ता है प्रभाव
जिस तरह मातापिता के तलाक के समय बच्चों पर असर पड़ता है उसी तरह बच्चे जैसे पाले गए पालतू पर भी अपने मालिकों के तलाक का गहरा असर पड़ता है. पतिपत्नी के तलाक के दौरान पालतुओं में कई बदलाव देखने को मिलते हैं. वे खाना खाना छोड़ देते हैं, खेलनाकूदना बंद कर देते हैं और उदासीन एक कोने में पड़े रहते हैं. यह सब उन के अवसादग्रस्त होने के लक्षण हो सकते हैं. कुत्ते, बिल्ली इस स्थिति में अकसर अपने बाकी दोस्तों से मिलने में भी कोई रुचि नहीं दिखाते. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि अपने तलाक में दंपती जिस पालतू के लिए लड़ रहे हैं उसी को नजरअंदाज कर उस की भावनाओं से न खेलें.
बदलावों से पालतू को अलग रखें : जानवर एकदम से बड़े बदलावों में ढलने के आदी नहीं होते. यदि आप अपने लड़ाई झगड़ों के बीच शिफ्ट कर रहे हैं तो पालतू को परिवार के बाकी सदस्यों से एकदम से अलग न करें, खासकर घर के बच्चों व उन सदस्यों से जिन के वे बेहद करीब हैं.
पालतू के सामने चिल्लाने और झगड़ने से बचें : अपने पालतू जानवर के सामने चिल्लाने और एकदूसरे को अपशब्द कहने से बचें. हो सके तो उसे दूसरे शांत कमरे में छोड़ आएं. लड़ाई झगड़ों के बीच पालतू के दिलदिमाग पर गहरा असर पड़ सकता है. झगड़ों के चलते पालतू में व्यावहारिक बदलाव हो सकते हैं. इन बदलावों के दिखने पर आवश्यक है कि आप उसे डाक्टर के पास ले कर जाएं.
मिलने से न रोकें : यदि पतिपत्नी का तलाक हो रहा है या हो चुका है तो इस का मतलब यह नहीं कि आप अपने पालतू को भी अपने पार्टनर से हमेशा के लिए अलग कर देंगे. उसे समयसमय पर अपने पार्टनर से भी मिलवाते रहें. इस से आप के पालतू को खुशी होगी और उसे अच्छा लगेगा. बीते दिनों हौलीवुड अभिनेत्री और सिंगर माइली साइरस का अपने पति लीएम हैम्स्वर्थ से तलाक हुआ, तो उन के 15 पालतुओं की कस्टडी माइली को मिली. बावजूद इस के, कपल चाहे साथ में वक्त न बिताते हों लेकिन बारीबारी अपने पालतुओं की देखभाल जरूर करते हैं.
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पालतुओं को अलग न करें : यदि तलाक लेते समय पतिपत्नी के पास एक से ज्यादा पालतू हैं और वे यह सोचते हैं कि आपस में दोनों पालतुओं को बराबर बांट लेते हैं, तो यकीन मानिए अपने पालतू के साथ आप अन्याय से कम कुछ नहीं कर रहे. आप उन से उन के असली साथियों को छीन कर केवल दुख ही पहुंचाएंगे. इस से न वे खुश रह पाएंगे और न आप. इसलिए उन्हें आपस में बांट लेने का खयाल दिमाग से निकाल दें.
पालतू को उस के सही हकदार को दें : यदि पतिपत्नी आपस में तलाक लेते समय पालतू की कस्टडी पर विवाद करते हैं, इस बात को जानते हुए कि पालतू का लगाव दोनों में से किसी एक से ज्यादा है, तो स्पष्ट तौर पर दूसरे को यह बात सम झ लेनी चाहिए. मान लीजिए आप अपने पति को केवल इसलिए पालतू नहीं देना चाहतीं क्योंकि आप को लगता है अपने पालतू के साथ आप ज्यादा अच्छा फील करती हैं, तो निस्संदेह ही यह बेतुका तर्क होगा. खुद की खुशी के साथसाथ अपने पालतू की खुशी का खयाल रखना भी जरूरी है. आप उसे खुद से केवल इसलिए मत बांधे रखिए क्योंकि आप चाहते हैं, बल्कि उस की खुद की खुशी को ध्यान में रखने को ज्यादा महत्त्व दें.