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तनु रवि के दिल से उतर गई थी. विवाह करना चाहता था वह उस से लेकिन विदेश में रहते हुए भी धर्म, जाति, रिवाजों में जकड़े रवि के मातापिता विजातीय तनु को बहू बनाने के लिए हरगिज तैयार न थे. क्या रवि थोथी मान्यताओं के आगे  झुक गया?

उस दिन प्रतीक के परिवार ने एक धमाकेदार पार्टी दी थी. पूरा परिवार अपने दोस्तों और अमेरिका में बसे नजदीकी रिश्तेदारों के साथ जश्न मना रहा था. पार्टी घर पर ही रखी थी. लगभग 70 लोग थे. उन का घर भी तो आलीशान महल जैसा ही था. कैलिफोर्निया के फ्रीमौंट शहर की ऊंची पहाड़ी पर एक कालोनी में उन का बंगला था. पहाड़ी पर बीचबीच में कुछ जंगली पेड़ थे. डरहम रोड पर बसी थी उन की कालोनी. कभीकभी दिन में भी मेन रोड पर जंगल से निकल कर हिरण दौड़ते दिखता था.

पार्टी की वजह प्रतीक के इकलौते बेटे रवि का इंजीनियरिंग कालेज में ऐडमिशन होना था. वे अपनी पत्नी और 2 साल के बेटे रवि के साथ लगभग 18 साल पहले कैलिफोर्निया आए थे. कैलिफोर्निया अपने सिलिकौन वैली और हौलीवुड के लिए विख्यात है. यहां दोनों मियांबीवी सौफ्टवेयर इंजीनियर थे. रवि 20 साल का हो चुका था. उस के भी कुछ दोस्त पार्टी में आए थे. पार्टी के लिए कुछ खाना तो होटल से मंगवाया था, पर ज्यादातर घर पर ही बनवाया था. सभी लोग खाने की तारीफ कर रहे थे. नौर्थ इंडियन, साउथ इंडियन और गुजराती व्यंजन सभी का मिश्रण था खाने में. ‘इडली, ढोकला, खट्टामीठा भात, दूधपाक, मिठाइयां आदि विशेष आकर्षण थे.

रवि के अमेरिकी मित्र ने पूछा, ‘‘इतना सारा तुम लोग घर पर कैसे मैनेज कर लेते हो?’’

रवि बोला, ‘‘मेरे यहां 12 साल से एक गुज्जू (गुजराती) मेड है जो सभी प्रकार के इंडियन खाने बनाने में ऐक्सपर्ट हैं.’’

उसी समय एक बुजुर्ग महिला और एक युवती अपने हाथों में टे्र ले कर आईं. जो बाउल खाली हो चले थे उन में उन दोनों ने और पकवान ला कर भर दिए. रवि ने बुजुर्ग महिला की ओर इशारा कर मित्र को बताया कि हमारे यहां का ज्यादातर खाना यही बनाती हैं. तभी वे दोनों महिलाएं रवि के पास से गुजरीं. रवि ने बुजुर्ग महिला को रोक कर कहा, ‘‘आशा, बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाया है आप ने. मेरा अमेरिकी दोस्त भी काफी तारीफ कर रहा है.’’

आशा थैंक्स बोल कर जाने लगी तभी रवि ने उन से पूछा, ‘‘आप के साथ यह लड़की कौन है? आज पहली बार देख रहा हूं.’’

‘‘यह मेरी बेटी तनुजा है. हम इसे प्यार से तनु कह कर बुलाते हैं. यह स्कूल के फाइनल ईयर में है. कल से यही पार्टटाइम काम करेगी. यह भी बहुत अच्छा खाना बनाती है.’’

रवि तनुजा को ऊपर से नीचे तक देखता रहा. तनुजा उन दोनों को हाय कर के चली गई. रवि उसे जाते हुए देखता रहा. उस के मित्र ने कहा, ‘‘यार, कहां खो गए? वह तो गई. पर मैं भी इस टिपिकल इंडियन ब्यूटी को सैल्यूट करता हूं, यार.’’

रवि बोला, ‘‘कोई बात नहीं. वह तो कल से रोज ही आएगी.’’

तनु की मां प्रतीक के यहां 3 घंटे रोज काम करती थीं, 20 डौलर प्रति घंटे के रेट से. किसी दिन काम ज्यादा होता तो कुछ और देर तक काम करना होता था. वह खाना बनाने के अलावा लौंड्री करती (औटोमैटिक मशीन में कपड़े धोने और पूरी तरह सुखाने का काम. यहां खुले में या धूप में कपड़े डालने का चलन नहीं है), घर की सफाई का काम करतीं और किचन के बरतन डिशवाशर में रख देतीं और अगर मशीन भर गई होती थी तो उसे औन कर दिया करती थीं. वे सिर्फ खाना बनाने वाले बरतन ही डिशवाशर में डालती, जूठे बरतन धोना उन का काम नहीं था.

आशा ने तनु को पूरा काम सम झा दिया था. रवि की मां प्रभा को भी बोल गई थीं कि कल से तनु ही आएगी. इंडियन स्टोर के किचन में काम मिल गया, सो, वहां ज्यादा टाइम देना पड़ेगा. और तनु भी कुछ महीने बाद कालेज जाएगी तो खर्च भी बढ़ जाएगा.

तनु के पिता भी फ्रीमौंट में उसी इंडियन ग्रौसरी स्टोर में काम करते थे. पतिपत्नी दोनों की आमदनी मिला कर परिवार चलाने लायक हो जाती थी. तनु मातापिता की इकलौती संतान थी. तनु भी बहुत दुलारी बेटी थी. देखनेसुनने में अति सुंदर, लाखों में एक, लड़के तो लड़के, लड़कियां भी उस की सुंदरता पर मुग्ध थीं.

पार्टी के अगले दिन से तनु ही प्रतीक के यहां आने लगी थी. प्रतीक का परिवार कट्टर ब्राह्मण था, यहां तक कि घर में लहसुनप्याज भी नहीं आते थे. गुजराती को प्रतीक ने काम पर खासकर इसलिए रखा था कि उस का परिवार भी शुद्ध शाकाहारी था.

जब रवि छोटा था तो उस की मां उसे स्कूल में ड्रौप कर देती थी. तनु की मां आशा दोपहर में अपनी कार से ले कर आतीं, उसे खाना खिलातीं, उस के कपड़े बदलतीं और उसे कुछ ऐक्स्ट्रा क्लासेज, स्विमिंग आदि के लिए अपनी कार से ड्रौप कर देती थीं. शाम को मां ही पिक कर लेती थीं.

अब तनु सुबह में बस एक घंटे आती, फिर दोपहर स्कूल से लौट कर 2 घंटे बाकी काम करती थी. वह अपनी कार से ही आती थी. अभीअभी 18 वर्ष की हुई थी, तब उसे ड्राइविंग लाइसैंस मिला था. तनु के आने के बाद रवि उस से फरमाइश कर गुजराती खाना बनवाता था. वह उस की सुंदरता पर फिदा था. तनु उस के कमरे को काफी साफसुथरा और सजा कर रखती थी. रवि उस के काम से बहुत खुश था. रोज किसी न किसी बहाने तनु से कुछ बात कर लिया करता था.

तब समर वैकेशन था. अमेरिका में जून से अगस्त तक लगभग 3 महीने का समर वैकेशन होता है. एक दिन दोपहर में तनु आई. वह घर का वैक्यूम कर रही थी. रवि उस के पास जा कर बोला, ‘‘हाय, तुम बहुत सुंदर हो.’’

हालांकि वैक्यूम की तेज आवाज में भी वह सुन चुकी थी, फिर भी अनजान बनते हुए कहा, ‘‘व्हाट?’’

रवि बोला, ‘‘यू आर टू ब्यूटीफुल.’’

एक बार फिर अनजान बन कर धीमी मुसकराहट के साथ तनु ने कहा, ‘‘व्हाट?’’

इस बार रवि ने अपने पैर से वैक्यूम का बटन दबा कर औफ कर दिया और कहा, ‘‘तुम बेहद खूबसूरत हो.’’

‘‘यह तो मैं जानती हूं. सभी कहते हैं. और कोई बात?’’

‘‘तुम खाना भी अच्छा बनाती हो.’’

‘‘यह भी मैं जानती हूं.’’

तब उस के सिर पर धीरे से थपकी देते हुए रवि ने कहा, ‘‘और कुछ नहीं, मेरी नानी. जाओ, थोड़ी कौफी पिलाओ. तुम अपने लिए भी बना लाओ.’’

तनु बोली, ‘‘नहीं, मैं नहीं पिऊंगी.’’

थोड़ी देर में वह कौफी बना कर रख गई और काम में लग गई. रवि ने पूछा, ‘‘तुम्हारी मम्मी बोल रही थीं कि फौल सौमेस्टर में तुम कालेज जौइन कर रही हो.’’

तनु बोली, ‘‘हां, मैं यहीं फ्रीमौंट के ओलन कालेज में अकाउंटिंग का कोर्स करूंगी.’’

‘‘यह तो मिशन बुलवार्ड पर है. बिलकुल घर के पास, एक मील की दूरी पर. वैसे तुम्हारी अकाउंटिंग की चौइस अच्छी है,’’ रवि बोला.

‘‘कालेज पास में है, इसीलिए तो कालेज में पढ़ने का साहस किया है. वरना कहीं बाहर भेज कर पढ़ाने की हैसियत पापा की नहीं है.’’

इसी तरह इन दोनों में धीरेधीरे बातचीत बढ़ती गई. एक दिन रवि ने तनु से कहा, ‘‘मु झे तुम गैराज तक ड्रौप कर सकती हो? मेरी कार मेकैनिक के पास है. सुबह छोड़ कर आया था. उस समय मम्मी ने वापस घर पर ड्रौप कर दिया था. वैसे कोई प्रौब्लम है, तो रहने दो, मैं  कैब बुला लूंगा.’’

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