तू ने प्यारभरी नजरों से जो देखा

तेरी ये ‘मैं’ नायाब बन गई

तराशे पत्थर मेरे बदन पर

आते ही शृंगार बन गए

मेरे शबनमी नूर की गिरफ्त में

आ कर वे माहताब बन गए

तेरे दिए हीरे जो मैं ने पहने

मेरी तपिश से आफताब बन गए

सजधज कर मैं ने कदम रखे

तेरे दिल की महफिल में

‘हमारी’ पाक दोस्ती

खूबसूरत किताब बन गई

तू ने प्यारभरी नजरों से जो देखा

तेरी ये ‘मैं’ नायाब बन गई.

       – मीनाक्षी सिंह

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