सिंगार को दुनियाभर की औरतें अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती हैं. सिंगार बिना औरत रह ही नहीं सकती. औरत शहर की हो, गांव की या जंगल की, वह किसी न किसी तरह खुद को सजा-संवार कर ही रखना चाहती है. सिंगार के बिना वह खुद को मुकम्मल नहीं देखती. सिंगार के लिए अगर उसे अपने शरीर को छिदवाना या गुदवाना भी पड़े तो वह उससे भी परहेज नहीं करती है, फिर चाहे कितना भी दर्द क्यों न हो. आप यह देखकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में आदिवासी महिलाएं सिंगार को लेकर कितनी उतावली और उत्साहित हैं. उनके सिंगार तो आपको आश्चर्य में डाल देंगे -

  1. योनोमी जनजाति, ब्राजील

दक्षिण अमेरिका के वर्षावन में रहने वाली योनोमी जनजातियां बाहरी दुनिया के लोगों से बहुत कम संपर्क में रहती हैं. इस जनजाति को आज सबसे अधिक खतरे में माना जा रहा है क्योंकि बाहरी लोगों के संपर्क में आने से उनमें तरह-तरह के रोग पनप रहे हैं और ब्राजील सरकार उनकी घुसपैठियों और रोगों से रक्षा नहीं कर पा रही है. इस जनजाति की महिलाएं बहुत मेहनती होती हैं और जीवन में बहुत संघर्ष करती हैं. इनका सिंगार अनोखा होता है. ये शरीर में जगह-जगह छेद करके रंगीन स्टिक से अपना सिंगार करती हैं. कई नृविज्ञानियों का मानना है कि इनका स्टिक भेदी आचरण या तो एक सजावटी प्रकृति है या किशोरावस्था की निशानी है. अफसोस की बात है कि ये महिलाएं अपहरण और मारपीट की बहुत शिकार बनती हैं.

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2. दासनच जनजाति, इथियोपिया

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