अनाज मंडी में मेरी दुकान है. बड़ी और पुरानी दुकान है. मेरे दादाजी ने यह दुकान खरीदी थी और पिताजी के बाद अब इसे मैं देखता हूं. इस दुकान में एक पुराना नौकर है माधव. दस साल से मेरी दुकान में काम कर रहा है. बड़ा ईमानदार और मेहनती है. उस पर पूरा गल्ला छोड़ कर मैं इत्मिनान से खरीदारी के लिए बाहर चला जाता हूं. माधव के होते दुकान पर एक पैसे की भी हेरफेर नहीं होती है.
पांच साल पहले की बात है. माधव की ईमानदारी देखकर मैंने उसकी तनख्वाह पांच सौ रुपये बढ़ा दी थी. जब तनख्वाह वाले दिन मैंने उसे बढ़ी हुई तनख्वाह दी तो रुपये गिनने के बाद उसने पैसे जेब में रख लिये और बिना कुछ बोले अपने काम में लग गया. मुझे बड़ी हैरानी हुई कि उसने पूछा तक नहीं कि मैंने उसे पांच सौ रुपये एक्स्ट्रा क्यों दिये? मैंने सोचा शायद वह सोच रहा है कि लालाजी ने गलती से पांच सौ रुपये ज्यादा दे दिये हैं. उसने अगर यह जान कर चुपचाप नोट रख लिये हैं तो यह उसकी ईमानदारी पर धब्बा है. खैर, मैं कुछ बोला नहीं. अगले महीने भी तनख्वाह में पांच सौ रुपये एक्स्ट्रा मिलने पर वह कुछ नहीं बोला. चुपचाप नोट लेकर जेब में रख लिये और काम में लग गया.
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दो महीने बीते होंगे कि उसने काम से कई बार छुट्टी ली. मैं देखता था कि इधर काम में उसका मन भी कुछ कम ही लग रहा था. वह ज्यादातर फोन पर लगा रहता था. फिर एक हफ्ते के लिए गायब हो गया. मुझे बड़ी खीज लगी कि देखो मैंने इसकी तनख्वाह बढ़ाई, धन्यवाद देना तो दूर इसने तो काम में चोरी शुरू कर दी है. अगली तनख्वाह में मैंने उसके पांच सौ रुपये काट लिये. लेकिन इस बार भी उसने तनख्वाह लेकर चुपचाप नोट गिने और जेब में रख लिये. फिर खामोशी से काम में लग गया. मैं बड़ा बेचैन था. आखिर ये कुछ बोलता क्यों नहीं? न तब बोला जब मैंने पांच सौ रुपये ज्यादा दिये और न अब बोला जब पांच सौ रुपये मैंने काट लिये.
शाम तक मेरी बेचैनी बढ़ गई. आखिर मुझसे रहा न गया. मैंने उसको बुलाया और पूछा, ‘माधव, जब मैंने तीन महीने पहले तेरी तनख्वाह बढ़ायी थी, तब तू कुछ नहीं बोला था, आज जब मैंने पांच सौ रुपये काटे तब भी तू कुछ नहीं बोला?’
माधव सिर झुका कर बोला, ‘लालाजी, जब आपने पांच सौ बढ़ाये थे तब मेरी बीवी को लड़का हुआ था तो मैंने सोचा कि वह अपने हिस्से का लेकर आया है, इसमें मेरा क्या है और पिछले हफ्ते मेरी बीमार मां मर गई, तो आज जो आपने पांच सौ काटे तो मुझे लगा कि वह अपने हिस्से का ले गई, इसमें मेरा क्या?’
उसकी बात सुनकर मैं उसकी सोच पर हैरान रह गया. इस दुनिया में आज भी इतने सरल और ईमानदार लोग हैं, विश्वास करना कठिन था, मगर मेरे पास माधव जैसा हीरा है.