कंप्यूटर, इंटरनेट और टेक्नोलॉजी, ये दुनिया बड़ी ही रंगीन है. इस दुनिया में आने के बाद यहां से निकलना इतना भी आसान नहीं है. लेकिन जितनी रंगीन है उतनी ही खतरनाक भी, यहाँ भी आपको फूंक-फूंक कर कदम रखने होते हैं.
यहां चोरियां भी धड़ल्ले से होती हैं. आपके पास अपडेटेड सॉफ्टवेयर हो या हार्डवेयर कोई फर्क नहीं पड़ता और इन चोरियों को कहते हैं 'साइबर क्राइम'. हम आपको डरा नहीं रहे हैं बल्कि सावधान कर रहे हैं.
साइबर क्राइम के बारे में हम से कई लोगों के अलग विचार हैं. कोई सोचता है कि आम लोग इसका शिकार नहीं हो सकते हैं. या फिर जो ज्यादा इंटरनेट नहीं इस्तेमाल करते उनको इसका खतरा नहीं होता. लेकिन ऐसा नहीं है, बल्कि इस तरह की सोच आपको खतरे में डाल सकती है और बन सकते इन साइबर क्रिमिनल्स का अगला टारगेट.
आज हम ऐसे ही 5 बातों के बारे में आपको बातएंगे जो कि साइबर क्राइम मिथ हैं. इन पर ध्यान न देकर बड़ी गलती कर सकते हैं.
सॉफ्टवेर आपको बचा लेंगे
प्रोटेक्शन के लिए सॉफ्टवेर आते हैं, लेकिन अकेला सॉफ्टवेर आपको साइबर क्राइम से बचा नहीं सकता है. लोगों का यह मान लेना कि सॉफ्टवेर डाउनलोड कर लिया है, अब तो कुछ भी किया जा सकता है.
साइबर क्राइम का मतलब है क्रेडिट कार्ड फ्रॉड
कई लोगों का मानना है कि साइबर क्राइम का मतलब सिर्फ क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से है. उन्हें लगता है कि साइबर क्राइम में ज्यादातर क्रेडिट कार्ड के मामले ही होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं. साइबर क्राइम में साइबर स्टाकिंग, इमेल बॉम्बिंग, डाटा डिडलिंग, सलामी अटैक, मोर्फिंग आदि शामिल हैं.
केवल पैसा कमाने के लिए होता है साइबर क्राइम
ऐसे ही एक मिथ है कि साइबर क्राइम के जरिए लोग केवल पैसा बनाते हैं. किसी के बैंक से पैसे ट्रांसफर कर लेना आदि. यदि ऐसा होता हम जितने सुरक्षित हैं उससे कहीं गुना ज्यादा सुरक्षित होते. लेकिन साइबर क्राइम के जरिए पैसे से जयादा आपकी निजी जानकारियों को खतरा होता है.
छोटे बिजनेस को नहीं है खतरा
जो लोग ऐसा सोचते हैं वो खुद को बड़ी समस्या में डाल सकते हैं. साइबर क्राइम कभी भी किसी के साथ हो सकता है. इसमें छोटा बिजनेस, बड़ा बिजनेस ये मायने नहीं रखता है.
साइबर क्राइम रोकने का कोई तरीका नहीं है
यह सही है कि हर साइबर क्राइम को रोका नहीं जा सकता है. लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि साइबर क्राइम को रोकने का तरीका ही नहीं है.