कैमिस्ट्री लैब में साथ साथ कैमिकल एनालिसिस करते कब सुरेंद्र और सीमा एकदूसरे के दिल का एनालिसिस कर बैठे, पता ही नहीं चला. उन के सारे गुण एकदूसरे से मिलते थे. पूरी तरह ताले और चाबी की तरह जैसे मानो इन्हें एकदूसरे के लिए ही बनाया गया हो. सुरेंद्र लुधियाना के एक बिजनैसमैन का बेटा था और सीमा हिमाचल के पहाड़ी शहर सोलन की रहने वाली थी. सुरेंद्र ने सीमा के बारे में अपने घर पर  सबकुछ बता रखा था और एकाध बार वह सीमा को ले कर अपने घर भी गया था. सुरेंद्र के घर वालों को वह बिंदास पहाड़ी नदी सी ऊर्जावान लड़की काफी पसंद आई थी.

कहते हैं न ‘इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते,’ सो सुरेंद्र और सीमा के संबंधों की खबर सीमा के घर सोलन तक जा पहुंची थी. पहाड़ी शहर के पुराने खयालों के लोग डरते थे. उन के लिए तो लड़की की इज्जत ही सबकुछ थी. अगर लड़की ने बिरादरी से बाहर शादी कर ली तो हम यहां किस मुंह से रह पाएंगे? झूठी इज्जत के मारे सीमा के घर वालों ने उस की पढ़ाई बीच में ही छुड़वा दी, उस से मोबाइल छीन लिया और सुरेंद्र को कभी सीमा से न मिलने की चेतावनी दे दी. आननफानन में सीमा की शादी कसबे के ही एक अन्य युवक से तय कर दी गई जो कसबे में एक छोटी सी किराने की दुकान चलाता था.

पर कहते हैं न कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी कभी पहाड़ पर नहीं रुकते. सीमा ने भी किसी तरह एक सहेली के मोबाइल से सुरेंद्र को फोन कर के सारे हालात बता दिए थे. सीमा ने सुरेंद्र से कहा कि वह अब और अधिक बरदाश्त नहीं कर सकती. दोनों कहीं भाग चलते हैं, लेकिन सुरेंद्र ने साफ इनकार कर दिया. उस का कहना था कि वह भाग कर शादी करने के विरुद्ध है. सुरेंद्र को खुद पर बहुत विश्वास था तो सीमा को उस पर अति विश्वास. वह खुद से ज्यादा भरोसा सुरेंद्र पर करती थी. सुरेंद्र ने अपने प्यार को पाने के लिए एक योजना बनाई और सीमा को इस से अवगत करवा दिया. योजना सुन कर उदास रहने वाली सीमा खिल उठी.

सीमा ने घर वालों की इच्छा के अनुसार चंदर से शादी के लिए हामी भर दी थी. उस ने शादी का एक कार्ड सुरेंद्र को भी भेज दिया था. इंतजार का एकएक पल उसे बड़ा लंबा लगता था, आखिर इंतजार की घडि़यां खत्म हुईं और शादी का दिन भी करीब आ पहुंचा. शादी के दिन सुरेंद्र भी अपने दोस्तों के साथ वहां आ पहुंचा था. तय योजना के अनुसार फेरों से ठीक पहले सीमा ने अचानक खड़े हो कर चंदर को एक जोरदार थप्पड़ मारा और चिल्ला कर बोली, ‘‘मुझे नहीं करनी इस दहेज लोभी से शादी जो दहेज में कार मांग रहा है.’’

सीमा की इस हरकत पर वर वधु दोनों तरफ के लोग सन्न रह गए. सीमा के पिता धीरे से बोले, ‘‘यह क्या कह रही हो, कार तो हम खुद ही दे रहे हैं.’’ ‘‘इन बेकारों को कार, फिर कल कुछ और मांगेंगे,’’ सीमा चिल्ला कर बोली. अब तक बरात में खलबली मच चुकी थी. ‘‘कौन करेगा ऐसी बदतमीज युवती से शादी, घर पर बैठेगी कुंआरी,’’ तभी दूल्हे के बाप ने चिल्ला कर कहा और बरात को बैरंग लौट चलने का आदेश दिया. सुरेंद्र तो इसी इंतजार में था, सो उस ने तुरंत प्रस्ताव रखा, ‘‘आप लोग घबराएं नहीं, मैं करूंगा इस बहादुर युवती से शादी, वह भी बिना किसी दहेज के.’’ सीमा को योजना सफल होती दिख रही थी, वह तो इस पल के लिए तैयार ही थी सो उस ने तुरंत हामी भर दी. सीमा के पिता हालात के आगे मजबूर हो चुके थे, मरता क्या न करता, सो शादी के लिए तैयार हो गए. सुरेंद्र की योजना सफल हो गई थी. उसे अपना प्यार मिल गया था. इस योजना की सफलता ने प्रेमियों को मिला दिया था.

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