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सनी देओल के बेटे करण देओल की फिल्मी पारी

लगभग तीन वर्ष से चर्चाएं गर्म रही हैं कि सनी देओल अपने बेटे करण देओल को बतौर अभिनेता फिल्मों में लांच करना चाहते हैं. बीच में खबर गर्म थी कि राज कुमार संतोषी की फिल्म से करण का करियर शुरू हो गया, फिर यह खबर भी उड़ी थी कि संजय गुप्ता और सनी देओल के बीच करण के करियर को लेकर लंबी चर्चाएं हुई. मगर परिणाम कुछ नहीं निकला था. पर अब यह तय हो गया है कि सनी देओल अपनी होम प्रोडक्शन कंपनी ‘विजेता फिल्मस’ के ही बैनर तले नई फिल्म की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसका नाम ‘पल पल दिल के पास’ हो सकता है. इस फिल्म से सनी देओल अपने बेटे करण देओल को अभिनय के मैदान में उतारने जा रहे हैं. यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो फरवरी माह के तीसरे सप्ताह से करण देओल को हीरो लेकर फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी.

सूत्रों का दावा है कि सनी देओल के मुंबई के जूहू इलाके में स्थित ‘‘सनी सुपर साउंड स्टूडियो’’, जहां सनी देओल ने अपना आफिस भी बना रखा है, में एक से तीन फरवरी तक इस नई फिल्म के लिए लड़कियों के स्क्रीन टेस्ट लेकर हीरोईन का चयन किया जाएगा. सूत्र बता रहे हैं कि दिल्ली की लडकी को यह मौका मिल सकता है, क्योंकि फिल्म की कहानी दिल्ली की है. इतना ही नहीं सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि सनी देओल अपनी इस फिल्म को उत्तर भारत में ही फिल्माने वाले हैं. मगर इस मसले पर सनी देओल ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है.

सुशांत सिंह राजपूत का पब्लिसिटी स्टंट या संजय लीला भंसाली का मजाक

बॉलीवुड से जुड़े लोगों की महिमा अपरंपार है. यह वह लोग हैं जो हर घटना में अपना प्रचार करने की राह निकाल ही लेते हैं. 27 जनवरी, शुक्रवार के दिन जयपुर में जब फिल्म ‘पद्मावती’ के सेट पर राजपूत करणी सेना के कुछ लोगों द्वारा अपना विरोध प्रकट करते हुए संजय लीला भंसाली को थप्पड़ मारने के साथ-साथ शूटिंग के उपकरणों को क्षति पहुंचायी, तो बॉलीवुड के कई फिल्मकार व कुछ कलाकार संजय लीला भंसाली के साथ खडे़ हो गए.

शनिवार, 28 जनवरी की शाम होते-होते प्रचार के भूखे अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने भी इस बहती गंगा में हाथ धो लेने के मकसद से खुद को संजय लीला भंसाली के साथ खड़े होने का संकेत देते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर जाकर अपने नाम के साथ ‘‘राजपूत”  सरनेम हटाते हुए लिखा- ‘‘हम लोग आज तक यातना भोगते आए हैं, क्योंकि हम सभी अपने-अपने सरनेम के साथ जुड़े हुए हैं. यदि आप में ताकत है, तो अपनी पहचान के लिए सिर्फ पहला नाम रखे.’’ सुशांत सिंह राजपूत के इस कदम के चलते वह देखते ही देखते टीवी समाचार चैनलों व अखबारों की सुर्खियों में छा गए.

मगर दो दिन बीतने के साथ ही वह फिर से अपने पुराने रंग में रंग गए. सोमवार, 30 जनवरी की सुबह सुशांत सिंह राजपूत ने ट्विटर पर पुनः अपना सरनेम ‘राजपूत’ जोड़ लिया, तो क्या दो दिन पहले ट्विटर पर सरनेम “राजपूत” हटाने का उनका ऐलान महज पब्लिसिटी स्टंट था या ऐसा कर उन्होंने संजय लीला भंसाली का मजाक उड़ाया था?

सुशांत सिंह राजपूत के इस कदम की अब जब ट्विटर पर आलोचना हो रही है, तो सुशांत सिंह राजपूत ने ट्विटर पर ऐसे लोगों को जवाब देते हुए लिखा है- ‘‘मूर्ख, मैंने अपना सरनेम नहीं बदला है. आपके अंदर साहस है, तो जान ले कि मैं आपसे से दस गुना ज्यादा राजपूत हूं. मैं डरपोक व कायरतापूर्ण घटना के खिलाफ हूं.’’

सुशांत सिंह राजपूत के इस बयान पर एक सज्जन ने उन्हे ट्विटर पर इसका जवाब देते हुए लिखा है- ‘‘कुत्ते भी तुझसे ज्यादा वफादार हैं. जिसका खाते हैं, उसके लिए भोंकते हैं. मगर तूने तो हद्द कर दी, तू तो कुत्ते से भी बदतर निकला.’’ तो वहीं जयेष सिन्हा ने लिखा- ‘‘जब राजपूत शब्द हटा दिया था, तो फिर से उसे लगा क्यों लिया. शास्त्रों में इसे थूक के चांटना कहा गया है.’’ मतलब कि अब ट्विटर पर सुशांत सिंह राजपूत को मुंह की खानी पड़ रही है.

उधर सुशांत सिंह राजपूत ने कुछ पत्रकारों से कहा है- ‘‘मैंने दो दिन के लिए अपना सरनेम हटाया था. ऐसा करने के पीछे मेरा मकसद यह जताना था कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से सभी ‘राजपूत’ सरनेम वालों का संबंध नही है. यह चंद लोग पूरे राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. मैं अपना नाम नहीं बदल रहा.’’

इतना ही नहीं अब तो सुशांत सिंह राजपूत एक शिक्षित व उत्कृष्ट कलाकार की सारी मर्यादाओं को तांक पर रखकर अहम में चूर हो कर जिस भाषा में ट्विटर पर लोगों को जवाब दे रहे हैं, उससे वह शर्मिंदा भी नहीं हो रहे हैं, यह घोर आश्चर्य की बात है. सुशांत सिंह राजपूत ने ट्विटर पर लिखा है- ‘‘बेटा तेरी उम्र से ज्यादा मेरे पास फिल्में हैं. उसकी टेंशन मत ले तू. चल अब सो जा.’’

‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ का टीजर रिलीज

बॉलीवुड एक्टर वरुण धवन और आलिया भट्ट स्टारर फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ का ऑफिशियल टीजर रिलीज कर दिया गया है. फॉक्स स्टार स्टूडियो की तरफ से लाई जा रही यह फिल्म धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले बनी है. फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ को 2014 में रीलीज फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ की सिक्वल बताई जा रही है. हालांकी मेकर्स ने इस बात से साफ इंकार कर दिया है.

फिल्म में वरुण का नाम बद्रीनाथ बंसल उर्फ बद्री है. टीजर में आलिया का एक भी शॉट नहीं है. वीडियो में वरुण एक स्टूडियो में अपनी फोटो खिंचवाने के लिए आए हुए हैं, लेकिन देखने से लगता है कि जिस स्टूडियो में वरुण फोटो खिंचवाने आए हैं वहां का फोटोग्राफर उन्हें कुछ ज्यादा ही परेशान कर रहा है. अपनी शादी के लिए फोटो खिंचवाने आए नर्वस वरुण को फोटोग्राफर टोके जा रहा हैं, फोटोग्राफर के बार-बार टोकते रहने के बाद जब वरुण का गुस्सा उनसे कन्ट्रोल नहीं होता तो वे फोटोग्राफर को अपना जूता फेंक कर मार देते हैं. इसके बाद जो म्युजिक और लिरिक्स शुरु होती है, उसमें आलिया का नाम रीवील किया गया है. हालांकी गाने में आलिया और वरुण के किरदार के नाम बद्री और मुनिया का इस्तेमाल किया गया है.

रैफेल नडाल को कितना जानते हैं आप?

ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल के बाद से ही टेनिस की चर्चायें हो रही हैं. रविवार का फाइनल इतना रोमांचक था कि भारत और इंग्लैण्ड के बीच टी20 मैच के होने के बावजूद बहुत से दर्शक टेनिस देख रहे थे. कल के मैच से एक और बात साबित हो गई की क्रिकेट के दीवानों से भरे इस देश में टेनिस प्रेमी भी हैं.

कल के मैच के विजेता फेडरर ने यह साबित कर दिया कि असली विजेता कौन है. रोजर फेडरर की यह 18वीं ग्रैंड स्लैम जीत थी. पर नडाल ने हारकर भी कुछ ज्यादा नहीं खोया.

जीत के बाद फेडरर ने यह तक कहा कि टेनिस में अगर ड्रॉ जैसा कुछ होता तो वे नडाल के साथ यह जीत बांटकर खुश होते. कल के मैच के बाद हर तरफ फेडरर की बातें हो रही हैं. पर हम आपको बता रहे हैं नडाल के बारे में कुछ अनसुनी बातें-

1. किंग ऑफ क्ले

स्पेन के खिलाड़ी नडाल को ‘किंग ऑफ क्ले’ के नाम से मश्हूर हैं. उन्हें टेनिस इतिहास में क्ले कोर्ट का सबसे बेहतरीन खिलाड़ी कहा जाता है.

2. 8 साल की उम्र में जीता चैंपियनशिप

नडाल ने 8 साल की उम्र में ही अंडर-12 रिजनल टेनिस चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर लिया था.

3. फुटबॉल से भी था प्रेम

नडाल को टेनिस और फुटबॉल दोनों खेलों से ही प्रेम था. उनके पिता ने उन्हें टेनिस और फुटबॉल में से किसी एक खेल को चुनने कहा ताकि उनके स्कूल की पढ़ाई पर असर न पड़े. नडाल ने फुटबॉल खेलना छोड़ दिया.

4. 15 साल की उम्र में बन गए प्रोफेशनल

नडाल ने 15 साल की उम्र में ही प्रोफेशनल टेनिस में एन्ट्री कर ली थी.

5. 17 साल की उम्र में फेडरर को हराया

नडाल ने 17 साल की उम्र में पहली बार फेडरर को हराकार विंबेलडन के तीसरे राउंड में प्रवेश किया. ऐसा करने वाले वे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं.

6. 19 साल की आयु में जीता फ्रेंच ओपन

नडाल ने 19 साल की आयु में पहली बार फ्रेंच ओपन खेला और पहले ही टूरनामेंट में फ्रेंच ओपन का खिताब अपने नाम कर लिया.

7. चाचा से मिलती है कोचिंग

जहां सभी खिलाड़ी इंटरनेशनल फेम के कोच हायर करते हैं. नडाल को टेनिस की कोचिंग उनके अपने चाचा से ही मिलती है. नडाल को टेनिस की दुनिया में लाने का श्रेय भी उनके चाचा टोनी नडाल को ही जाता है.

8. लगातार 81 मैच जीतने का रिकॉर्ड

नडाल ने क्ले कोर्ट में लगातार 81 मैच जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है.

9. 2009 में जीता ऑस्ट्रेलियन ओपन

नडाल ने 2009 में ऑस्ट्रेलियन ओपन अपने नाम किया. यह खिताब जीतने वाले वे पहले स्पेनियार्ड हैं.

10. भारत में है नडाल एकेडेमी

नडाल ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में गरीब बच्चों के लिए नडाल टेनिस एकेडेमी खोली है.

11. म्यूजिक वीडियो में भी किया काम

नडाल ने शकीरा के साथ एक म्यूजिक वीडियो में भी काम किया है. ‘जिप्सी’ नामक यह वीडियो 2009 में रीलिज की गई थी.

जब केरोली टेकक्स ने असंभव को संभव कर दिया

हम बात कर रहे हैं एक ऐसे अविश्वसनीय इतिहास की जो खेल जगत में रचा गया और आज भी पूरी दुनिया और विभिन्न खिलाड़ियों द्वारा याद किया जाता है. केरोली एक ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होनें अपनी असीम इच्छा शक्ति से वो कर दिखाया जिसके बारे में आप और हम सोच भी नहीं सकते. यदि हमारे साथ कुछ बुरा होता है तो हम शायद अपनी पूरी लाइफ अपनी किस्मत और भगवान को दोष देते रहेंगे पर केरोली टेकक्स ने ऐसा कुछ भी नहीं किया उन्होनें अपना पूरा ध्यान अपने टारगेट पर, अपने खेल पर लगाया.

केरोली टेकक्स हंगरी के एक आर्मी मैन और बेहतरीन पिस्टल शूटर थे. साल 1938 के नेशनल गेम्स में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर उन्होंने हंगरी में एक प्रतियोगिता जीती. उस समय में उनके प्रदर्शन को देखते हुए पूरे हंगरी में रहने वाले लोगों को ये विश्वास हो गया था की साल 1940 में होने वाले ओलंपिक में केरोली ही देश के लिए गोल्ड मेडल लाऐंगे.

1938 के नेशनल गेम्स के तुरंत बाद, एक दिन आर्मी ट्रेनिंग कैंप के दौरान किसी हादसे में उनका सीधा हाथ बुरी तरह जख्मी हो जाता है और बचपन से जिस हाथ को शूटिंग के लिए उन्होंने ट्रेंड किया था वह हमेशा के लिए उनके शरीर से अलग हो गया. केरोली के साथ साथ पूरा हंगरी हताश हो जाता है. पर केरोली हार मानने वालों में से नहीं थे. अर्जुन की तरह उन्हें भी अपने लक्ष्य के अलावा कुछ नजर नहीं आता था. इसलिए किसी को बिना बताये ही वे अपने दूसरे यानि लेफ्ट हैण्ड से शूटिंग की प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं.

लगभग एक साल बाद 1939 के नेशनल गेम्स में वे फिर लोगों के सामने आते हैं और गेम्स में भाग लेकर सबको आश्चर्य में डाल देते हैं. पिस्टल शूटिंग गेम में चमत्कार करते हुए वे एक बार फिर गोल्ड मेडल जीत लेते हैं. अब तो पूरे हंगरी को फिर विश्वास हो गया की 1940 के ओलंपिक में पिस्टल शूटिंग का गोल्ड मेडल केरोली ही जीतेगें. पर वक्त ने एक बेहतरीन शूटर केरोली टेकक्स के साथ एक बार फिर खेल खेला और उस समय के वर्ल्ड वार के कारण साल 1940 के ओलंपिक कैंसिल कर दिये गए. पर प्रबल इच्क्षाशक्ति रखने वाले केरोली निराश नहीं हुए और उन्होंने अपना पूरा ध्यान 1944 के ओलंपिक पर लगा दिया. पर उनकी किस्मत और वक्त तो जैसे उनके जीवन की परीक्षा लिए ही जा रहा था, साल 1944 के ओलंपिक भी वर्ल्ड वार के कारण नहीं हो सका.

एक बार फिर हंगरी वासियों का विश्वास डगमगाने लगा क्योंकि एक खिलाड़ी के तौर पर केरोली की उम्र बढ़ती जा रही थी पर केरोली का सिर्फ एक ही लक्ष्य था पिस्टल शूटिंग में ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल करना. आखिरकार साल 1948 में ओलंपिक आयोजित हुए और केरोली ने उसमे हिस्सा लिया और अपने देश के लिए पिस्टल शूटिंग का गोल्ड मेडल जीता. सारा हंगरी खुशी की लहर में डूब गया क्योंकि केरोली ने वो कर दिखाया जो किसी भी और खिलाड़ी के लिए असंभव था. पर वे यही नहीं रुके. 1952 के ओलंपिक में भी भाग ले कर उन्होंने वहां भी गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया. केरोली उस पिस्टल इवेंट में लगातार दो गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले खिलाड़ी बनें.

काली गुफा में अंधेरा ही अंधेरा

नोटबंदी के कहर के बाद अब औरतों को डिजिटल पेमैंट का कहर सहने को तैयार रहना होगा. अब तक औरतें अपना पैसा अपने पास कनस्तरों, दराजों, साडि़यों में छिपा कर रखती थीं पर अब यह तो संभव होगा ही नहीं, कार्ड से पेमैंट करने में जब भी चूक हुई समझ लें कि पैसा हाथ से गया. डिजिटल पेमैंट के चाहे कितने गुण गा लिए जाएं यह पक्का है कि डिजिटल पेमैंट के पीछे का चेहरा किसी को न दिखेगा. अगर कहीं कुछ गलत हुआ तो मोबाइल फोन लिए बैठे बटन दबाते रहो और मंदिरों की तरह रामधुन के रिकौर्ड सुनते रहो. आप की शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं होगी. पंडितों के तंत्रमंत्रों के उतने पेच नहीं होंगे जितने इस डिजिटल पेमैंट के फौर्मूलों में हैं.

जो पुरुष कंप्यूटरों पर काम करते हैं वे तो इस गोरखधंधे को समझ सकते हैं पर सामान्य औरतों के लिए, चाहे वे भारत की हों या अमेरिका की, उन के लिए इस डिजिटल सांपसीढ़ी के खेल को समझना कठिन होगा. असल में डिजिटल पेमैंट का खेल बैंकों से जुड़ी कंपनियों का लूट का अपना तरीका है, जो उन्होंने दुनिया भर में सरकारों के साथ मिल कर जनता पर थोपा है ताकि हर नागरिक की हर बात का पूरा ब्योरा उन के पास रहे. अब औरत की अपनी छिपी संपत्ति कहीं नहीं रह पाएगी.

डिजिटल वर्ल्ड भले लगे कि काम आसान कर रहा है पर प्राइवेसी व सुगमता पर यह हमला है और सरकार व बैंक मिल कर हर जने को एक पैसा कमा कर टैक्स देने वाली मशीन में बदल रहे हैं. युवा अभी चाहे इस पर खुश हों कि उन्हें जेब में मोटा पर्स नहीं ले कर चलना पड़ेगा पर वे नहीं जानते हैं कि उन पर किसकिस तरह का अंकुश लग रहा है. उन की हर गतिविधि सरकार की निगाह में तो बाद में आएगी, मातापिता की निगाह में पहले आ जाएगी. अगर औरतें भी कार्ड पेमैंट या मोबाइल पेमैंट करेंगी तो उन्हें मोटा नुकसान होगा, क्योंकि पति महाशय को पता चल जाएगा. औरतों को अपनी आर्थिक स्वतंत्रता को इस तरह से नरेंद्र मोदी के भाषणों में बहने नहीं देना चाहिए. यह थोपा नहीं जाए, मनमरजी से हो. जिसे जरूरत हो वह अपनी इच्छानुसार पैसे का इस्तेमाल करे. करेंसी नोट पहले बंद कर के और फिर जानबूझ कर कम जारी कर के सरकार जमाखोरों से भी ज्यादा जघन्य अपराध कर रही है. मजेदार बात तो यह है कि अंधविश्वासी इस में व्रतउपवास सा कष्ट देख रहे हैं कि इस के बाद चमत्कार होगा और फिर स्वर्णयुग आ जाएगा. याद रखें कि इस काली गुफा के बाद गहरा गड्ढा है जिस से निकलना आसान न होगा.

तो दिखेंगी फिट और फैशनेबल

नीरा को स्लीवलैस ड्रैस पहनने का बहुत शौक है, मगर जब भी वह पहनना चाहती है, रमेश हमेशा कोई न कोई बहाना बना कर उसे ड्रैस पहनने से रोक देता है. आज तो हद ही हो गई, जब रमेश के साथ पार्टी में जाने के लिए नीरा ने ब्लैक साड़ी के साथ ग्रे कलर का डिजाइनर स्लीवलैस ब्लाउज निकाला, तो रमेश ने यह कहते हुए टोक दिया कि कुछ और ट्राई करो. नीरा के अंदर दबा आक्रोश बाहर निकल आया. बोली ‘‘तुम मर्द सारे एक जैसे होते हो. दूसरी औरतें तो स्लीवलैस में बहुत सैक्सी लगती हैं, मगर बीवी पहने तो कुछ और ट्राई करो. वही पुरानी दकियानूसी सोच.’’

सुन कर रमेश को भी गुस्सा आ गया. कहने लगा, ‘‘कभी ध्यान दिया है अपनी थुलथुली बांहों की तरफ? और ये बगलों से झांकते बाल, जो भी देखेगा, तुम्हें सैक्सी नहीं फूहड़ कहेगा. मनचाहा पहनने के लिए केवल मन का चाहना ही काफी नहीं होता, उस लायक शरीर भी तो होना चाहिए.’’ नीरा जैसे आसमान से गिरी. मगर सच ही तो कह रहा है रमेश. महीनों हो जाते हैं उसे पार्लर जा कर वैक्स करवाए और घर पर करने में भी अकसर आलस ही कर जाती है. उस की बांहें भी बाकी शरीर के अनुपात में सचमुच कुछ ज्यादा ही भारी हैं.

नीरा ने मुंह से तो कुछ नहीं कहा, मगर मन ही मन ठान लिया कि वह अपनी बांहों को सुडौल बना कर ही रहेगी ताकि अपनी मनचाही पोशाक पहन सके. रमेश के औफिस जाते ही उस ने इंटरनैट पर सर्च कर के थुलथुली बांहों को सुडौल बनाने वाली कई तरह की ऐक्सरसाइज ढूंढ़ीं और फिर उन्हें करने का सही तरीका भी यूट्यूब पर देखा. बस फिर क्या था. नीरा जुट गईर् बांहों को संवारने में जीजान से. 3 महीने की लगातार ऐक्सरसाइज से उसे खुद में आशातीत सुधार नजर आया. कुछ आत्मविश्वास जागा. लगभग 6 महीनों में उस ने अपनी मनचाही बांहें पा ही लीं. फिर पार्लर जा कर अंडरआर्म्स और फुल हैंड वैक्स करवा आई. शाम को स्लीवलैस ड्रैस पहन कर तैयार हुई, तो रमेश उसे देखता ही रह गया. कह उठा, ‘‘इसे कहते हैं सैक्सी.’’ नीरा की ही तरह संगीता को भी मौडर्र्न ड्रैसेज बहुत भाती थीं. मगर जब वह अपने लटके और झुर्रियों भरे पेट पर क्रौप टौप पहन कर किट्टी पार्टी में आती, तो सभी महिलाएं दबी हंसी से उस का मजाक उड़ाती थी. लेकिन सब से बेखबर वैस्टर्न की दीवानी संगीता बस खुद पर ही रीझती रहती.

एक दिन उस की खास सहेली मीना ने उस से कहा, ‘‘संगीता तुम्हारा टौप बहुत सुंदर है, मगर यदि यह थोड़ा सा लौंग होता तो तुम्हारा ग्रेस और भी बढ़ जाता.’’ इशारे में कही कड़वी सचाई संगीता की समझ में आ गईर् और फिर उस ने तब तक छोटा टौप नहीं पहना जब तक कि उस ने अपने पेट को फ्लैट नहीं कर लिया.

अच्छी फिगर पाना मुमकिन

कहने का तात्पर्य है कि इंडियन हो, वैस्टर्न हो या फिर कोई फ्यूजन ड्रैस. मनचाही ड्रैस पहनना हर किसी का अधिकार है. मगर कुछ भी ट्राईर् करने से पहले एक नजर अपने शरीर पर भी डाल लें कि कहीं आप के द्वारा पहनी गईर् ड्रैस आप को हंसी का पात्र तो नहीं बना रही. कहीं मौडर्न दिखने की चाह आप की फूहड़ता को तो नहीं दर्शा रही, यानी आप की खूबसूरती आप के अपने हाथ में है. आप चाहें तो उस में चार चांद लगा सकती हैं. वहीं आप की लापरवाही चांद सी खूबसूरती में भी दाग लगा सकती है. कुछ महिलाओं को आकर्षक फिगर विरासत में मिलती है तो कुछ को इसे हासिल करने में मेहनत करनी पड़ती है. जहां मनचाही ड्रैस खरीदना अपने हाथ में है वहीं मनचाही फिगर हासिल करना भी आप ही के हाथ में है. हां, यह थोड़ा मुश्किल जरूर है, मगर यह काम नामुमकिन नहीं. थोड़ी मेहनत तो करनी ही पड़ेगी.

आइए जानें कि क्या पहनें और क्या

ध्यान रखें:

– अगर स्लीवलैस पहनें तो बांहों की सुडौलता पर विशेष ध्यान दें. मोटीथुलथुली बांहें आप को ऐसी ड्रैस पहनने पर उपहास का पात्र बना सकती हैं. अंडरआर्म्स की साफसफाईर् पर भी पूरा ध्यान दें. समयसमय पर हैंड वैक्स भी करवाती रहें. अगर बांहों पर स्ट्रैच मार्क्स हैं, तो बेहतर होगा कि आप स्लीवलैस के बजाय कोई अन्य विकल्प तलाशें जैसे स्लीव पर नैट की फ्रि ल लगवा लें या फिर अंब्रैला कटस्लीव रखें. ये आप को स्टाइलिश लुक भी देंगे और  स्ट्रैच मार्क्स पर भी नजर नहीं जाएगी. हां, स्ट्रैच मार्क्स दूर करने के लिए लेजर तकनीक का सहारा भी लिया जा सकता है.

– अगर डीप नैक पहनने की शौकीन हैं, तो अपनी पीठ और गरदन पर कालापन न आने दें. गरदन की ऐक्सरसाइज कर के उसे सुराहीदार बनाए रखें और बैक पर स्क्रब का इस्तेमाल कर के उस की टोन ईवन बनाए रखें. फेशियल करवाते समय गरदन और पीठ पर भी मसाज करवा कर पैक लगवाएं.

– डिलिवरी के बाद अकसर महिलाओं के पेट और कमर पर फैट जमा हो जाता है. जिस की वजह से पुरानी फिटिंग की ड्रैसेज टाइट हो जाती हैं. इन्हें जबरदस्ती पहनने की कोशिश कर के अपना मजाक उड़वाने से बेहतर है कि शरीर को शेप में लाने की कोशिश की जाए. थोड़ा वक्त लग सकता है, मगर तब तक इंतजार किया जाना ही बेहतर है.

– शौर्ट्स और स्कर्ट पहनने की शौकीन युवतियों को हिप और लैग्स पर खास ध्यान देना चाहिए. जहां बढ़े हिप्स पर जींस भद्दी लगती है वहीं पैरों पर अनचाहे बाल आप की फूहड़ता को जगजाहिर करते हैं.

– स्टाइलिश सैंडल/चप्पल पहनने से पहले एक नजर फटी एडि़यों पर अवश्य डाल लें.

जहां कई लोगों का मोटापा आनुवांशिक होता है वहीं कुछ लोग बिना अतिरिक्त प्रयास के ही स्लिम और छरहरे होते हैं. अगर मनचाहा पहनना हो तो अपनी कोशिशों में कमी नहीं रखनी चाहिए. अगर फिर भी सफल न हों, तो ज्यादा उदास या परेशान होने की जरूरत नहीं है. आधुनिक तकनीक में बहुत से तरीके हैं, जिन्हें अपना कर आप अपना मनचाहा शरीर पा सकती हैं. इन में से एक है सर्जरी.

ऐसे बनेगी बात

जब ऐक्सरसाइज, डाइटिंग और जिम से बात न बने, तो सर्जरी का सहारा लिया जा सकता है. आजकल शरीर के किसी भी हिस्से की अनावश्यक चरबी हटा उसे परफैक्ट आकार देने के लिए बहुत सी महिलाएं सर्जरी करवाती हैं. बढ़ा पेट और जांघें, थुलथुली और बेडौल बांहें, डबल चिन आदि से छुटकारा पाने के लिए अब यह आसान रास्ता भी चुना जा सकता है. बढ़े पेट को कम करने के लिए लाइपोसक्शन, टमी टक्स, एवं बैरिएट्रिक सर्जरी करवाई जा सकती है. हालांकि सर्जरी से अचानक वजन घटाना अच्छी राय नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से त्वचा लटक सकती है और उसे टाइट करवाने के लिए कौस्मैटिक सर्जरी का सहारा लेना पड़ सकता है, साथ ही यह भी बहुत आवश्यक है कि इसे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में प्रशिक्षित टीम से करवाया जाए वरना लेने के देने भी पड़ सकते हैं. आजकल मार्केट में कई तरह के बौडी शेपर भी उपलब्ध हैं. विशेषकर जांघों, पेट और हिप्स के लिए. अचानक कुछ किलोग्राम वजन घटाने का भ्रम देने वाले इन बौडी शेपर्स को भी इंस्टैंट यूज के लिए पहना जा सकता है.

जिम संचालक सीमा अपने अनुभव से बताती हैं कि शादियों के सीजन से कुछ पहले बहुत सी युवतियां परफैक्ट फिगर की चाह ले कर आती हैं ताकि शादी में और उस के बाद हनीमून पर मनपसंद ड्रैस पहन सकें. वे सफल भी होती हैं, मगर शादी के बाद ऐक्सरसाइज छोड़ देने से वापस पुरानी शेप में आ जाती हैं और यह भ्रम पाल लेती हैं कि एक बार ऐक्सरसाइज छोड़ने के बाद शरीर ज्यादा बेडौल हो जाता है. आप ऐसी गलती न करें. इतना सब करने के बाद भी अगर मनचाहा पहनने के लिए मनचाही फिगर हासिल न हो तो दुखी होने के बजाय दूसरे विकल्पों पर भी गौर करना चाहिए, जैसे:

– 32 साइज की जींस में अगर लाख कोशिशों के बाद भी कमर समा नहीं रही है, तो न निराश होने की जरूरत है और न ही दुखी. बाजार में इस से बड़े साइज भी उपलब्ध हैं. पहनें और खुश रहें.

– क्रौप टौप से अगर पेट बाहर झांक रहा है, तो क्या हुआ. लौंग टौप ट्राई करें. फ्रंट ओपन, शर्ट स्टाइल टौप भी कूल लगेगा.

– अगर जींस में कंफर्टेबल नहीं हैं तो जैगिंग पहनी जा सकती हैं.

कहने का मतलब यह है कि मनचाही ड्रैस पहनने के लिए खुद को तरसाने या फिर मन को मारने की कोई जरूरत नहीं है. मनचाहे कपड़े पहनना और आकर्षक दिखना हर महिला का अधिकार है. बस थोड़ी सी मेहनत, थोड़ी सी ड्रैस सैंस और थोड़ी सी समझदारी दिखा कर आप बन सकती हैं सैंटर औफ अट्रैक्शन.

टौप 5 कलरफुल मसकारा

आईलाइनर और आईशैडो ही नहीं, मार्केट में यलो से ले कर ब्लू, पिंक से ले कर ग्रीन शेड के मसकारों के कलैक्शन में कोई कमी नहीं है. ऐसे में अगर आप भी नियमित ब्लैक और ट्रांसपैरेंट शेड का मसकारा लगा कर ऊब चुकी हैं, तो एक बार कलरफुल मसकारा जरूर ट्राई करें. मसकारा के कलरफुल शेड्स आंखों को बिग और ब्राइट लुक देते हैं. ब्लैक मसकारे के मुकाबले ये काफी आकर्षक भी नजर आते हैं, बशर्ते इन का चुनाव करते वक्त अपनी स्किनटोन के साथसाथ आंखों के रंग का भी खास खयाल रखा जाए.

ब्लू मसकारा

अगर आप की आंखों का रंग ग्रे, ब्राउन या लाइट ग्रीन है, तो आप अपने वैनिटी बौक्स में ब्लू शेड का मसकारा रख सकती हैं. मार्केट में ब्लू के कई शेड्स का मसकारा उपलब्ध है जैसे रौयल ब्लू, नेवी ब्लू, सी ब्लू आदि. ब्लू के ये सारे शेड्स फेयर कौंप्लैक्शन वाली महिलाओं पर ही नहीं, बल्कि डार्क और मीडियम कौंप्लैक्शन वाली महिलाओं पर भी सूट करते हैं, लेकिन ब्लू शेड का मसकारा नाइट के बजाय डे पार्टी में ज्यादा उभरा नजर आता है.

ग्रीन मसकारा

डार्क ब्राउन शेड्स की आंखों में ग्रीन शेड का मसकारा बेहद खूबसूरत नजर आता है. लेकिन बात यदि स्किनटोन की करें तो ब्लू की तरह ग्रीन कलर का मसकारा भी डार्क, फेयर, मीडियम हर तरह की स्किनटोन वाली महिलाओं पर फबता है. अगर आप चाहती हैं कि आप का ग्रीन मसकारा उभरा नजर आए, तो जब भी ग्रीन कलर का मसकारा लगाएं, उस के साथ डार्क शेड का आईशैडो या आईलाइनर लगाने की भूल न करें वरना डार्क शेड के आगे आप के मसकारे का रंग फीका पड़ सकता है.

ब्राउन मसकारा

ब्लैक के तुरंत बाद कलरफुल मसकारा लगाने से झिझक महसूस कर रही हैं तो शुरुआत ब्राउन मसकारे से करें. यह ब्लैक शेड्स से थोड़ा लाइट होता है, लेकिन इस का इफैक्ट काफी नैचुरल नजर आता है. मीडियम और फेयर कौंप्लैक्शन वाली महिलाओं के साथ ही ब्राउन आंखों वाली महिलाओं पर भी ब्राउन शेड का मसकारा काफी खूबसूरत दिखता है. इसे पार्टी, फंक्शन जैसे खास मौकों के साथसाथ रोजाना भी लगाया जा सकता है. यह दिनरात दोनों समय आकर्षक नजर आता है.

गोल्डन मसकारा

अगर आप किसी नाइट पार्टी की जान बनना चाहती हैं तो ग्रीन, ब्लू, पर्पल जैसे शेड्स के मसकारे को छोड़ कर गोल्डन शेड का मसकारा चुन सकती हैं. यह हर शेड की आंखों पर बेहद खूबसूरत नजर आता है. डार्क से ले कर मीडियम और फेयर स्किनटोन वाली महिलाओं पर भी गोल्डन शेड का मसकारा जंचता है यानी बाकी शेड्स का मसकारा रखें या न रखें, लेकिन पार्र्टी की जान बनने के लिए गोल्डन शेड के मसकारे को अपने वैनिटी बौक्स में जरूर खास जगह दें.

पर्पल मसकारा

अगर आप की आंखें छोटी हैं और आप उन्हें बिगर लुक देना चाहती हैं, तो आंख मूंद कर पर्पल शेड के मसकारे को अपने मेकअप बौक्स में रख लें. ये ग्रीन, ब्राउन और ब्लू कलर की आंखों पर ज्यादा सूट करता है. इस के खासकर 3 शेड ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं- रौयल पर्पल, प्लम और वायलेट. अगर आप की स्किनटोन डार्क है तो पर्पल शेड का मसकारा खरीदें. अगर फेयर है तो वायलेट शेड और मीडियम है तो प्लम शेड चुन सकती हैं. नाइट के मुकाबले पर्पल शेड का मसकारा डे पार्टी में काफी खूबसूरत लुक देता है.    

सुपर स्टाइलिश आइडियाज

– आर्टिफिशियल आईलैशेज लगा कर मसकारा लगाएं. लंबीघनी पलकों पर लगा मसकारा बेहद खूबसूरत नजर आता है.

– सुपर स्टाइलिश लुक के लिए जिस शेड का मसकारा लगा रही हैं, उसी शेड का आईशैडो लगाएं.

– एक ही शेड का मसकारा और आईलाइनर लगा कर भी आप अपनी आंखों को आकर्षक लुक दे सकती हैं.

– ड्रामैटिक आई मेकअप के लिए 2 डिफरैंट शेड्स का मसकारा लगाएं, जैसे ऊपर की आईलैशेज पर ब्लू और नीचे की आईलैशेज पर ग्रीन.

– ट्रैंड सैटर कहलाने के लिए आईलैशेज को 3  भागों में बांट दें और फिर तीनों पर अलगअलग 3 शेड्स का मसकारा लगाएं.

– अगर नाइट पार्टी में जा रही हैं तो ग्लिटर वाला कलरफुल अप्लाई करें. इसे लगाने से आप का आई मेकअप कलरफुल भी नजर आएगा और चमक भी उठेगा.

– चूंकि आप कलरफुल मसकारे से आईर् मेकअप को हैवी लुक दे रही हैं, इसलिए लिपस्टिक और ब्लशऔन के लिए नैचुरल शेड्स का चुनाव करें वरना आप का लुक गौडी नजर आ सकता है.

जब लगाएं मसकारा

– अगर आप चाहती हैं कि आप का मसकारा लौंग लास्टिंग रहे तो वाटरप्रूफ मसकारा खरीदें.

– मसकारा पहले ऊपर की आईलैशेज पर फिर निचली आईलैशेज पर लगाएं.

– मसकारा लगाते वक्त आईलैशेज को घुमा कर ऊपर की तरफ ले जाएं. इस से पलकें घनी नजर आती हैं.

– मसकारे को हवा के संपर्क में न आने दें वरना वह सूख कर जल्दी खराब हो सकता है.

– अच्छे परिणाम के लिए मसकारे का सिंगल नहीं, डबल कोट लगाएं.

– सोने से पहले मसकारा रिमूव करना न भूलें वरना आप की आईलैशेज कमजोर हो सकती हैं.

आईएएस टौपर्स की प्रेम कहानी

उत्तराखंड के पर्यटकस्थल मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाता है. यहीं केंप्टीफाल रोड पर स्थित है सन 1959 में स्थापित ऐतिहासिक लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (एलबीएसएनएए), जहां सिविल सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. साल में एक बार आयोजित होने वाले यहां के समारोह में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं.

अक्तूबर, 2016 के अंतिम सप्ताह की एक दिलकश सुबह को हौस्टल के अपने कमरे में बैठी खूबसूरत और आकर्षक व्यक्तित्व की वारिस आईएएस टीना डाबी किसी सोच में गुम थीं कि उन के कानों में चिरपरिचित मीठी आवाज गूंजी, ‘‘हैलो टीना, क्या सोच रही हो?’’

‘‘ओह अतहर, बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी.’’ टीना ने टालने वाले अंदाज में कहा तो अतहर ने नजदीक आ कर पूछा, ‘‘आखिर ऐसे ही क्या सोच रही थी?’’

‘‘यही कि तुम ने मेरे दिल में कितनी जल्दी जगह बना ली, यू आर लविंग परसन.’’

‘‘मुझे तो शायद वक्त लगा, लेकिन तुम ने तो पहली नजर में ही यह काम कर लिया था.’’

‘‘लेकिन सोचा नहीं था कि इतनी जल्दी हम अपनी जिंदगी का अहम फैसला ले लेंगे.’’

‘‘एक बात कहूं टीना?’’

‘‘यस.’’

अतहर ने टीना की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘जब हम किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में लग जाती है. मेरे प्यार का मसला भी कुछ ऐसा ही रहा.’’

उस की बात पर टीना ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘रियली, तुम्हारी ऐसी बातें ही मुझे करीब ले आईं. तुम सचमुच परफैक्ट इंसान हो.’’

‘‘शायद तुम से मिलने के बाद ऐसा हो गया हूं.’’

‘‘ओके.’’

‘‘प्लीज कम, क्लास चलते हैं.’’ अतहर ने कहा.

इस के बाद दोनों रूटीन क्लास के लिए चले गए. प्रतिदिन सुबह पीटी, जिम और योगा के बाद प्रशासनिक पढ़ाई होती है. टीना डाबी और अतहर आमिर उल शफी खान आईएएस टौपर थे. दोनों साथ ही प्रशासनिक प्रशिक्षण ले रहे थे. उन का ताल्लुक वैसे तो अलगअलग जातिधर्म से था, उन के घरों के बीच भी मीलों का फासला था, लेकिन चंद महीने में ही वे एकदूसरे के दिलों के करीब आ गए थे.

उन की धड़कनें एक ही तराना गुनगुनाने लगी थीं तो उन्होंने दिल के इस रिश्ते को छिपाया भी नहीं. इस के बाद वे सुर्खियों में आ गए. उन की मोहब्बत और इरादों से वक्त के साथ हर कोई वाकिफ हो चला था. उन की मोहब्बत परवान चढ़ रही थी. ये ऐसे लमहे होते हैं, जिन्हें हर कोई जीने के साथ यादों के महल में हमेशा के लिए करीने से सजा लेना चाहता है.

वक्त रफ्तारफ्ता बीत रहा था. उन की इस मोहब्बत से पहले चंद लोग ही वाकिफ थे, लेकिन 9 नवंबर को सोशल मीडिया के जरिए टीना ने यह बात जमाने के सामने जाहिर कर दी थी. अतहर और टीना ने प्यार को मंजिल दे कर एकदूसरे को हमसफर बनाने का फैसला कर लिया, क्योंकि उन के इस फैसले से उन के घर वालों को कोई ऐतराज नहीं था.

उन की मोहब्बत का किस्सा जगजाहिर हुआ तो उन्हें जैसे एक अनचाहे तूफान से रूबरू होना पड़ा. प्यार का कोई मजहब नहीं होता. चर्चित आईएएस जोड़ी ने भी प्यार करते वक्त मजहब नहीं देखा. लेकिन उन के इस फैसले से धर्म के ठेकेदारों को ऐतराज हो गया. उन्होंने लव जिहाद से जोड़ कर इसे मजहबी रंग दे दिया.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का दौर चल निकला. एक संगठन ने तो टीना के घर वालों को पत्र लिख कर टीना को समझाने और धर्म न बदलने की सलाह तक दे डाली. शादी रोकने या फिर अतहर को हिंदू धर्म अपनाने की बात कही. इस सब से दोनों आहत हुए. प्यार जिंदगी के किसी मोड़ पर कब किसे किस से हो जाए, इस बात को कोई नहीं जानता.

टीना और अतहर के मामले में भी ऐसा ही था, क्योंकि जो जिंदगी का बड़ा फैसला कर रहे थे, वे कुछ महीने पहले तक एकदूसरे को बिलकुल नहीं जानते थे. टीना का संबंध एक आर्थिक रूप से संपन्न दलित परिवार से है. उन के पिता जसवंत डाबी और मां हिमानी टेलीकौम डिपार्टमेंट में इंजीनियर थे. उन का परिवार पहले भोपाल में रहा, उस के बाद करीब 10 साल पहले दिल्ली की बीएसएनएल कालोनी में आ कर शिफ्ट हो गया था.

उस समय टीना सातवीं में पढ़ रही थी. कौन्वेंट औफ जीसस एंड मैरी स्कूल में उन की पढ़ाई हुई. हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में वह टौपर रहीं. सन 2014 में राजधानी दिल्ली के सब से अच्छे कालेज माने जाने वाले लेडी श्रीराम कालेज से उन्होंने ग्रैजुएशन किया. पढ़ाई में अव्वल रहने वाली टीना को स्टूडेंट औफ द ईयर भी घोषित किया गया था.

पौलिटिकल साइंस उन का पसंदीदा विषय था. उन के परिवार में मातापिता के अलावा एक बहन रिया थी. इंजीनियर दंपति टीना को सफलता की बुलंदियों पर देखना चाहता था. हिमानी ने बेटी से सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने को कहा. वह पढ़ने में होशियार थी ही, इसलिए इस सपने को साकार करने की ठान ली.

टीना की मां ने बेटी की पढ़ाई के लिए नौकरी छोड़ने का मन बना कर घर वालों की सलाह पर रिटायरमेंट ले लिया. उन्हें बेटी पर पूरा भरोसा था. उस ने जुनून के साथ पढ़ाई कर के यूपीएससी की परीक्षा दी. 10 मई, 2016 को परीक्षा परिणाम घोषित हुआ, जिस में कुल 1078 परीक्षार्थी पास हुए.

इन सब से खुशनसीब 0256747 रोल नंबर वाली 22 साल की टीना रहीं, जिस ने कम उम्र में ही पहली पोजीशन हासिल कर ली थी. यह कोई मामूली बात नहीं थी. आईएएस की परीक्षा भारत की सब से कठिन परीक्षा मानी जाती है. उस से भी बड़ी बात यह थी कि यह टीना का पहला प्रयास था.

टीना की यह सफलता कोई किस्मत का खेल नहीं थी, इस के लिए उन्होंने शुरू से ही मेहनत की थी. यह उस सपने का फल था, जिस के लिए वह प्रतिदिन 10 से 12 घंटे पढ़ती थी. टीना के साथ दिल का रिश्ता जोड़ने वाले आमिर जम्मूकश्मीर के अनंतनाग के रहने वाले थे. उन के पिता मोहम्मद शफी खान गवर्नमेंट हायर सैकेंडरी स्कूल में अध्यापक और मां ताहिरा गृहिणी थीं.

परिवार में अतहर से छोटा एक भाई और 2 बहनें भी थीं. शफी खान चूंकि खुद शिक्षक थे, इसलिए उन्होंने बच्चों की शिक्षा को भी खास महत्त्व दिया. उन के बडे़ बेटे अतहर ने यूपीएससी परीक्षा में दूसरी पोजीशन हासिल की थी. वह आतंकवाद का दंश झेल रहे कश्मीर से एक मिसाल बन कर निकले कि वहां के नौजवान शिक्षा से भी बड़ा लगाव रखते हैं.

मृदुभाषी अतहर का व्यक्तित्व आकर्षित करने वाला था. टीना के साथ उन के प्यार का सफर भी कुछ अलग रहा. 11 मई को दिल्ली के नौर्थ ब्लौक के डिपार्टमेंट औफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग औफिस में आयोजित एक सम्मान समारोह में दोनों की मुलाकात सुबह के समय हुई थी. मुलाकात भले ही साधारण थी, लेकिन अतहर के लिए बेहद खास थी.

इसी पहली मुलाकात में टीना को देख कर उन के दिल की धड़कनें बढ़ गई थीं. वह टीना को अपना दिल दे बैठे थे. उन्हें इस बात का भी मलाल नहीं था कि टीना मेरिट में उन से एक कदम आगे हो कर बाजी मार ले गई थी. वह एकतरफा प्यार का शिकार हो गए थे. कहते हैं, पहली नजर का प्यार बहुत गहरा होता है. अतहर ने कभी सोचा भी नहीं था कि टीना की तरफ वह इस तरह आकर्षित हो जाएंगे.

शाम होतेहोते वह टीना के घर जा पहुंचे. हालांकि बहाना उस के परिवार वालों से मिलने का था, लेकिन दिल का राज कुछ और ही था. दिल के हाथों मजबूर हो कर टीना की चाहत उन्हें उन के दरवाजे तक खींच ले गई थी. उसी दिन दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता बन गया था. कुछ दिनों बाद दोनों प्रशिक्षण के लिए अकादमी चले गए.

अतहर ने टीना का हर तरह से खयाल रखना शुरू कर दिया. वह अपने दिल की बात टीना से खुल कर कह देना चाहते थे, लेकिन कभी हिम्मत नहीं कर पाए. टीना नादान नहीं थी. वह अतहर के जरूरत से ज्यादा लगाव रखने का मतलब समझ रही थी. वह भी अतहर के व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी थी. इस तरह अतहर ने टीना के दिल में जगह बना ली थी.

जज्बातों को दिल में कैद रखना कोई आसान नहीं होता. अतहर ने अपने दोस्तों के सामने यह राज उजागर किया कि वह टीना से प्यार करते हैं. यह बात टीना को पता चल गई थी, लेकिन वह खामोश ही रहीं. आखिर अतहर ने अपने दिल की बात कहने का फैसला किया और अगस्त, 2016 में दोनों जयपुर गए थे तो अतहर ने अपने दिल की बात टीना से कह दी.

टीना ने इस के लिए वक्त मांगा. शायद वह उसे अच्छी तरह से समझ लेना चाहती थी. दोनों की सोच एक थी और आदतें भी. वक्त के साथ अतहर से रैंक में जीतने वाली टीना दिल से हार गई. पहली नजर से शुरू हुआ प्यार आईएएस अकादमी जा कर परवान चढ़ा. दोनों का वक्त रोज साथसाथ बीतने लगा. उन्होंने प्यार को पंख दे कर जिंदगी भर साथ निभाने का वादा कर लिया. उन्होंने अपने प्यार को छिपाया नहीं और घर वालों के सामने अपने इरादे जाहिर कर दिए. उन के घर वाले मिले और टीना और अतहर की खुशियों पर अपनी रजामंदी की मोहर लगा दी. एक दलित लड़की का मुसलिम लड़के से प्यार जमाने के सामने आया तो सुर्खियां बन गया. प्यार को धर्म की बंदिशों के बीच उलझाने की कोशिश शुरू हो गई. धर्म और जाति को ले कर पहले से ही बड़ी खाईं है. जाति के भीतर भी कई गोत्र होते हैं, लेकिन टीना और अतहर ने इन बंदिशों को तोड़ दिया. अलगअलग जातिधर्म के होने के बावजूद दोनों के घर वाले उन के इस नए रिश्ते से खुश हैं. सगाई के बाद अगले साल वे विवाह करने वाले हैं. टीना का कहना है कि दूसरी जाति और धर्म के लड़के से प्यार कर के उस ने कोई गुनाह नहीं किया है. यह उस की जिंदगी का फैसला है, जिसे किसी के सामने कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है. वह अपनी पसंद पर खुश है, उस के मातापिता खुश हैं, लेकिन कुछ आपत्तिजनक कमेंट्स से वह डिस्टर्ब जरूर है. पर सार्वजनिक जीवन में रहने की कुछ कीमत तो चुकानी ही पड़ती है.

अतहर का कहना है कि उस के लिए यह खुशी की बात है कि दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह जानतेसमझते हैं. वह टीना को देखते ही उस पर फिदा हो गया था. उसे टीना की मुसकराहट, हर किसी के बारे में अच्छी सोच, खयालात और बातचीत करने का अंदाज बहुत पसंद है. धर्म का इस्तेमाल इंसानों को जोड़ने के लिए किया जाना चाहिए न कि तोड़ने के लिए. इंसान को उस की अच्छाइयों से पहचाना जाना चाहिए न कि उस की जाति या धर्म से.

– कथा पात्रों से बातचीत पर आधारित

क्यों होते हैं ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स

रूटीन जहां हमें व्यवस्थित रखता है वहीं कई बार बोर भी कर देता है. वर्षों तक साथ रहने के बाद जीवनसाथी के प्रति हम लापरवाह से हो जाते हैं. ‘टेकन फौर ग्रांटेड’ होते ही हर अच्छाई कर्तव्य और हर बुराई अवगुण हो जाती है. आज के जमाने की तकनीक भी हमारी निजता को बनाए रखने में कारगर है. फलतया ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स आज आम हो गए हैं. क्यों हो जाते हैं पार्टनर बेवफा? क्या दैहिक विविधता की तलाश होती है या जीवन में नएपन की, रोमांस की जरूरत महसूस करते हैं या भावनात्मक साथ की? छिपाने और झूठ बोलने का रोमांच उन्हें अच्छा लगता है या वाकई वे आसक्त रहते हैं? आइए जानते हैं:

महिलाएं ध्यान चाहती हैं: विवाह काउंसलर और विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाएं अकेलेपन को कम करना चाहती हैं. वे इसीलिए मित्रता करती हैं कि कोईर् उन्हें ध्यान से सुने. विवाहित जीवन में अकसर पति या बच्चे महिला को समझ नहीं पाते और यही उन के जीवन की सब से बड़ी विडंबना बन जाती है.

बीइंग ऐप्रिशिएटेड: ऐप्रिशिएट होने की इच्छा हम सब को होती है. हम में से प्रत्येक दूसरे से प्रशंसा सुन कर संतुष्टि पाता है. पर विवाह के गुजरते वर्षों में एकदूसरे को ऐप्रिशिएट करना हम कम कर देते हैं. पुरुष अपनी पावर और इंटेलैक्ट के लिए पहचाने जाना चाहते हैं: पुरुषों को अपनी व्यवस्था संबंधी योग्यताओं पर बहुत नाज होता है. वे स्ट्रौंग ह्यूमंस के रूप में पहचाने जाना चाहते हैं.

स्त्रियों को डिजायरेबल लगना पसंद है: स्त्रियों को सैल्फ ऐस्टीम और सैक्सी फील करने के लिए पुरुषों के ध्यान की आवश्यकता महसूस होती है.

ईगो बूस्ट होता है: विपरीत लिंगी के साथ बिताए थोड़े समय में ईगो को बूस्ट मिलता है और मन को तसल्ली. स्वयं के प्रति आप पुन: आश्वस्त से हो जाते हैं. कौन्फिडैंस वापस लौट आता है.

स्पाउस एकदूसरे का भावनात्मक सहारा नहीं बनना चाहते: शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे की भावनात्मक जरूरतें पूरी करने से बचते हैं. उन्हें डर होता है कि दूसरा कहीं उन्हें अपना गुलाम न बना ले. वे सच सुनना पसंद नहीं करते. अपनी भावनाएं भी कई बार एकदूसरे से छिपा लेते हैं. शादी, शादी नहीं युद्ध का मैदान बन जाती है.

असंतोष पनपता है: विवाह में जब मन नहीं मिलते, अंडरस्टैंडिंग गड़बड़ा जाती है तो असंतोष सा पनपने लगता है. यही असंतोष किसी दूसरे की तरफ आकर्षित करता है और ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर पनपते हैं.

साइकिएट्रिस्ट के अनुसार, इनसान हमेशा किसी ऐसे साथ की तलाश में रहता है जो उसे उस की कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार सके. जब आप किसी के साथ कंफर्टेबल होते हैं तो आप ज्यादा संयम नहीं रख पाते, बस यहीं से शुरुआत होती है अफेयर की.

आप को अपना तथाकथित पार्टनर (अफेयर वाला) जन्मोंजन्मों का साथी लगने लगता है. उस का साथ आप में एक नशा सा भरने लगता है और फिर आप नैतिकताअनैतिकता की सारी सीमाएं लांघ जाते हैं. सामने आया अवसर और अफेयर थ्रिल आप से कई ऐसे काम करवाता है जिस पर खुद आप को भी यकीन नहीं आता. आप अपनी प्रत्येक हरकत को सही ठहराते हैं, आप को लगने लगता है कि आप को नए संबंध बनाने का पूरा हक है. शारीरिक भूख अफेयर को एक मदमस्त कर देने वाले रोमांच से भर देती है. नएपन की चाह, उस से उपजा एहसास बहुत हद तक इन रिश्तों को टिकाए रखता है.

यदि आप के साथ भी ऐसा कुछ हुआ हो, आप के पार्टनर का यह सच आप को पता चले कि वह आप को बिना बताए किसी और से मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है, तो यकीनन आप टूट जाएंगे.

आप अलग तरीके से रीऐक्ट करेंगे: गुस्से, दुख, उत्तेजना से भरे आप उस के हर काम को, हर क्रिया को शक की निगाहों से देखेंगे. आप सोचने लगेंगे कि क्या वह हमेशा से आप से झूठ बोलता रहा? दूसरे के प्रति आकर्षित होने का उस का कारण क्या था? क्या वह आप से बेहतर था?

शारीरिक भावनात्मक स्तर पर बेवफाई से दिल टूटता है: रिश्ते छिन्नभिन्न हो जाते हैं. जिस का दिल टूटता है कई बार तो वह अपनेआप में सिमट सा जाता है पर कई लोग पार्टनर को उसी अफेयर के बारे में बारबार जाहिर कर के बेइज्जत करते हैं.

हर अफेयर का मतलब पुराने रिश्तों का हमेशा के लिए टूट जाना नहीं होता: हो सकता है आप के बच्चों की खातिर आप को साथ रहना पड़े या बूढ़े मांबाप को आप दुख न पहुंचाना चाहते हों. तलाक से जुड़े हर पहलू पर सोचसमझ कर निर्णय लेने के बाद आप यदि हर तरह के परिणाम के लिए तैयार हों तो संबंध खत्म कर दीजिए.

क्या रिश्ता तोड़ने योग्य मुद्दा है: अपने जीवन पर नजर डालिए. क्या आप दोनों साथ में खुश और संतुष्ट रहे हैं? क्या आप एकदूसरे के पूरक हैं? यदि उत्तर हां में है तो फिर सिर्फ एक अफेयर के कारण अपना रिश्ता खत्म न कीजिए.

धमकाइए मत और भीख भी मत मांगिए: अफेयर का पता चलने के बाद साथी को ब्लैकमेल करना, धमकाना या उस से दया की भीख मांगना गलत है. अपनी गरिमा बनाए रखें. अपने पार्टनर के साथ कनैक्टेड रहने के लिए आप को स्वयं का व्यक्तित्व लुभावना और बोल्ड बनाए रखना पड़ेगा.

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रिश्ते का अंत नहीं: रिसर्च बताते हैं कि शुरुआत में भले ही लगे पर ऐसे अफेयर 3-4% ही विवाह में तबदील होते हैं. बाकी भी ज्यादा समय नहीं चलते.

समय निकालिए: ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर का पता चलते ही निष्कर्ष पर मत पहुंचिए. समय निकाल धैर्य से सोचिए. कह देने के बाद आप वापस नहीं आ सकते या तो रिश्ता निभाना पड़ेगा या तुरंत छोड़ना पड़ेगा.

सोचसमझ कर निर्णय लें:  सचाई उगलवाने से पहले आप को मालूम होना चाहिए कि आप कितना सह पाएंगे. क्या आप उस के शारीरिक संबंधों की बात सुन कर उद्वेलित हो उठेंगे या उस के भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव से परेशान होंगे.

सचाई जानें: क्या आप तलाक ले कर अकेले गुजारा कर लेंगे? क्या आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं? पतिपत्नी पर घर के कामों के लिए और पत्नी पति पर आर्थिक दृष्टि से निर्भर होती है. अत: सोचसमझ कर निर्णय लेना सही रहता है.

माफ करना सीखें: यदि पार्टनर गलती मान रहा है और ‘आगे से कभी ऐसा नहीं होगा’ कह रहा है तो आप भी उस के आचरण को परखने के बाद उसे माफ कर दीजिए. गलती सभी से होती है.

प्रोफैशनल की मदद लें: विवाह काउंसलर इस काम में अपने प्रोफैशनल स्किल्स से आप की मदद कर सकता है. उस से मदद लेना रिश्ता जोड़ने के लिए अच्छा है हम सभी इनसान हैं. मानव स्वभाव के कारण हम से कईर् गलतियां हो जाती हैं. शादी जैसे बंधन जिसे निभाने में सालों लग जाते हैं, उसे ऐसे ही तोड़ देना सही नहीं. विवाह के टूटने का दंश समाज को, बच्चों को, बुजुर्ग मातापिता को भुगतना पड़ता है. इसीलिए ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स पर भी कड़ा मन रख कर माफ कर के नए अटूट रिश्ते की शुरुआत की जा सकती है.    

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