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भड़क रही हैं ममता

गैरभाजपाई राज्यों के मुख्यमंत्रियों का दुख शायद ही कोई समझ सके जिन्हें अपने राज्य से ज्यादा इस बात की चिंता रहती है कि पीएम नरेंद्र मोदी क्या और क्यों कर रहे हैं. नीतीश कुमार के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ऐसी दूसरी मुख्यमंत्री हैं जिन्हें यह लगने लगा है कि सब कुछ गलत हो रहा है इसलिए उन्हें वहां होना चाहिए.

एक फौजी की खुदकुशी के बाद अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी की दिखावटी गिरफ्तारी पर भी ममता भड़की थीं और 1000-500 के नोटों के प्रतिबंध पर भी उन्हें गुस्सा आया कि मोदी मनमानी कर रहे हैं. अब हालत यह है कि ममता को मोदी की हर बात पर गुस्सा आने लगा है तो इस की वजह कमजोर पड़ती कांग्रेस है जिस का उन के पास कोई इलाज नहीं, इसलिए हालफिलहाल कुछ और नहीं तो दिल्ली में होने जैसी फीलिंग तो फील की ही जा सकती है. इस से अभ्यास भी होता है और लक्ष्य भी याद आता रहता है.

बच्चों के मुख से

मेरा 8 वर्षीय पोता शौर्य बहुत हाजिरजवाब है. मैं अपने पति के साथ अंडमाननिकोबार आईलैंड घूमने के लिए गई थी. वापस आने पर हम लोग वहां की चर्चा कर रहे थे जिसे शौर्य बहुत ध्यान से सुन रहा था. मैं ने उसे वहां के सैलुलर जेल के संबंध में बताया कि इस जेल में अंगरेज भारतवासियों को सजा देने के लिए भेजते थे और इसे ही काला पानी कहते हैं. मैं ने अपने पति से पूछा काला पानी की सजा को अंगरेजी में क्या कहते हैं? इस से पहले कि मेरे पति बताते शौर्य बोल उठा, ‘‘दादादादी, इसे ‘ब्लैक वाटर’ कहते हैं.’’ उस के इस उत्तर को सुन कर हम सभी हंसे बिना नहीं रह सके.

श्यामा गुप्ता, लखनऊ (उ.प्र.)

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मेरा बेटा प्रांजल जब 5 वर्ष का था तो स्कूल भेजने से पहले मैं उस को बाल कटवाने के लिए सैलून ले कर गया. मैं ने सैलून वाले से कहा, ‘‘इस के बाल जरा अच्छे से छोटे कर देना.’’ और मैं वहीं बैठ कर समाचारपत्र पढ़ने लगा. थोड़ी देर बाद सैलून वाले ने पूछा, ‘‘ठीक है कि और छोटे करूं.’’ मैं ने देखा, और कहा, ‘‘अभी और भी छोटे किए जा सकते हैं.’’ और मैं पुन: अखबार पढ़ने लगा. कुछ समय बाद  सैलून वाले ने पूछा, ‘‘सर देखिए, ठीक है कि और काटूं.’’ मैं कुछ बोलता इस के पूर्व ही प्रांजल बड़ी मासूमियत से बोल उठा, ‘‘अब क्या माथा काटोगे.’’ यह सुन कर सभी लोग हंस पड़े.     

सुधीर शर्मा, इंदौर (म.प्र.)

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कुछ दिन पहले सपरिवार टैलीविजन पर ‘हम आप के हैं कौन’ फिल्म का आनंद ले रहे थे. मेरी 5 वर्षीया बेटी अनुष्का ने पूछा, ‘‘मम्मी, फिल्म में यह कौन सा हीरो है?’’ मैं ने उसे बताया कि यह सलमान खान है तो उस ने अविश्वास प्रकट करते हुए कहा कि सलमान खान की तो मूंछें हैं, जबकि इस फिल्म में सलमान की मूंछें ही नहीं हैं. दरअसल कुछ समय पहले ही हम ‘सुलतान’ फिल्म देख कर आए थे जिस में सलमान खान की मूंछें दिखाई गई हैं. मैं ने उसे समझाते हुए कहा कि पहले सलमान खान छोटा था, इसलिए मूंछें नहीं थीं. अब वह बड़ा हो गया है, इसलिए मूंछें आ गईं हैं. इस बात पर वह बोली, ‘‘ओके, मम्मी, जैसे मैं अभी छोटी हूं तो मेरी मूंछें नहीं हैं, तो क्या बड़े होने पर सलमान अंकल की तरह मेरी भी मूंछें आ जाएंगी?’’ उस के इस मासूम सवाल पर हम सभी खूब हंसे.        

ऋचा गुप्ता, अंबाला (हरि.)

यह भी खूब रही

मैं अपनी साथी शिक्षिकाओं के साथ स्टाफरूम में बैठी थी. चपरासी को 50 रुपए का नोट दे कर 4 चाय लाने को कहा. थोड़ी देर के बाद वह 5 चाय ले कर आया. मेरे पूछने पर कि मैं ने तो उसे 4 चाय लाने को कहा था, उस ने कहा, ‘‘मैडम, एक चाय मैं अपने लिए लाया हूं.’’ इस पर मैं ने कहा, ‘‘हम ने तो तुम्हें भी गिन कर 4 चाय मंगाई थीं.’’ तब उस ने ‘सौरी’ कहा. बात आईगई हो गई. कुछ दिनों के बाद मैं ने उसे 100 रुपए का नोट दे कर 5 कोल्ड डिंरक्स लाने को कहा और उसे बताया कि तुम्हें भी गिन लिया है. कुछ देर के बाद वह 4 कोल्डडिंरक्स ले कर आया. इस पर मुझे आश्चर्य हुआ. मैं ने फिर उस से पूछा, ‘‘क्यों भाई, ये 5 के बदले 4 कैसे हो गईं?’’ तब उस का जवाब था, ‘‘क्या है न कि मैडम, यहां तक आतेआते कोल्ड डिंरक गरम हो जाती, इसलिए मैं अपनी कोल्ड डिंरक वहीं पी कर आया हूं.’’ उस के इस जवाब पर हम सभी हंस पड़ीं.

ईशू मूलचंदानी, नागपुर (महा.)

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मेरी छोटी भाभी के भाई की शादी थी जिस में शामिल होने के लिए मैं जबलपुर गई. दूसरे शहर से मेरे बड़े भाई भी आए थे. खूब बाजेगाजे के साथ बरात निकली. हमारे एक पुराने रिश्तेदार भी रास्ते में ही बरात में शरीक हुए. हमारे नमस्ते करने पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए बोले, ‘‘आप लोग कब आए?’’ मैं ने कहा, ‘‘कल आई और भैया आज सुबह आए हैं.’’

शोरगुल के कारण शायद वे मेरी बात पूरी तरह सुन नहीं पाए इसलिए थोड़े आश्चर्य से बोले, ‘‘आप लोग अलगअलग आए हैं?’’ भैया ने उन्हें समझाया, ‘‘मैं मुंबई से आया हूं और यह इलाहाबाद से आई है. साथसाथ कैसे आते?’’ अब वे मेरी ओर मुखातिब होते हुए बोले, ‘‘भाभीजी, इलाहाबाद किसी काम से गई थीं?’’

उन का प्रश्न सुन कर मुझे बड़ा अटपटा लगा. मैं चकरा गई लेकिन भैया सब समझ गए. हंसते हुए बोले, ‘‘भाई, तुम्हारी भाभी नहीं आईं. मैं अकेला आया हूं. यह अपनी मनु है. मेरी छोटी बहन. पहचाना नहीं क्या? तुम तो इस की शादी में भी आए थे.’’ बेचारे रिश्तेदार की हालत पतली हो गई. वे बारबार हाथ जोड़ कर कहने लगे, ‘‘तुम्हें बहुत दिनों बाद देखा है इसलिए पहचान नहीं पाया. माफ करना. सब का हंसतेहंसते बुरा हाल हो गया.

मनोरमा मोहन, प्रतापगढ़ (उ.प्र.)

जीवन की मुसकान

मेरी पत्नी और मेरे 2 बच्चे भिलाई में 2 बैडरूम वाले क्वार्टर में रहते थे. मेरे पिताजी कुछ साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके थे. हम लोग 3 भाई और एक बहन हैं. पिताजी और माताजी बारीबारी से कभी हमारे पास तो कभी मेरे बड़े भाइयों के पास रहने जाते थे यानी कि कभी लखनऊ, कभी काशीपुर तो कभी भिलाई में हमारे साथ रहते थे. सबकुछ बहुत अच्छे से चल रहा था किंतु अचानक एक दिन जब वे भिलाई में थे, मेरे पिताजी का हृदयाघात से देहांत हो गया. हम लोग सदमे की स्थिति में आ गए थे. मेरे पिताजी अपनी पीढ़ी में सब से बड़े व माननीय थे. मेरे भाइबहनों के अतिरिक्त ददिहाल और ननिहाल से आने वालों का तांता लग गया. 24 घंटों के अंदर बहुत से नातेरिश्तेदार हमारे घर भिलाई पहुंच चुके थे. मैं और मेरी पत्नी दुख और सदमे से बाहर निकल कर इस चिंता में आ गए कि अचानक इतने सारे लोगों के रहने, खाने और अन्य सुविधाओं का इंतजाम कैसे करेंगे. हमारा कोई और रिश्तेदार भी भिलाई में नहीं रहता था. ऐसी स्थिति में मेरे घनिष्ठ मित्रों, पड़ोसियों ने इतनी अच्छी तरह से उन का खयाल रखा कि हम लोगों को पता ही नहीं चला कि कौन रिश्तेदार कौन सी ट्रेन से आया है, स्टेशन से घर कैसे पहुंचा, कहां खाना खाया और कहां सोया. मैं और मेरी पत्नी आज भी इस बारे में सोचते हैं कि दुख तो अपनी जगह था लेकिन दोस्तों और पड़ोसियों द्वारा उस स्थिति को इतनी अच्छी तरह से संभालना हमारे जीवन की एक अमिट मुसकान है.

राजीव भटनागर, सूरत (गुजरात)

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बात तब की है जब मेरी फुफेरी बहन की सास की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में दाखिल किया गया. पता चला कि उन की किडनियां खराब हो गई हैं. सवाल यह था कि उन को कौन किडनी दे. उन के 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. हम उन के घर गए तब सब साथ में बैठ कर बातें कर रहे थे. मेरे साथ मेरे पति और 11 साल का बेटा था. सब लोग (उन के बेटे और बेटियां) बहाना बना रहे थे किडनी न देने के लिए. तब मेरे बेटे ने जो 11 साल का है कहा, ‘‘मैं दादी को किडनी दूंगा, मुझे कोई दिक्कत नहीं है.’’ उस के बोलते ही सब की आंखें फटी की फटी रह गईं और सब के सिर झुक गए. मेरे बेटे की बात उन के दिल को छू गई और सब बेटे, बेटियां किडनी देने को तैयार हो गए. बहन की सास का औपरेशन हो गया और वह भलीचंगी हो कर घर आ गईं.   

जागृति शास्त्री, वडोदरा (गुजरात)

नोटबंदी सबसे बड़ा घोटाला : ममता बनर्जी

नोटबंदी से पूरा देश परेशान है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने नोटबंदी को मोदी सरकार का सबसे बड़ा घोटाला बताया है. ममता ने आरोप लगाया कि नोटबंदी का फैसला लागू करने के पहले ही भाजपा ने बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद फरोख्त की है. प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के मसले पर पूरे देश के 85 फीसदी लोगों को चोर बना दिया है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जनता से वादा किया था कि वह विदेश में जमा कालाधन वापस लायेगी. अब यह पैसा तो आ नहीं सकता, तो जनता को बडे नोट बंद करके गुमराह किया जा रहा है. ममता बनर्जी नोटबंदी के खिलाफ सबसे जोरदार आवाज उठा रही हैं. वह देश के अलग अलग हिस्सों में अपनी बात रख रही हैं.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वह समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर जनसभा कर रही थी. यह बात और है कि ममता की सभा में हिस्सा लेने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ममता के साथ मंच पर नहीं गये. समाजवादी पार्टी ने अपने कुछ नेताओं को ममता की सभा में भेज दिया था. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सपा नोटबंदी के विरोध में तो है पर वह ममता के साथ खड़े होने में हिचक रही है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ममता बनर्जी को एयरपोर्ट पर रिसीव करने गये थे, पर मंच साझा करने से दूर रहे. जानकारी के अनुसार सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव नोटबंदी को लेकर सभा करने के पक्ष में नहीं थे, इस कारण अखिलेश यादव ममता बनर्जी की नोटबंदी के खिलाफ हुई सभा से दूर रहे. फौरीतौर पर मुख्यमंत्री ने अपने कुछ नेताओं को पार्टी की तरफ से मंच पर भेज दिया था.

ममता ने कहा कि बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र में काम करने वाले लोग मजदूरी न मिलने से परेशान होकर अपने घरों को लौट रहे हैं. बिजनेस के ही साथ खेती की हालत भी खराब है. बंगाल का जूट उद्योग भी बंद हो गया है. ममता ने आरोप लगाया कि भाजपा और उससे जुड़े लोग अपना पैसा पहले ही ठिकाने पर लगा चुके हैं. ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश के लोगों से आहवान करते कहा कि अगर उत्तर प्रदेश की जनता पीएम देती है तो उसे पीएम को वापस ले जाने का हक है. भाजपा ने उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनावों को देखते हुये यह नोटबंदी का फैसला लिया है.

ममता ने आरोप लगाते कहा कि इससे घर की स्त्री का पैसा छीन लिया गया. बिजनेस बंद होने से बच्चों और युवाओं का भविष्य छीन लिया. अब जमीन और घर छीनने की धमकी दे रहे हैं. नोटबंदी की वजह से बहन बेटियों की शादी में परेशानी आ रही है. अब लोगों का इस मुद्दे से ध्यान हटाने के लिये भाजपा सांसदों से हिसाब मांगने का दिखावा कर रहे हैं. खातों का विवरण देना है तो नोटबंदी से पहले जमा खातों का हिसाब लें. ममता बनर्जी को यह लग रहा है कि नोटबंदी एक बडा मुद्दा है. इसके साथ जुड़ कर वह देश के साथ खुद को कनेक्ट कर रही हैं. ममता कह रही हैं कि नोटबंदी के खिलाफ वह पूरे देश में लोगों को भाजपा का सच बतायेंगी.                

गांव में ‘वस्तु विनिमय’ का दौर

नोटबंदी के दौर में उपजी कैश की कमी से निपटने के लिये गांव वस्तु विनिमय के पुराने दौर में वापस चले गये है जहां वस्तु के बदले वस्तु देनी होती थी. वस्तु विनिमय से किसान को नुकसान हो रहा है, क्योंकि उसकी उपज औनेपौने दामों पर बिक रही है. वस्तु विनिमय के इस सिद्वांत को नये युग के लोगों ने नहीं देखा होगा, ऐसे में वह समझ भी नहीं पा रहे होंगे कि वस्तु विनिमय क्या होता है?

वस्तु विनिमय में किसी वस्तु को खरीदने के लिये मुद्रा की जगह पर दूसरी वस्तु ही देनी होती है. गांव में चीनी, नमक, मसाले और जरूरत की दूसरी चीजों को खरीदने के लिये किसान धान को देता है. दुकानदार धान को नकद पैसे की तरह से लेता है. इसको ऐसे समझा जा सकता है जैसे चीनी की कीमत 40 रूपये किलो है और धान की कीमत 10 रूपये किलो तो एक किलो चीनी की खरीद के लिये किसान को 4 किलो धान देना पड़ रहा है.

परेशानी की बात यह है कि दुकानदार धान की कीमत बाजार मूल्य से कम लगाता है. ऐसे में दुकानदार को दोहरा मुनाफा हो रहा है. वह चीनी पर लाभ तो कमा ही रहा है कम कीमत पर धान लेकर भी उसपर अलग से मुनाफा पा रहा है. किसान का जो धान बाजार में 12 से 15 रूपये किलो बिक रहा है वह दुकानदार वस्तु विनिमय के रूप में 10 से 12 रूपये में ही खरीद रहा है. किसान बाजार में धान इसलिये नहीं बेच रहा, क्योंकि वहां आढतिया धान के बदले पुराने बंद हो चुके नोट दे रहा है या फिर धान लेकर एक दो माह के बाद पैसा देने की बात कर रहा है. ऐसे में किसान अपनी जरूरतों के लिये धान को देकर दूसरे सामान ले रहा है.

गांव के लोग अपनी छोटीछोटी जरूरत के लिये वस्तु विनिमय का सहारा तो पहले भी लेते थे पर अब खाद, बीज और दूसरी खरीददारी के लिये भी वस्तु विनिमय का सहारा लेने लगे हैं. गांव के आसपास लगने वाले बाजारों को देखें, तो वहां पर लगे आनाज के ढेर देखकर पता चलता है कि लोग किस तरह से कैश न होने से परेशान हैं और अपने धान को औनेपौने दाम पर बेच रहे हैं.

लखनऊ के इटौंजा गांव के रहने वाले दिवाकर कहते हैं ‘धान को बेच कर पैसा नकद नहीं मिल रहा, ऐसे में हमें इसे बेचकर जरूरत का दूसरा सामान ले रहे हैं. इसमें हमें नुकसान है, पर जरूरतों के लिये इस नुकसान को सहना पड़ रहा है.’

इसी गांव के रहने वाले सुरेश कहते हैं ‘धान बेच कर हम अभी काम चला ले रहे हैं. धान के बिकने के बाद से हम आगे कैसे गुजरबसर करेंगे, पता नहीं. अब हमें शहरों में काम नहीं मिल रहा. अगर ऐसे ही हालात आगे चलते रहे और मजदूरी नहीं मिली तो गुजरबसर कर पाना संभव नहीं होगा. हम अपना आनाज बेच कर अभी अपनी जरूरतों को पूरा कर ले रहे हैं, पर आगे वाले दिन कठिन दिख रहे हैं.’ यह वस्तु विनिमय यानि बाटर किसान और दुकानदार अपनी मर्जी से नहीं कर रहे हैं. सरकार सजा किसी और को देना चाहती थी पर बेवकूफी में आर्थिक जेल में किसान और दुकानदार फंस गये हैं. 

फेसबुक एक्सप्रेस वाईफाई, मिलेगा सस्ता इंटरनेट

फेसबुक ने भारत के दूरदराज इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस वाईफाई सेवा शुरू कर दी है. एक्सप्रेस वाई-फाई सॉफ्टवेयर की मदद से स्थानीय उद्यमी अब लोगों को एक निश्चित फीस के बदले इंटरनेट सेवा देंगे. जानिए क्या हैं इसके फायदे?

इसका फायदा ये होगा कि अब यूजर को अलग अलग खबरों, मौसम की जानकारियों के साथ-साथ अलग अलग सेवाएं भी मिलेंगी. एक्सप्रेस वाई-फाई वेबसाइट के अनुसार, "यह सेवा स्थानीय कारोबारियों को आस-पास के इलाकों में अच्छी क्वालिटी की इंटरनेट सेवा पहुंचाने में मदद करती है. यही नहीं, इससे एक नियमित आमदनी भी होगी."

फेसबुक इससे पहले अपने फ्री बेसिक्स प्लान के लिए अच्छी खासी फजीहत झेल चुका है. फरवरी में भारत के टेलीकॉम रेगुलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई ने फेसबुक के फ्री बेसिक्स इंटरनेट सर्विस ऐप पर पाबंदी लगा दी थी. इस ऐप की सेवा सीमित संख्या के वेबसाइट तक ही सीमित थी.

एक्सप्रेस वाई-फाई वेबसाइट के अनुसार, "यह सेवा स्थानीय कारोबारियों को आस-पास के इलाकों में अच्छी क्वालिटी की इंटरनेट सेवा पहुंचाने में मदद करती है. यही नहीं, इससे एक नियमित आमदनी भी होगी."

वेबसाइट का मानना है कि, "भारत में मोबाइल कनेक्टिविटी अच्छी है पर यह इंटरनेट की मांग पूरी नहीं कर सकता. क्योंकि यहां इंटरनेट बहुत धीमा है. मोबाइल से इंटरनेट का इस्तेमाल करना काफी महंगा पड़ता है."

भारत के लोग इंटरनेट एक्सेस करने के लिए मोबाइल डिवाइस का इस्तेमाल करना छोड़ नहीं सकते, लेकिन यदि एक्सप्रेस वाईफाई का प्रयोग किया जाए तो उन्हें इंटरनेट सस्ता और तेज़ मिलेगा. "एक्सप्रेस वाई-फाई" के लिए फेसबुक टेलिकॉम, इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों और स्थानीय उद्यमियों की मदद ले रहा है.

भारतीय हॉकी के हाई परफॉर्मेंस निदेशक बनें डेविड जॉन

भारतीय सीनियर पुरुष हॉकी टीम के पूर्व फिजियो ऑस्ट्रेलिया के डेविड जॉन को भारतीय हॉकी का हाई परफॉर्मेंस निदेशक नियुक्त किया गया है. हॉकी इंडिया ने कहा कि वह रोलेंट ओल्टमेंस की जगह लेंगे, जिन्हें 2020 टोक्यो ओलंपिक तक भारतीय पुरुष हॉकी टीम का मुख्य कोच बनाया गया है.

जॉन 2012 लंदन ओलंपिक से पहले भारतीय पुरुष टीम के फिजियो और वैज्ञानिक सलाहकार थे. उन्होंने अपने कार्यकाल में भारतीय खिलाड़ियों के लिए नया अभ्यास कार्यक्रम लागू किया, जिससे उनकी फिटनेस में काफी सुधार आया.

जॉन हॉकी इंडिया लीग में दो टीमों के हाई परफॉर्मेंस निदेशक रह चुके हैं. वह 2016 सत्र में कलिंगा लांसर्स के साथ थे, जो उपविजेता रही. जॉन ने कहा, ‘मैं अपनी नई जिम्मेदारी की तरफ देख रहा हूं. मेरा अनुभव इस पद की जिम्मेदारी को निभाने के लिए मदद करेगा.’

हॉकी इंडिया के महासचिव मोहम्मद मुश्ताक अहमद ने इस बारे में कहा, ‘हम जॉन का उस भूमिका में स्वागत करते हैं जो पिछले कुछ साल में हॉकी इंडिया के लिये काफी महत्वपूर्ण हो गई है. हमें यकीन है कि अपने अपार अनुभव से जॉन 2020 ओलंपिक के लिये सर्वश्रेष्ठ तैयारी करा सकेंगे.’

बिना किसी गर्भनिरोधक के सैक्स का सब से सुरक्षित समय क्या है.

सवाल

बिना किसी गर्भनिरोधक के सैक्स का सब से सुरक्षित समय क्या है?

जवाब

वैसे तो सुरक्षित सैक्स के लिए गर्भनिरोधक ही कारगर उपाय हैं, लेकिन प्राकृतिक तरीके से अगर गर्भ से बचने हेतु सुरक्षित समय पूछा जाए तो इस का सीधा संबंध युवती के मासिक धर्म से है. गर्भ ठहरने के लिए पुरुष के शुक्राणु और स्त्री के अंडाणु का मिलन जरूरी है और यह गर्भ निरोधक इसी मिलन को रोकते हैं.

लेकिन अगर मासिक धर्म के 5 दिन के चक्र को छोड़ कर अन्य 18-20 दिन में सैक्स किया जाए तो गर्भ ठहरने की आशंका नहीं रहती, लेकिन इसे पूर्णतया सुरक्षित नहीं कहा जा सकता. अच्छा होगा सुरक्षित समय जानने के बजाय सुरक्षित उपायों के बारे में जानें, जिन में कंडोम सब से कारगर है ताकि पूर्ण सुरक्षित सैक्स का आनंद ले सकें.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

 

अब नहीं रहेगा स्मार्टफोन स्लो

फोन जब धीमा चलने लगे, उससे ज्यादा यूजर्स के लिए परेशानी की बात कुछ और हो ही नहीं सकती. और बात जब एंड्रॉयड स्मार्टफोन की हो तो यूजर्स की हमेशा शिकायत रहती है कि उनका फोन स्लो हो गया है. शुरुआती कुछ महीनें तो फोन ठीक-ठाक चलता है, पर धीरे-धीरे यह स्लो होने लगता है. इसके बाद यूज करते वक्त फोन बार-बार हैंग होना शुरु हो जाता है. एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स के धीमे होने की कई वजहें होती हैं. हो सकता है आपके स्मार्टफोन में कुछ फीचर बैकग्राउंड में काम कर रहे हो और आपको पता ही नहीं हो.

जैसे कि कई बार हम वाई-फाई या ब्लूटुथ को चालू छोड़ भूल जाते हैं, यह भी स्मार्टफोन की स्पीड को कम करते हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी ट्रिक्स जिन्हें आप अपने फोन की स्पीड को मिनटों में बढ़ा सकते हैं.

लेटेस्ट सॉफ्टवेयर डाउनलोड

आपके स्मार्टफोन के हैंग होने या धीमा चलने का एक कारण यह भी हो सकता है कि आप अभी तक अपने फोन में एंड्रॉयड की पुराना वर्जन चला रहे हों. जिसके चलते भी कई बार फोन स्लो हो जाता है. इसलिए समय-समय पर अपने स्मार्टफोन के नए एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर को अपडेट करते रहना चाहिए.

स्मार्टफोन कंपनियां अपने कस्टमर्स को लेटेस्ट एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर की अपडेट देती रहतीं हैं. अगर आपके स्मार्टफोन में लेटेस्ट अपडेट का नोटिफिकेशन नहीं आया हो तो भी आप एक बार अपने फोन की सेटिंग्स में जाकर खुद देख लें. एंड्रॉयड का लेटेस्ट वर्जन इंस्टॉल होने से 100 फीसदी आपके फोन की स्पीड बढ़ जाएगी.

हैवी गेम करें फोन से डिलीट

कई बार मनोरंजन के लिए हम अपने फोन में कई हैवी गेम इंस्टॉल कर लेते हैं. जिसके चलते कई बार फोन की स्पीड कम हो जाती है. गूगल प्ले पर ऐसे कई गेमिंग एप होते जो 30 एमबी से ज्यादा मेमोरी के होते हैं. जब हम इन गेम को खेलना शुरु करते हैं तो स्मार्टफोन की रैम में काफी जगह घेर लेते हैं. जिसके बाद स्मार्टफोन की स्पीड काफी कम हो जाती है. वहीं Real Racing जैसे हैवी गेम आपके फोन के बैकग्राउंड में रहने पर फोन के रिसोर्सेज को खा जाते हैं.

स्मार्टफोन की स्पीड बढ़ाने के लिए आप अपनी डिवाइस का फर्मवेयर अपडेट कर सकते हैं. इससे भी स्मार्टफोन की स्पीड पर असर पड़ता है.  स्मार्टफोन के फर्मवेयर अपडेट होने से कई बार आपको अपने फोन के लिए कई नए फीचर मिल जाते हैं. इसके लिए स्मार्टफोन मैनिफेक्चरर फर्मवेयर अपडेट रिलीज करते रहते हैं. 

डिलीट करें अनयूजफुल ऐप्स

कई बार हम अपने फोन में ऐसे एप इंस्टॉल कर लेते हैं जिनकी हमें बहुत ज्यादा जरुरत नहीं होता है और हम उनका कई बार उपयोग भी नहीं करते हैं. अगर  अपने फोन पर काफी संख्या में ऐप्स इंस्टॉल कर रखे हैं, तो इससे भी आपका स्मार्टफोन स्लो हो जाता है.

एक बार उन एप की महत्वता को परखें और अगर वह आपके किसी काम के नहीं हैं तो उन्हें अनइंस्टॉल कर दें. कुछ ऐप्स को अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, खासकर स्मार्टफोन मैनिफैक्चरर द्वारा दिए गए ऐप्स. ऐसे में उन्हें डिसेबल कर देना सही होगा.

फोन की स्क्रीन पर चलने वाले लाइव वालपेपर्स और होम स्क्रीन पर बहुत ज्यादा विजेट्स भी आपके स्मार्टफोन की स्पीड को धीमा कर देते हैं. ऐसे में आप स्टेटिक वालपेपर्स इस्तेमाल करें और गैर जरुरी विजेट्स को अपनी होमस्क्रीन से हटा दें.

कैश फाइल क्लियर

एंड्रॉयड डिवाइस में जिन ऐप्स का इस्तेमाल  करते हैं तो बैकग्राउंड में कैश बनते हैं. जिसकी वजह से एंड्रॉयड स्मार्टफोन धीमा हो जाता है. इसलिए यूजर को समय पर इन कैश को क्लियर करते रहना चाहिए. ऐसा करने के लिए ऐप मैनेजर में जाकर प्रत्येक ऐप को खोले और Clear Cache कर दें.

कैश तैयार होना एक रेगुलर प्रोसेस है. जैसे ही हम फोन में कोई एप को खोलते हैं. कैश फिर बनने शुरु हो जाते हैं. आप प्ले स्टोर से 'App Cache Cleaner' एप डाउनलोड कर सकते हैं, जिसकी मदद से आप कैश को एक बार में ही डिलीट कर सकते हैं.

इन एप की मदद से आप रोज cache क्लिनिंग का शेड्यूल भी तय कर सकते हैं. ऐसा करने से आपके स्मार्टफोन में ऐप से बने कैच डिलीट हो जाएंगे. इससे मेमोरी खाली हो जाएगी और आपका फोन की भी स्पीड तेज हो जाएगी.

फर्मवेयर अपडेट

इसके लिए आपको अपने फोन की Settings में जाना होगा वहां – System में जाएं इसके बाद About में जाकर Software Updates में जाकर चेक करना चाहिए कि क्या ओवर-द-एयर अपडेट उपलब्ध है या नहीं. अगर यहां अपेडट नहीं है तो यूजर्स अपने स्मार्टफोन को मैनिफेक्चरर द्वारा उपलब्ध कराए गए PC suite software से कनेक्ट करके अपडेट के लिए चेक करना चाहिए.

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