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आखिरी धूम

धूम’ भारत की जबरदस्त फिल्मों में से एक है. जौन अब्राहम, ऋतिक रोशन के बाद अब आमिर खान इस के तीसरे पार्ट में मुख्य भूमिका में हैं. आमिर के अलावा इस फिल्म में अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा भी प्रमुख भूमिका में नजर आएंगी. वहीं ग्लैमर का तड़का लगाने की जिम्मेदारी चिकनी चमेली कैटरीना कैफ पर है.

बहरहाल इस फिल्म को बनाने के लिए यशराज ने स्क्रिप्ट, कास्ंिटग और प्लानिंग में काफी समय दिया. कहा जा रहा है कि धूम 3 सीरीज की आखिरी फिल्म होगी, वैसे यह सही है कि दर्शक सीरीज और रीमेक फिल्में देख कर तंग आ चुके हैं. ऐसे में यह खबर सब के लिए राहत भरी होगी.

 

हौट सोनम

सोनम कपूर अब सिल्वर स्क्रीन पर बिकिनी पहन कर हौट दिखने वाली हैं. हालांकि उन्होंने पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि उन की बौडी बिकिनी पहनने वाली नहीं है. पर ऐसी क्या बात हुई कि उन्हें फिल्म ‘खूबसूरत’ के रीमेक में बिकिनी पहननी पड़ रही है.

बिकिनी पहन कर परदे पर जलवा बिखेरने के लिए उन्होंने अपने ट्रेनर की सहायता से एक खास रुटीन तय कर लिया है. अब वह संभल कर डाइट फौलो कर रही हैं. खैर, सोनम स्विमसूट में अपना जलवा कैसे दिखाती हैं, इस के लिए फिल्म का इंतजार करना पड़ेगा.

 

हौरर स्टोरी

90 के दशक में हौरर फिल्मों के लिए रामसे ब्रदर्स का नाम जाना जाता था. अब ज्यादातर हौरर फिल्में विक्रम भट्ट बना रहे हैं. पिछले सालों में उन्होंने कई हौरर फिल्में बनाई हैं. ‘हौरर स्टोरी’ फिल्म की कहानी खुद विक्रम भट्ट ने लिखी है, ऐसा उन का दावा है. हालांकि यह कहानी अमेरिकी फिल्म ‘रौंग टर्न’ से उड़ाई लगती है.

इस हौरर स्टोरी में कुछ नया ढूंढ़ने की कोशिश मत करिए. जैसा कि हर हौरर फिल्म में होता है, 6-7 दोस्त एक सुनसान इलाके में खाली पड़े एक होटल में जा पहुंचते हैं. वहां उन्हें कोई भूतप्रेत नजर नहीं आता परंतु उन्हें 1 व्हीलचेयर दिखाई देने लगती है, जो कभीकभी गायब हो जाती है. होटल की लाइट गुल हो जाती है. सभी दोस्त एकदूसरे से बिछुड़ जाते हैं और फिर शुरू होता है मौत का खेल. 1-1 कर सभी दोस्त मारे जाते हैं. आखिर में बची एक युवती वहां रह रही बुरी आत्मा का खात्मा कर डालती है.

लगता है फिल्म बनाने से पहले ज्यादा रिसर्च वर्क नहीं किया गया है. फिल्म में दिखाए गए ज्यादातर दृश्य पुरानी हौरर फिल्मों के दोहराव भर हैं. इन दृश्यों में हौरर का एहसास नहीं हो पाता. हां, साउंड इफैक्ट और लाइटिंग इफैक्ट के जरिए जरूर हौरर पैदा करने की खासी कोशिश की गई है.

इस तरह की फिल्में समाज में अंधविश्वास फैलाने का ही काम करती हैं. इसलिए हौरर स्टोरी से  तौबा भली.

जौन डे

जिन दर्शकों ने नसीरुद्दीन शाह अभिनीत ‘वैडनसडे’ फिल्म देखी होगी उन्होंने नसीरुद्दीन शाह के अभिनय की तारीफ जरूर की होगी. किस तरह उस ने अकेले सिस्टम से टक्कर ले कर पूरे पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया था. ‘जौन डे’ में भी नसीरुद्दीन शाह ने अकेले दम पर समाज में फैले काले कारनामों का परदाफाश करने की कोशिश की है. लेकिन इस फिल्म में ‘वैडनसडे’ वाली बात नजर नहीं आई. हाथ में रिवाल्वर पकड़े उस के हाथ कांपते से लगते हैं. फिल्म सिस्टम को बदलने के बजाय बदले की ज्यादा लगती है.

‘जौन डे’ खूनखराबे से भरी थ्रिलर फिल्म है. फिल्म के अधिकांश पुरुष किरदार वायलैंट हैं. फिल्म के कुछ दृश्य घृणा पैदा करते हैं, खासतौर से खलनायक का एक गुंडे की जीभ को अपने मुंह से काट कर बाहर फेंकना. फिल्म में कुछ गालियां भी हैं.

कहानी एक बैंक मैनेजर जौन डे (नसीरुद्दीन शाह) की है. एक दिन उस की बेटी की हत्या हो जाती है और उस की पत्नी को बंधक बना कर, उसे घायल कर कुछ गुंडे उस के बैंक के लौकर से 1 फाइल ढूंढ़ने पहुंचते हैं. गुडों के हाथ फाइल नहीं लग पाती. जौन डे को शक हो जाता है. तहकीकात करने पर उसे पता चलता है कि फाइल एक जमीनी घोटाले की है जिस में मेयर तक शामिल है.

अंडरवर्ल्ड डौन सिकंदर हयात खान (शरत सक्सेना) को भी वह फाइल चाहिए. एसीपी गौतम (रणदीप हुड्डा) इस फाइल के एवज में दुबई के एक डौन से 50 करोड़ रुपए में डील पक्की करता है. जौन डे इस फाइल के बारे में सारी जानकारियां जुटाता है और सिकंदर हयात के साथसाथ एसीपी गौतम और उस के गुर्गों को मार डालता है. इस तरह उस का बदला पूरा होता है.

फिल्म की कहानी उलझी हुई है. फिल्म में जौन डे और सिकंदर हयात खान के किरदार ही हैं, जो थोड़ाबहुत दर्शकों को बांधे रखते हैं. फिल्म में सस्पैंस बनाए रखने की नाकाम कोशिश की गई है.

फिल्म के क्लाइमैक्स में काफी खूनखराबा है. लगभग सभी पात्र मारे जाते हैं. पार्श्व संगीत अनुकूल है. छायांकन अच्छा है.

 

वार्निंग

समुद्र में इंसानों पर शार्क मछलियों के हमलों को टैलीविजन के डिस्कवरी और नैशनल ज्योग्राफिक चैनलों पर अकसर दिखाया जाता है. विदेशों में तो शार्क के हमलों पर कई फिल्में भी बनी हैं. ‘शार्क अटैक’, ‘शार्क नाइट’, ‘शार्क जोन’ आदि कुछ ऐसी ही फिल्में हैं. ‘वार्निंग’ भी शार्क अटैक पर बनी फिल्म है, जिसे पानी के अंदर शूट किया गया है. यह फिल्म भारत की पहली अंडरवाटर 3डी फिल्म है. निर्देशक गुरमीत सिंह ने कुछ नया और ऐडवैंचरस बनाने की कोशिश तो की है लेकिन कामयाब नहीं हो सके हैं.

फिल्म की कहानी 5 दोस्तों की है, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनाअपना कैरियर चुन कर एकदूसरे से अलग हो जाते हैं. 5 साल बाद ये पांचों एक वाटर ऐडवैंचर टूर में फिजी में मिलते हैं. तरन (संतोष बारमोला) सब को एक याट पर सवार हो कर समुद्र की सैर करने के लिए राजी कर लेता है. इस टूर में साबरी (मंजरी फड़नीस) अपनी बच्ची और पति दीपक (जितिन गुलाटी) के साथ है. तरन अपनी गर्लफ्रैंड (सुजाना रौड्रिग्स) के साथ है.

सभी याट से उतर कर समुद्र में स्विमिंग करने लगते हैं. तभी तरन का हाथ याट पर लगे एक बटन पर लग जाता है जिस से पानी से याट पर जाने का रास्ता बंद हो जाता है. इस बीच, पानी में हलचल होती है. पानी के अंदर एक शार्क मछली है. याट पर साबरी की बेटी रो रही है. सभी याट पर चढ़ने की असफल कोशिश करते हैं. अचानक सुजाना की मौत हो जाती है. तरन की कोशिश से साबरी और उस का पति याट पर चढ़ जाते हैं. तभी तरन को शार्क अपना शिकार बना लेती है. किसी तरह साबरी और उस का पति किनारे पर पहुंच जाते हैं.

फिल्म की इस कहानी में तैर कर समुद्र पार करने के लिए गए सुमित सूरी और मधुरिमा तुली का क्या हुआ, इसे निर्देशक ने गोल कर दिया है.

नए कलाकारों को ले कर बनाई गई यह फिल्म न तो रोमांचक बन पाई है न ही डरावनी. टैक्नोलौजी के लिहाज से भी फिल्म में कोई नई बात नजर नहीं आती. हां, कुछ 3डी इफैक्ट्स अच्छे बन पड़े हैं. शार्क मछली के आने से फिल्म में थ्रिल भी नहीं पैदा हो सका है.फिल्म का निर्देशन साधारण है. गीत- संगीत कुछ अच्छा है. महिला किरदारों को बिकनी पहने और शराब व बीयर की बोतलें हाथ में उठाए मौजमस्ती करते दिखाया गया है. अभिनय के मामले में सभी कलाकार अनाड़ी हैं. फिल्म का छायांकन ठीक है.

 

बेशरम

‘बेशरम’ टेबल पर सजे उस लंच या डिनर की तरह है जिस में एक से बढ़ कर एक वेज और नौनवेज डिशेज सजी हुई हैं. देखने पर लगता है ये डिशेज टैस्टी होंगी, मगर खाने के बाद पता चलता है, ये डिशेज तो टैस्टलैस और बासी हैं.

‘बेशरम’ में रणबीर कपूर ने शर्मोहया की सारी हदें पार की हैं. इस फिल्म का निर्देशन ‘दबंग’ फिल्म बना चुके अभिनव कश्यप ने किया है. फिल्म में अगर आप कहानी ढूढें़गे तो निराशा ही हाथ लगेगी. ड्रामा, ऐक्शन और रोमांस से लदीफंदी इस कहानी की शुरुआत बबली (रणबीर) नाम के एक अनाथ से शुरू होती है

जो कारें चुराने का काम करता है. उस की मुलाकात तारा शर्मा (पल्लवी शारदा) से होती है. बबली का दिल उस पर आ जाता है. वह उस की मर्सिडीज कार चुरा कर एक हवाला किंग भीम सिंह चंदेल (जावेद जाफरी) को बेच देता है. इधर, तारा शर्मा चोरी की रिपोर्ट लिखवाने थाने जाती है. थाने में इंस्पैक्टर चुलबुल चौटाला (ऋषि कपूर) और उस की बीवी हैड कांस्टेबल बुलबुल चौटाला (नीतू सिंह) उस से रिश्वत मांगते हैं.

बबली को पता चलता है कि जो कार उस ने चुराई थी वह तारा शर्मा की थी, तो वह उसे साथ ले कर चंडीगढ़ रवाना होता है ताकि उस कार को दोबारा चुरा कर उसे लौटा सके. वह कार को दोबारा चुरा कर तारा शर्मा को लौटाता है परंतु कार की डिक्की में रखे चंदेल के करोड़ों रुपयों से भरे बैग को देख कर चौंक जाता है. अब चंदेल के गुंडे उस के पीछे लग जाते हैं. इंस्पैक्टर चुलबुल चौटाला तब बबली की मदद करता है.

कहानी 90 के दशक जैसी है. मध्यांतर से पहले भाग में 3 डांस गाने हैं और नायक, नायिका से फ्लर्ट करता टपोरी नजर आता है. अचानक से वह नायिका के प्यार में पागल हो जाता है. मध्यांतर के बाद वाले भाग में वह चंदेल के गुंडों से फाइटिंग करता नजर आता है.

फिल्म देखने लायक इसलिए नहीं है क्योंकि छिछोरी हरकतें तो लोग रोज खुद देखते हैं. उन्हें सिलसिलेवार पिरोना तक निर्देशक को न आया. इन से न सैक्सी चुटकुलों का मजा आया न हंसी आई. ऋषि कपूर और नीतू सिंह ने फिल्म में बढि़या ओवरऐक्ंिटग की है. फिल्म के गाने पहले ही पौपुलर हो चुके हैं. नायिका पल्लवी शारदा नई है और उस ने मेहनत की है.

 

धीरेधीरे आगे बढ़ना चाहती हूं

‘रौक स्टार’ से बौलीवुड में ऐंट्री करने वाली अभिनेत्री नरगिस फाखरी अमेरिकन फैशन मौडल भी हैं. न्यूयार्क के क्वींस में जन्मी नरगिस के पिता पाकिस्तानी और मां चेकोस्लोवियन हैं. पिछले दिनों प्रदर्शित फिल्म ‘मद्रास कैफे’ और फिल्म ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ में बतौर आइटम डांसर नजर आईं नरगिस से सोमा घोष ने बात की. पेश हैं मुख्य अंश.

आप किस तरह की फिल्मों में काम करना पसंद करती हैं?

मैं ने 2 साल में 2 फिल्में कीं जो बहुत कम हैं पर मैं इस दौरान खाली नहीं बैठी. कई विज्ञापनों में काम किया. मुझे एक ऐसी फिल्म चाहिए थी जिस से मैं अपने आप को जोड़ सकूं और वह मुझे ‘मद्रास कैफे’ मिली. वैसे, मुझे हर तरह की भूमिका निभाना पसंद है.

बौलीवुड में अपनेआप को स्थापित करना कितना मुश्किल है?

मैं खुश हूं कि मुझे दोनों ही निर्देशक, निर्माता सही मिले. मैं यहां की नहीं हूं, मुझे यहां के वातावरण को जानना मुश्किल था. मेरी एजेंसी ने मेरी सहायता की. मुझे हिंदी नहीं आती थी, मैं ने रोज 4-4 घंटे बैठ कर हिंदी के क्लासेज लिए. अब मैं थोड़ी हिंदी बोल और समझ सकती हूं. जब भी मुझे समय मिलता है मैं हिंदी मूवीज देखती हूं. यहां की संस्कृति को समझने की कोशिश कर रही हूं. इन सब चीजों को सीखनेसमझने में वक्त तो लगता ही है.

किसी ‘कंट्रोवर्सी’ को आप कैसे लेती हैं?

यहां की नहीं होने की वजह से लोग मेरे बारे में कुछ भी छाप देते हैं. मेरे कई फ्रैंड लड़के हैं, क्योंकि मेरे हिसाब से लड़के अधिक अच्छे और समझदार होते हैं. मैं उन के साथ घूमती हूं, समय बिताती हूं, तो कोई कुछ भी लिख देता है, जो मैं ने कभी कहा भी नहीं है. पहले दुख होता था पर अब आदत पड़ चुकी है. एक समय के बाद आप को इन सब मसलों को ले कर एक तरह की मैच्योरिटी लानी पड़ती है. अगर ग्लैमर वर्ल्ड में हो तो यह सब सीखना और भी जरूरी हो जाता है.

रिश्ता या रिलेशनशिप आप की नजर में क्या है?

मेरे लिए रिलेशनशिप उतनी जरूरी नहीं जितना परिवार है. परिवार के बिना आप अधूरे हैं. मेरी मां न्यूयार्क में अकेली रहती हैं. समय मिलते ही मैं उन के पास पहुंच जाती हूं. वे मेरे हर काम में सहयोग देती हैं. उन्हें मैं भारत के बारे में सबकुछ बताना चाहती हूं.

आप को फैशन कितना पसंद है?

मैं बहुत ही साधारण लड़की हूं. सिंपल रहना पसंद करती हूं. लड़की होने के नाते जो फैशन करना होता है वह करती हूं. मुझे ऐनिमल पिं्रट बहुत पसंद हैं.

आप का फैशन स्टेटमैंट क्या है?

मेरा कोई स्टाइल स्टेटमैंट नहीं है. जब मैं एक जगह से दूसरी जगह जाती हूं तो आरामदायक वस्त्र पहनती हूं. मेरे हिसाब से सब से बेहतरीन स्टाइल का मतलब कंफर्टेबल होना है.

कितनी ‘फूडी’ हैं आप? भारत के व्यंजनों को खाया?

मैं गुडकुक नहीं हूं, मैं हमेशा हैल्दी फूड खाती हूं. मुझे सब्जियां अधिक पसंद हैं, वही बनाती हूं. मैं ने भारत के सभी व्यंजन ‘ट्राई’ किए हैं. दिल्ली में गाजर का हलवा खा कर 2 दिन अस्पताल में रही. लेकिन मैं ने वड़ापाव, पावभाजी, चाट, पानीपूरी आदि सबकुछ चख लिया है.               

बिजली से चलेगी बीएमडब्लू

कार के ज्यादातर शौकीनों का सपना बीएमडब्लू कार खरीदना रहता है. बाजार में एक से बढ़ कर एक कारें आईं लेकिन इस कार की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं हुआ. उपभोक्ता की खातिर यह कार कंपनी भी अपने मौडल में बदलाव के साथ ही उसे नए फीचर से जोड़ने के काम में लगी रहती है. रोल्सरौयस ने बहुत कोशिश की लेकिन यह अत्यधिक कीमती होने के कारण एक वर्गविशेष की ही कार बनी रही. भारत में बीएमडब्लू कुछ उद्योगपतियों व विशेष हस्तियों के दायरे में रही है.

अब यह कार नए धमाके के साथ बाजार में उतरने की तैयारी कर रही है. कार को बिजली से संचालित किया जाएगा, इसलिए इस के विद्युत मौडल का बेसब्री से इंतजार हो रहा है. कंपनी का कहना है कि वह अपनी गाड़ी को तेल निर्यातक देशों की निर्भरता से मुक्त रखना चाहती है. कंपनी की विद्युत इंजन वाली यह कार आई3 मौडल है. कार का इंजन एक प्लग के सहारे बिजली से चार्ज किया जाएगा. इंजन 1 घंटे में पूरी तरह चार्ज हो जाएगा और पूरा चार्ज होने पर कार 186 मील का सफर आसानी से तय कर लेगी. एक बार चार्ज होने के बाद इंजन 8 घंटे तक चल सकता है.

कार का इंजन मोटरसाइकिल के इंजन के बराबर है जिस का रखरखाव भी आसानी से किया जा सकता है. इस में पावर रिकवरी सिस्टम भी है जिस से कार में बे्रक लगाने की भी जरूरत पड़ती है. कंपनी ने कार की कीमत का खुलासा तो नहीं किया लेकिन माना जा रहा है कि यह 40 हजार डौलर के भीतर ही होगी. यह तकनीक बहुत आकर्षक है. बीएमडब्लू में सफल होने के बाद इस का प्रयोग यदि साधारण कारों में भी किए जाने का प्रयास होता है तो कार बाजार के लिए यह क्रांति होगी. बड़ी बात यह भी है कि ईंधन के संकट से जूझ रही दुनिया को राहत मिलेगी.    

मोबाइल कनैक्शन के लिए फिंगर प्रिंट

मोबाइल फोन जितना सुविधाजनक है उतना ही वह समस्याएं पैदा कर रहा है. घरों में यह बच्चों का खिलौना बन चुका है और किशोरों के लिए मस्ती करने का उपकरण. इस के दुरुपयोग पर रोक लगाने की जिम्मेदारी समाज की यानी संबद्ध परिवार की है लेकिन इधर अपराधी तत्त्व, खासकर मानवता के दुश्मन, आतंकवादियों के लिए अपना नैटवर्क संचालित करने के लिए मोबाइल ‘वरदान’ बन चुका है.

सरकार मोबाइल के इस सब से बड़े दुरुपयोग से परिचित है और गृहमंत्रालय ने शायद इसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि पर अंकुश लगाने के लिए मोबाइल औपरेटर कंपनियों को नए मोबाइल कनैक्शन के बाबत संचार मंत्रालय के जरिए ताजा निर्देश दिए हैं. संचार मंत्रालय ने उपभोक्ता की फिजिकल जांचपड़ताल करने के लिए  सेवाप्रदाता कंपनियों को निर्देश दिए हैं.

उधर, दूरसंचार राज्यमंत्री मिलिंद देवड़ा का कहना है कि उन का मंत्रालय मोबाइल कनैक्शन देते समय उपभोक्ता की उंगली के निशान यानी फिंगर पिं्रट लेने की योजना पर विचार कर रहा है. उन का कहना है कि सभी उपभोक्ताओं का बायोमैटिक डाटा सेवाप्रदाता कंपनी के पास होगा तो मोबाइल का दुरुपयोग रोका जा सकेगा और राष्ट्रद्रोही या दूसरे आपराधिक तत्त्व राष्ट्रविरोधी गतिविधि में मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे.

सेवाप्रदाता कंपनी को नई व्यवस्था के शुरू होने की स्थिति में उपभोक्ता के आवेदनपत्र के साथ उस का फोटो पहचान प्रमाणपत्र के साथ ही उस की उंगली के निशान भी लेने होंगे. फिलहाल फिंगर पिं्रट की व्यवस्था पर गौर हो रहा है और इसे भी जल्द ही लागू किया जा सकता है. यदि फिंगर पिं्रट वाली व्यवस्था लागू होती है तो मोबाइल का दुरुपयोग रुकेगा और कार्डधारक जिम्मेदारी से सिम को रखेगा भी.

 

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