12 वर्ष की आशु अपनी कक्षा में प्रथम आती थी. उस की इस परफौर्मैंस पर उस के मातापिता के साथसाथ उस के टीचर्स भी काफी गर्व करते थे. वह सोशल साइंस, हिंदी और इंगलिश सब्जैक्ट्स के साथ गणित के प्रश्नों के उत्तर भी रट कर याद कर लेती थी और परीक्षा में बिना सोचेसमझे उन के उत्तर लिख कर आ जाती थी. वह अपने टीचर्स द्वारा पढ़ाए गए विषयों को समझने की कोशिश नहीं करती थी. इस बार जब आशु वार्षिक परीक्षा में कम मार्क्स से पास हुई तो उसे दुख हुआ. लेकिन जब उस ने गंभीरता से परीक्षा के लिए की गई अपनी तैयारी पर विचार किया तो उसे अपनी गलतियों के बारे में पता चला. उसे एहसास हुआ कि उस से गलती कहां हुई है.

सच पूछिए तो आशु जैसे कितने ही बच्चे परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से नहीं करते हैं. उन्हें लगता है कि केवल विषयवस्तु याद कर लेने से परीक्षा में प्रश्नों को सौेल्व करना आसान हो जाता है किंतु रटी हुई चीजों के साथ सब से बड़ी प्रौब्लम यह होती है कि ऐनवक्त पर आप द्वारा पढ़े गए लैसन दिमाग से गायब हो जाते हैं. यह स्थिति काफी खतरनाक होती है. सीबीएसई की 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा में मुख्य रूप से साइंस, आर्ट्स और कौमर्स संकाय होते हैं. कैरियर और जीवन निर्माण के लिए ये तीनों संकाय समान महत्त्वपूर्ण हैं. इन में ऐक्सिलैंट केवल स्टूडैंट्स की अपनी प्रैफरैंस और चौइस पर निर्भर करता है. साइंस सब्जैक्ट्स इंजीनियरिंग और मैडिकल क्षेत्र में कैरियर बनाने में मददगार होते हैं तो आर्ट्स विषयों के साथ शुद्ध रूप से साइंस स्टूडैंट्स के लिए स्पैशलाज्ड डोमेन को छोड़ कर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एलिजिबिलिटी प्रदान करते हैं. कौमर्स का क्षेत्र तेजी से बढ़ती ग्लोबल अर्थव्यवस्था के लिए एक एवरग्रीन एरिया माना जाता है, जो कंपनी के चार्टर्ड अकाउंटैंट्स से ले कर सीईओ तक के शीर्ष पर पहुंचने में अहम भूमिका निभाता है. इन तीनों संकायों की बेहतर तैयारी के लिए एक विशेष रणनीति और प्लानिंग की जरूरत होती है. आइए देखते हैं कि इन तीनों संकायों में 12वीं की परीक्षा की तैयारी के लिए कौन सी स्ट्रेटेजी की जरूरत होती है.

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