प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत में 500 और 1000 रूपए के पुराने नोटों का मंगलवार मध्यरात्रि से इस्तेमाल नहीं हो पाएगा. इस घोषणा से पूरे देश में, ख़ास तौर से शहरों और कस्बों में व्यापक असर हुआ है. लोग घबराए भी हुए हैं कि यदि इन नोटों को इस्तेमाल नहीं कर सकते तो फिर लेन-देन कैसे होगा?

गौरतलब है कि पूरी दुनिया में काले धन का ट्रांज़ैक्शन ज़्यादातर बड़े नोटों में होता है. दिल्ली या किसी भी बड़े शहर में घरों की डील हमेशा काले धन में होती है. प्रापर्टी का रेट जितना होता है, वो पूरा चेक से नहीं होता है. जो पैसा नगद दिया जाता है वो बड़े नोटों में ही होता है.

अगर उदाहरण लें कि दो करोड़ की डील है और चेक से एक करोड़ दिए जा रहे हैं तो बाकी का एक करोड़ सौ रूपए में तो नहीं दिया जाएगा. वो तो पांच सौ या हज़ार में ही होगा. अब प्रधानमंत्री की घोषणा से काले धन पर नियंत्रण हो सकता है. वैसे ऐसा फैसला पहली बार नहीं हुआ है. मोरारजी देसाई जब वित्त मंत्री थे साठ के दशक में तब ऐसा फैसला किया गया था. ऐसा माना जा रहा है कि 500 और 1000 के पुराने नोट जब सर्कुलेशन से निकल जाएंगे, तो फिर नए नोट आ जाएंगे. इससे उम्मीद ये है कि काले धन का एक बड़ा हिस्सा खत्म हो जाएगा.

इस तरह के फैसले की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र का है. जैसे कामवाली बाई है जो हमारे आपके घर आती है. उसे आप हज़ार रूपए दे देते हैं लेकिन उसके पास खाता नहीं है. तो वो क्या करेगी. ये सोचिए. उनके लिए दिक्कत है जिनके पास बैंक खाते नहीं हैं. ये एक बड़ा झटका है. अगर पैसे जितने भी हों लेकिन उसका हिसाब किताब हो, तब कोई दिक्कत नहीं है. दिक्कत वहां है जहां आपके पास पैसे का हिसाब नहीं हैं.

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