शायद ही किसी ने ऐसा सोचा होगा कि बीसीसीआई पर सुप्रीम कोर्ट इस तरह से अपना चाबुक चलाएगा. बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को पद से हटाए जाने के पीछे मुख्य वजह उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट की लगातार की जा रही अवमानना रही, वहीं सचिव अजय शिर्के ने भी कुछ ऐसा ही रुख अपनाया था.

दरअसल इन दोनों पर ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बीसीसीआई में सुधार को लेकर लोढा पैनल की सिफारिशों के लागू कराने की जिम्मेदारी थी, लेकिन इन्होंने राज्य क्रिकेट संघों का हवाला देकर सुधारों का लागू नहीं किया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कई बार फटकार भी लगाई थी.

पिछले करीब डेढ़ साल से बीसीसीआई और लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लेकर तनातनी चल रही थी. हालांकि, बीसीसीआई ने कुछ सिफारिशों को मान लिया था. लेकिन कोर्ट के दबाव के बावजूद बोर्ड ने लोढ़ा पैनल की कुछ सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया था जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट को सख्त कदम उठाना पड़ा.

लोढ़ा पैनल की चार सिफारिशों को न मानने के चलते अनुराग ठाकुर को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.

70 साल से ज्यादा उम्र के पदाधिकारियों की छुट्टी

लोढ़ा कमेटी ने सिफारिश की थीं कि 70 साल से ज्यादा उम्र के पदाधिकारियों की छुट्टी करें. जिसे बोर्ड ने नहीं माना था.

वन पर्सन, वन पोस्ट

बीसीसीआई के कई बड़े अफसर दो पोस्ट पर हैं. जैसे बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. इसके अलावा बीसीसीआई सेक्रेटरी अजय शिर्के महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन में प्रेसिडेंट हैं. बोर्ड में ट्रेजरर अनिरुद्ध चौधरी हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन में जनरल सेक्रेटरी हैं. इन ऑफिशियल्स को एक न एक पोस्ट छोड़नी होगी. इस सिफारिश को बीसीसीआई ने मानने से इंकार कर दिया था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...