फिल्म की कहानी कई ट्रैक पर चलती है. पर शाहिद कपूर का टॉमी सिंह का किरदार कहानी में जैसे आगे बढ़ता है, वैसे ही वह जोकर नजर आता है. जो कहीं से भी प्रभावित नहीं करता. यह डार्क फिल्म धीरे धीरे ड्रग्स पर बनी एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनकर रह जाती है.

फिल्म की कहानी शुरू होती है मशहूर पॉप गायक टॉमी सिंह (शाहिद कपूर) से, जो कि अपने गानों में युवा पीढ़ी को ड्रग्स लेने यानी कि नशाखोरी के लिए प्रेरित करता है. उसके गानों को सुनकर हर युवा ‘गबरू’ बनना चाहता है, अब ‘गबरू’ कौन है, यह तो खुद टॉमी सिंह भी नही जानते. उधर सड़क पर वाहनों की चेकिंग करने वाला पुलिस दल हर माह दस हजार रूपए के एवज में ड्रग्स के ट्रकों को बिना किसी जांच  के आने जाने देता है. पता चलता है कि यह दस हजार रूपए पहलवान नामक एमएलए देता है. पर अचानक मंत्री का फोन पाकर यही पुलिस बल, जिसमें इंस्पेक्टर सरताज (दिलजीत दोसांज) है, पॉप स्टार टॉमी सिंह को उसके घर से पकड़ कर जेल में ठूंस देता है.

उधर कर्नल के खेतों में एक बिहारी लड़की (आलिया भट्ट) काम करती है. जब वह खेतों में काम कर रही होती है, तभी एक ड्रग्स डीलर दूसरे ड्रग्स के कारोबारी को तीन किलो हीरोईन का पैकेट देने आता है, तो वह गलती से इस बिहारी लड़की के हाथ लग जाता है. जब सरताज अपने घर पहुंचता है, तो पता चलता है कि उसका छोटा भाई बल्ली कालेज पढ़ने नहीं जाता. सरताज खुद बल्ली को कालेज के दरवाजे छोड़ते हुए नाश्ते के लिए पैसा देता है. बल्ली उसी पैसे से ड्रग्स खरीदकर अपने दोस्तों के पास पहुंचकर ड्रग्स लेना शुरू करता है. वहीं पर एक बिहारी लड़की आती है, जो कि ड्रग्स बेचना चाहती है. तो बल्ली उसे एक बड़े व्यापारी का मोबाइल नंबर दे देता है. पर खुद बल्ली जरूरत से ज्यादा ड्रग्स लेने के कारण अस्पताल पहुंच जाता है. जहां डॉक्टर प्रीती साहनी (करीना कपूर) उसका इलाज करती है.

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