दाऊद इब्राहीम को कौन नहीं जानता? भारत के मोस्टवांटेड अपराधियों की लिस्ट में उस का नाम सब से ऊपर है. दुनिया दाऊद को आतंकवादी मानती है. पूरी दुनिया जानती है कि वह आईएसआई के साए में कराची में रहता है और वहीं से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता रहता है. फिल्म ‘डी डे’ इसी दाऊद इब्राहीम को पकड़ने के मिशन पर बनाई गई है. कुछ समय पहले कराची में दाऊद इब्राहीम के बेटे की शादी संपन्न हुई थी. उस में वह शरीक भी हुआ था. अपने बेटे की शादी में जा रहे दाऊद को 4 भारतीय जासूस किस तरह दबोचते हैं और फिर किस तरह दाऊद उन के हाथ से निकल जाता है लेकिन फिर से पकड़ में आता है, यही इस फिल्म में दिखाया गया है.

दाऊद को पकड़ने गए ये 4 जासूस भारतीय गुप्तचर संस्था ‘रा’ के हैं. ‘रा’ द्वारा चलाए गए गुप्त मिशनों पर कई फिल्में पहले भी बन चुकी हैं. पिछले साल रिलीज हुई ‘एक था टाइगर’ में ‘रा’ के जासूस सलमान खान ने पाकिस्तानी हुक्मरानों के छक्के तो छुड़ाए ही, ‘रा’ अधिकारियों का भी पसीना निकाल दिया था. ‘रा’ के मिशन इतने गुप्त होते हैं कि असफल होने पर रा अधिकारी और हमारी सरकार एकदम पल्ला झाड़ लेती है कि जासूस उन के देश के नहीं हैं और न ही उन्होंने उन्हें किसी मिशन पर भेजा है. फिल्म ‘डी डे’ में इसी बात का खुलासा किया गया है. फिल्म में कई खामियां होने पर भी यह कुछ हद तक दर्शकों को बांधे रखती है.

फिल्म की कहानी 4 भारतीय जासूसों वली खान (इरफान खान), रुद्र प्रताप सिंह (अर्जुन रामपाल), जोया (हुमा कुरैशी) और असलम (आकाश दहिया) की है. ‘रा’ प्रमुख अश्विनी (नासिर) ने वली खान को पिछले 9 सालों से पाकिस्तान में नियुक्त किया हुआ है. वहां उस की नाई की दुकान है. वह अपनी पत्नी व बेटे के साथ रहता है. उसे सुराग मिलता है कि गोल्डमैन यानी दाऊद (ऋषि कपूर) अपने बेटे की शादी में शामिल होने के लिए कराची के होटल में आने वाला है. भारत से 3 और जासूस उसे दबोचने के लिए पहुंचते हैं. बड़ी मुश्किल से चारों उसे दबोच लेते हैं मगर एक छोटी सी गलती से पासा पलट जाता है.

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