भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभाओं के चुनावों में मिली जीत के बाद कांगे्रस और दूसरी छोटी पार्टियां ही अप्रासंगिक नहीं हो गई हैं, भारतीय जनता पार्टी की पिछली पीढ़ी भी हाशिए पर चली गई. धर्म के स्थान पर विकास और सुशासन के मुद्दे पर लड़े गए इन 2 विधानसभाओं के चुनावों की इस जीत का श्रेय नरेंद्र मोदी की व्यावहारिक नीतियों को जाएगा. नरेंद्र मोदी मई से ही भावनाओं की जगह व्यावहारिकता की नीतियों पर चल रहे हैं और उन्होंने जातीय व धार्मिक भेदभाव को इस कदर अनावश्यक कर दिया कि जातीय, मुसलिमों, दलितों, पिछड़ों की मांगों को ले कर चलने वाली पार्टियां निरर्थक हो गईं.

देश की जनता शासन में बदलाव चाहती है जबकि कांगे्रस और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां शासन सुधार की बात करने तक को तैयार न थीं. ऐसे में जनता को भाजपा के रूप में विकल्प मिल गया. कांगे्रस व अन्य पार्टियां आज अपने नेताओं के लिए मौजूद दिखती हैं जनता के लिए नहीं. एक तरह से नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी का भी कायापलट कर दिया है और उसे संकुचित व संकीर्ण दायरे से निकाल कर जनमानस के सामने पेश किया है. जो लोग पहले अपनेअपने इलाकों में सत्तारूढ़ पार्टी के शासन में घुटन महसूस कर रहे थे, अब एक नई सरकार और उसे चलाने वाली एक नई पार्टी की ओर देख सकते हैं जो इतिहास, धर्म, जाति, पोंगापंथी से ऊपर नजर आ रही है और देश के व्यापारों, उद्योगों, आर्थिक विकास को प्राथमिकता दे रही है.

नरेंद्र मोदी की इस दूसरी विजय के पीछे यही नीति परिवर्तन है जिस कारण मतदाताओं ने बनावटी व अनावश्यक भावनाओं में बह कर वोट नहीं दिया आशा की जानी चाहिए कि दूसरी पार्टियां इस से सबक सीखेंगी. हर नेता को अब जनता के लिए काम कर के दिखाना होगा, केवल बातों से चुनाव जीतना आसान नहीं है.

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