थिएटर में बीस साल की लंबी पारी खेलने के बाद फिल्मों में अपनी पारी शुरू कर चुके अभिनेता बी शांतनु फिल्म ‘‘रईस’’ में रईस यानी कि अभिनेता शाहरुख खान को पकड़ने के लिए जाल बिछाने वाले तथा फिल्म ‘‘मौम’’ में सीबीआई प्रमुख के किरदार में नजर आ चुके हैं. अब बी.शांतनु 23 मार्च को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘बा बा ब्लैकशिप’’ में मुख्य खलनायक के किरदार में नजर आने वाले हैं.

यूं तो थिएटर में काम करते समय भी बी.शांतनु ने नाटक ‘‘छलिया’’ में अपने दमदार नकारात्मक किरदार से दर्शकों को चकित किया था, अब ऐसा ही कारनामा उन्होंने फिल्म ‘बा बा ब्लैकशिप’ में किया है. मगर दोनों किरदारों में जमीन आसमान का अंतर है. खुद बी.शांतनु बताते हैं- ‘‘मैंने नाटक ‘छलिया’ में शिवराज का निगेटिव किरदार निभाया था, जो कि अपनी अंधी पत्नी व लेखिका के लिखे उपन्यासों को अपने नाम से छपवाता रहता है.

अपने नाम पर छपी किताब पत्नी को लाकर देता है और कहता है कि ‘जान देखो, तुम्हारी नई किताब छप कर आ गयी. ’वह अपनी पत्नी को घर से बाहर नही निकलने देता और न ही किसी से मिलने देता है. वह पूरी तरह से छलने का काम करता है, सामाजिक तौर पर नगेटिव किरदार है, कहीं मारता पीटता नहीं. जबकि फिल्म ‘बा बा ब्लैकशिप’ में मैने कमाल का किरदार निभाया है, जो कि राजनेताओं के इशारे पर हत्याएं करवाता है. यानी कि कमाल राजनेताओं के इशारे पर गलत काम करता है.’’

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नाटक ‘‘छलिया’’ और फिल्म ‘‘बा बा ब्लैक शिप’’ दोनों नकारात्मक चरित्र होते हुए भी बहुत अलग है और वर्तमान समय में यह दोनों तरह के नकारात्मक चरित्र हमारे समाज का हिस्सा हैं. इस बात पर जोर देते हुए बी.शांतनु कहते हैं - ‘‘दोनो ही तरह के नगेटिव इंसान इस संसार का हिस्सा हैं. छलिया का शिवराज आपको बड़े स्तर पर मिल जाएंगे. शिवराज उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, जहां पाखंड ही पाखंड है. ‘हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और’ वाला मसला है. जबक ‘बाबा ब्लैकशिप’ के कमाल जैसे किरदार हर राजनेता के पास मिल जाएंगे. हर राजनेता अपने लिए काम करने वाले ऐसे लोगों को पालते हैं. पर फिल्म की कहानी अद्भुत है.’’

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